सरना धर्म कोड के लिए सात अप्रैल से करेंगे बेमियादी भारत बंद : सालखन

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सरना धर्म कोड के लिए सात अप्रैल से करेंगे बेमियादी भारत बंद : सालखन 

राष्ट्रपति को पत्र लिखकर दी जानकारी 

डीजे न्यूज, रांची : आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर कहा है कि प्रकृति पूजक आदिवासियों को सरना धर्म कोड की मान्यता घोषणा 31 मार्च तक हो अन्यथा सात अप्रैल को भारत बंद, रेल- रोड चक्का जाम करने की जानकारी दी है।

राष्ट्रपति को लिखे पत्र में सालखन मुर्मू ने कहा है कि सरना धर्म कोड भारत के प्रकृति पूजक लगभग 15 करोड़ आदिवासियों के अस्तित्व, पहचान, हिस्सेदारी की जीवन रेखा है। मगर आदिवासियों को उनकी धार्मिक आजादी से वंचित करने के लिए कांग्रेस- बीजेपी दोषी हैं। 1951 की जनगणना तक यह प्रावधान था जिसे बाद में कांग्रेस ने हटा दिया और अब भाजपा जबरन आदिवासियों को हिंदू बनाना चाहती है। 2011 की जनगणना में 50 लाख आदिवासियों ने सरना धर्म लिखाया था जबकि जैन की संख्या 44 लाख थी। अतः आदिवासियों को मौलिक अधिकार से वंचित करना संवैधानिक अपराध जैसा है। सरना धर्म कोड के बगैर आदिवासियों को जबरन हिंदू, मुसलमान, ईसाई आदि बनाना धार्मिक गुलामी को मजबूर करना एवं धार्मिक नरसंहार जैसा है। सरना धर्म कोड की मान्यता मानवता और प्रकृति- पर्यावरण की सुरक्षार्थ भी अनिवार्य है।

 

आदिवासी सेंगेल अभियान अन्य आदिवासी संगठनों के सहयोग से 30 दिसंबर को सांकेतिक भारत बंद और रेल- रोड चक्का जाम को बाध्य हुआ था। 30 दिसम्बर के भारत बंद और रेल- रोड चक्का जाम का जोरदार असर अनेक प्रदेशों में हुआ। जिसपर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अमर उजाला, दिल्ली ने लिखा कि केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि सरना धर्म कोड की मान्यता के लिए रेल-रोड चक्का जाम के बदले उचित मंच पर संवाद सही है। अमर उजाला के अनुसार राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग, दिल्ली ने प्रकृति पूजक आदिवासियों को सरना धर्म कोड देने की सिफारिश की है। आदिवासी समाज उपरोक्त तथ्यों को सही दिशा में सकारात्मक पहल मानती है एवं इसका स्वागत करती है।

 

सालखन मुर्मू ने कहा है कि भारत के हम आदिवासियों के लिए यह कैसी विडंबना है कि देश के सर्वोच्च संवैधानिक महामहिम राष्ट्रपति के पद पर भी एक आदिवासी है। भारत के संविधान में धार्मिक आजादी की व्यवस्था मौलिक अधिकार है। हमारी संख्या मान्यता प्राप्त जैनों से ज्यादा है तब भी हमें धार्मिक आजादी से वंचित करना अन्याय, अत्याचार और शोषण नहीं तो क्या है ? आखिर हम जाएं तो कहां जाएं ? अतएव फिर 7 अप्रैल को भारत बंद, रेल- रोड चक्का जाम को हम मजबूर हैं, यदि 31 मार्च तक सरना धर्म कोड की मान्यता के लिए सभी संबंधित पक्ष कोई सकारात्मक घोषणा नहीं करते हैं। यह भारत बंद अनिश्चितकालीन भी हो सकता है। भारत के आदिवासियों को धार्मिक आजादी मिले इसके लिए आदिवासी सेंगेल अभियान सभी राजनीतिक दलों और सभी धर्म यथा हिंदू, मुसलमान, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध आदि के प्रमुखों से आग्रह करती है कि वे भी मानवता और प्रकृति- पर्यावरण की रक्षार्थ हमें सहयोग करें। महामहिम राष्ट्रपति जी, आपको संविधान सम्मत सरना धर्म कोड देना ही होगा।

 

7 अप्रैल से आहूत भारत बंद में सरना धर्म लिखाने वाले 50 लाख आदिवासी एवं अन्य सभी सरना धर्म संगठनों और समर्थकों को सेंगेल अपने-अपने गांव के पास एकजुट प्रदर्शन करने का आग्रह और आह्वान करती है। झारखंड विधानसभा में 11.11.2020 को धर्म कोड बिल पारित करने वाली सभी पार्टियों यथा जेएमएम, बीजेपी, कांग्रेस, आजसू आदि के कार्यकर्ताओं को तथा बंगाल से टीएमसी को भी सामने आना होगा वर्ना वे केवल वोट के लिए कार्यरत आदिवासी बिरोधी और ठगबाज ही प्रमाणित होंगे।

 

सरना धर्म स्थलों यथा मरांग बुरु (पारसनाथ, गिरिडीह), लुगु बुरु (बोकारो), अयोध्या बुरु (पुरुलिया) आदि को बचाने के लिए भी सेंगेल दृढ़ संकल्पित है। मान्य मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पिछले साल पांच जनवरी को पत्र लिखकर मरांग बुरु को जैनों को सौंप दिया है। अतः सेंगेल ने 10 दिसंबर को मधुबन,गिरिडीह में मरांग बुरु बचाओ सेंगेल यात्रा- सभा और 22 दिसंबर को दुमका के गांधी मैदान में हासा- भाषा विजय दिवस का सफल आयोजन किया है और संबंधित प्रस्ताव भी पारित किया है।

 

सेंगेल किसी पार्टी और उसके वोट बैंक को बचाने के बदले आदिवासी समाज को बचाने के लिए चिंतित है। चुनाव कोई भी जीते आदिवासी समाज की हार निश्चित है। आजादी के बाद से अब तक आदिवासी समाज हार रहा है, लूट मिट रहा है। विकास आदिवासियों के लिए विनाश ही साबित हो रहा है क्योंकि अधिकांश पार्टी और नेता के पास आदिवासी एजेंडा और एक्शन प्लान नहीं है। अंततः अभी तक हम धार्मिक आजादी से भी वंचित है। अतः फिलवक्त सरना धर्म कोड आंदोलन हमारी धार्मिक आज़ादी के साथ बृहद आदिवासी एकता और भारत के भीतर आदिवासी राष्ट्र के निर्माण का आंदोलन भी है। सेंगेल का नारा है- ” आदिवासी समाज को बचाना है तो पार्टियों की गुलामी मत करो, समाज की बात करो और काम करो। आदिवासी हासा, भाषा, जाति, धर्म, रोजगार आदि की रक्षा करो। मगर जो सरना धर्म कोड देगा आदिवासी उसको वोट देगा।

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