आयुर्वेद को बढ़ाने में लगा सशस्त्र सीमा बल 

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आयुर्वेद को बढ़ाने में लगा सशस्त्र सीमा बल 

35वीं वाहिनी एसएसबी गिरिडीह में आयुर्वेद दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित

डीजे न्यूज, गिरिडीह : 35वीं वाहिनी सशस्त्र सीमा बल (SSB) गिरिडीह के मुख्यालय परिसर में आयुर्वेद दिवस के अवसर पर मंगलवार को जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का शुभारंभ कमांडेंट संजीव कुमार की अगुवाई में हुआ।

मुख्य अतिथि डॉ. परमेश्वर महतो, आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी गिरिडीह ने आयुर्वेद के महत्व और इसके लाभों पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आयुर्वेद स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती के लिए मन, शरीर, आत्मा और पर्यावरण के बीच संतुलन पर आधारित है। आयुर्वेद का मुख्य उद्देश्य अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देना और बीमारियों को रोकना है, न कि केवल उनका इलाज करना।

डॉ. महतो ने बताया कि आयुर्वेद विश्व की सबसे पुरानी चिकित्सा प्रणालियों में से एक है, जिसका शाब्दिक अर्थ है “जीवन का ज्ञान”। यह प्रणाली लगभग 3 हजार वर्ष पहले भारत में विकसित हुई थी और इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली के रूप में मान्यता प्राप्त है।

कार्यक्रम के दौरान पी एल शर्मा उप कमांडेंट ने जवानों को संबोधित करते हुए आयुर्वेद की प्राचीन अवधारणाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि आयुर्वेद की शुरुआती अवधारणाएँ वेदों के उस हिस्से में पाई जाती हैं जिसे अथर्ववेद के नाम से जाना जाता है।

आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति की तुलना मॉडर्न मेडिसिन सिस्टम से नहीं की जा सकती, क्योंकि दोनों का शरीर पर काम करने का तरीका अलग-अलग होता है। एलोपैथिक दवाएं रोग से लड़ने के लिए डिजाइन की जाती हैं, जबकि आयुर्वेदिक औषधियां शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाकर रोग से लड़ने में मदद करती हैं।

इस अवसर पर वाहिनी के अधिकारी और कार्मिक बड़ी संख्या में उपस्थित थे। उन्होंने आयुर्वेद की महत्वता को समझते हुए इसके प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए संकल्प लिया। कार्यक्रम का समापन सभी जवानों के बीच आयुर्वेद के महत्व और इसके नियमित प्रयोग को प्रोत्साहित करने के संदेश के साथ हुआ।

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