गरीबों व मजदूरों के सच्चे हितैषी थे सत्तो दा

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गरीबों व मजदूरों के सच्चे हितैषी थे सत्तो दा

अधिवक्ता सत्यनारायण भट्टाचार्य की पुण्यतिथि पर विशेष

तरुण कांति घोष, कतरास, धनबाद : सत्तो दा के नाम से मशहूर वरिष्ठ अधिवक्ता सत्यनारायण भट्टाचार्य का जन्म पहली जनवरी 1944 को पश्चिम बंगाल के बर्धमान में हुआ था। इनके पिता देवनारायण भट्टाचार्य चिकित्सक थे। वर्ष 1967 में डा. देवनारायण अपने पूरे परिवार के साथ बर्धमान से धनबाद के कतरास आ गये। सत्तो दा अपने चार भाइयों में से मंझले थे। उन्होंने 1970 में धनबाद में वकालत प्रारंभ की। कोयलांचल के रूप में विख्यात धनबाद में उस समय मजदूरों व आदिवासियों का शोषण हुआ करता था।

इस शोषण को देख सत्तो दा का मन‌ काफी व्यथित हुआ और वे मजदूरों के हक-अधिकार की लड़ाई के लिए एक क्रांतिकारी श्रम संगठन के गठन के बारे में सोचने लगे। उस समय के श्रम संगठनों पर माफिया व दबंगों का नियंत्रण था। सत्तो दा ने वर्ष 1989 में मजदूर संगठन समिति नामक संगठन का निबंधन कराया। एक तरफ वे मजदूर संगठन समिति के काम-काज में बढ़-चढ़कर भाग लेते थे, तो दूसरी तरफ वकालत के क्षेत्र में भी अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज करवाते थे। वर्ष 1983 में सत्तो दा बोकारो बार एसोसिएशन के प्रथम अध्यक्ष चुने ग ए। 1983 से 1985 तक वे बोकारो बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे। 1997 से 2007 तक लगातार 10 वर्षों तक वे धनबाद बार एसोसिएशन के महासचिव रहे। वकालती क्षेत्र के अलावा उन्होंने धनबाद क्रिकेट एसोसिएशन के संरक्षक के रूप में अपने दायित्व का निर्वहन कर चुके हैं। आर्य व्यायामशाला कतरास के अध्यक्ष के अलावा डीएवी प्लस टू इंटर कॉलेज व महिला कालेज कतरासगढ़ में सचिव का पद पर रह चुके हैं। मजदूर संगठन समिति के बैनर तले उन्होंने तत्कालीन बिहार व पश्चिम बंगाल के कई हिस्सों में सफल व ऐतिहासिक मजदूर आंदोलन किया था। 7 फरवरी 2012 को सत्तो दा इस दुनिया से अलविदा हो गये और भारतीय क्रांति की राह में अमर शहीद की सूची में अपना नाम अंकित करा गये।

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