सरना धर्मकोड के लिए होगी आरपार की लड़ाई : सालखन

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डीजे न्यूज, धनबाद : आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने कहा है कि
भारत के लगभग 10 प्रतिशत आबादी आदिवासी हैं, जो अधिकांश हिंदू, मुसलमान, ईसाई आदि नहीं हैं। प्रकृति के साथ जीते हैं और प्रकृति की पूजा करते हैं। उनको संविधानसम्मत धार्मिक मान्यता देना- लेना लाजिमी है। अतएव आदिवासी सेंगेल अभियान ने सरना धर्म कोड की मान्यता मांग आंदोलन को 2022 के अंत तक ‘करो या मरो’ की तर्ज पर निर्णायक बनाने का निर्णय लिया है। भारत सरकार 20 नवंबर तक फैसला करे अन्यथा 30 नवंबर को झारखंड बंगाल बिहार उड़ीसा आसाम के 5 प्रदेशों में रेलरोड चक्का जाम को सेंगेल मजबूर है।
सरना धर्म कोड आंदोलन को व्यापक और तीव्र बनाने के लिए 20 सितंबर को भुवनेश्वर, 30 सितंबर को कोलकाता और अब झारखंड की राजधानी रांची में 18 अक्टूबर और असम की राजधानी गुवाहाटी में 4 नवंबर को धरना प्रदर्शन करने का फैसला लिया गया है। राज्यपालों के मार्फ़त राष्ट्रपति को ज्ञापन पत्र सौंपा जाएगा।
राजभवन रांची के समक्ष धरना प्रदर्शन होगा। सेंगेल प्रकृति पूजक धर्म की मांग करने वाले अन्य सभी नेताओं और संगठनों को रांची धरना प्रदर्शन में सादर आमंत्रित करता है। आशा है बंधन तिग्गा,डॉक्टर करमा उरांव, गीताश्री उरांव, कुन्द्रेशी मुंडा, निरंजना हेरेंज टोप्पो, फूलचंद तिर्की, सत्यनारायण लकड़ा, प्रेमशाही मुंडा, प्रोफेसर प्रवीण उराओं, लक्ष्मीनारायण मुंडा, अभय भुट् कुवंर, भुबनेश्वर लोहरा, डॉक्टर अरुण उरांव आदि और अन्य नेतागण शामिल होंगे। रांची राजभवन धरना में पांच प्रदेशों के सेंगेल प्रतिनिधि शामिल होंगे।

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