आदिवासी स्वशासन व्यवस्था के नाम पर हमले की हो जांच : सालखन
आदिवासी स्वशासन व्यवस्था के नाम पर हमले की हो जांच : सालखन
सालखन मुर्मू ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर की मांग, सिंहभूम के दो मामलों को उठाया
डीजे न्यूज, जमशेदपुर : आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर
किसी भी भारतीय नागरिक का मर्यादा के साथ जीने के अधिकार (अनुच्छेद 21) पर आदिवासी स्वशासन व्यवस्था के नाम पर हमला और जिला पुलिस प्रशासन के लाचार, कमजोर और संवेदनहीन होने के दो गंभीर मामलों की जांच और त्वरित कार्रवाई करने की मांग की है।
राष्ट्रपति को लिखे पत्र में सालखन मुर्मू ने बताया कि झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिला के गांव जुनबोनी, टोला- माटीयालडीह, थाना – धालभूमगढ़ में 2 जुलाई 2023 को निर्धारित लखन टुडू, पिता स्वर्गीय भागमत टुडू के शादी समारोह को गांव के माझी बाबा ( ग्राम प्रधान ) काला टूडू और अन्य द्वारा जबरन रोक देने की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। गांव की नाकेबंदी कर नागरिकों के आने-जाने पर जबरन रोक लगा देना। सब को मारने धमकाने का तांडव करना। अंततः पूर्व नियोजित शादी समारोह माझी- परगना व्यवस्था के नाम पर कुछ लोगों की जोर-जबर्दस्ती और गुंडागर्दी के कारण बाधित हो जाता है।
लाखन टूडू और रायसेन टूडू का परिवार चाहता था कि 2 जुलाई के शादी समारोह को हँड़िया- दारू एवं अन्य नशा के सेवन के बगैर निर्मल जल से संपादित किया जाए। जिस पर ग्राम प्रधान एवं अन्य लोग पारंपरिक आदिवासी स्वशासन व्यवस्था के नाम पर इसे जबरन होने नहीं दिया। अब पता चलता है कि लखन टुडू और रायसेन टूडू के परिवार को डरा धमका कर बंधक बना लिया गया है। उनसे ₹70000 डंडोंम (जुर्माना) लेकर अपने साथ गुलाम की तरह जीने को मजबूर किया हुआ है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है, जांच का विषय है। प्रथा, परंपरा, रूढ़ि आदि के नाम पर क्या कोई भी समाज या संगठन किसी भारतीय नागरिक के मर्यादा के साथ जीने के मौलिक अधिकार पर हमला बोल सकता है ?
2 जुलाई की गुंडागर्दी के खिलाफ आदिवासी सेंगेल अभियान के केंद्रीय संयोजक बिमो मुर्मू और पूर्वी सिंहभूम जिला सेंगेल परगाना जूनियर मुर्मू जिले के उपायुक्त महोदया विजया जाघव से 3 जुलाई को मिलकर एक शिकायत पत्र प्रदान किया। जिस पर उन्होंने त्वरित कार्रवाई का आदेश जारी किया परंतु अबतक बेकार साबित हुआ है। लखन टुडू के भाई रायसेन टुडू ने धालभूमगढ़ थाना प्रभारी को 1 जुलाई को पत्र लिख कर सहयोग की कामना किया था। मगर बेकार सिद्ध हुआ।
दूसरा मामला परमेश्वर टुडू, पिता स्वर्गीय शिवचरण टूडू, ग्राम बघुड़िया, टोला- भूरूडंगा,पोस्ट- केसरपुर, थाना गालूडीह, पूर्वी सिंहभूम जिला के संपूर्ण परिवार के सामाजिक बहिष्कार के प्रताड़ना का है। परमेश्वर टुडू ने सीनियर एसपी को 22 जून को एसडीओ, घाटशिला सबडिवीजन को 22 जून और 20 जुलाई तथा धालभूमगढ़ थाना प्रभारी को 11जून को शिकायत पत्र दिया है। परंतु सब बेकार प्रमाणित हुआ है। परमेश्वर टुडू के खिलाफ माझी बाबा (ग्राम प्रधान) सुनील कुमार टुडू, पिता स्वर्गीय कंदरा टुडू एवं अन्य ने जुर्माना लगाया है ₹4500, एक खस्सी, 40 किलो चावल, हल्दी तेल मसाला आदि। नहीं दे पाने के कारण परमेश्वर टुडू के संपूर्ण परिवार का सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया है। हुक्का पानी बंद है, जीना दूभर हो गया है। यह मामला भी प्रथा, परंपरा रूढ़ि आदि के नाम पर (आदिवासी स्वशासन व्यवस्था के नाम पर) एक जुल्म है, अपराध है।
ज्ञातव्य हो कि आदिवासी बहुल क्षेत्रों में आदिवासी स्वशासन व्यवस्था (माझी परगना, मानकी मुंडा आदि) के नाम पर स्वशोषण जारी है। अधिकांश आदिवासी गांव- समाज में डंडोंम (जुर्माना), बारोन (सामाजिक बहिष्कार), डान पनते ( डायन शिकार ) के अलावा नशापान, अंधविश्वास, महिला विरोधी मानसिकता, वोट की खरीद बिक्री, परंपरा के नाम पर वंशानुगत आदिवासी प्रधानों की नियुक्ति जारी है। जारी आदिवासी स्वशासन व्यवस्था में जनतंत्र, संविधान, कानून, मानव अधिकारों का घोर उल्लंघन व्यापक है। कोल्हान क्षेत्र में इसकी रोकथाम के लिए हमारे नेतृत्व में आदिवासी सेंगेल अभियान का एक प्रतिनिधिमंडल जिसमें सुमित्रा मुर्मू, सूबेदार बिरूवा, महती पूर्ति, चारण चतर ने कोल्हान प्रमंडल, झारखंड के कमिश्नर मनोज कुमार से 10 जुलाई को चाईबासा में मुलाकात कर इसके न्यायोचित कानूनी समाधान का आग्रह किया है।
उपरोक्त दोनों मामले टिप ऑफ द आईसबर्ग की तरह हैं। इन गंभीर मामलों पर जांच उपरांत उचित त्वरित कार्रवाई की जाए। चूंकि आदिवासी गांव- समाज में ऐसे अनेक मामले प्रतिदिन नागरिकों के मर्यादा के साथ जीने के अधिकार पर हमला करते हैं।