कुर्मी समाज के रेल रोको आंदोलन का आदिवासी समाज में होगा रिएक्शन : सालखन मुर्मू

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डीजे न्यूज, रांची : आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने कहा है कि कुर्मी जाति को
एसटी में शामिल करने के लिए कुर्मी समुदाय फिर से रेल का चक्का जाम करेंगे। वह ऐसा कर सकते हैं। जन आंदोलन करने का सबको अधिकार है, मगर इस एक्शन के खिलाफ आदिवासी समाज में व्यापक रिएक्शन लाजिमी है। आदिवासी सेंगेल अभियान के अनुसार कुरमी जाति को एसटी बनाने के लिए जेएमएम सर्वाधिक दोषी है। इस पार्टी ने केवल वोट की लालच और स्वार्थ के लिए आदिवासी विरोधी फैसला लेकर कुरमी जाति को एसटी बनाने का समर्थन देकर उन्हें भड़काने का काम किया है। 8 फरवरी 2018 को जेएमएम के सभी सांसद व विधायकों ने हेमंत सोरेन के नेतृत्व में हस्ताक्षरित ज्ञापन तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास, झारखंड को दिया था। जेएमएम का यह फैसला बिल्कुल आदिवासी विरोधी है। आदिवासियों के नरसंहार का रास्ता प्रशस्त करता है। अतः आदिवासी सेंगेल अभियान जेएमएम का घोर विरोध करता है, निंदा करता है। आदिवासियों के भोलेपन और राजनीतिक कुपोषण का बेजा फायदा उठाकर झामुमो आदिवासियों का सर्वाधिक नुकसान कर रहा है। आदिवासी समाज का दुर्भाग्य है, जाने-अनजाने झामुमो की “बी टीम” की तरह कार्यरत माझी परगना महाल, आसेका, संताली लेखक संघ और पंडित रघुनाथ मुर्मू से जुड़े अनेक सामाजिक संगठन, लुगु- बुरु कमिटी आदि आंख मूंदकर झामुमो को समर्थन देकर अपनी कब्र खोदने का काम खुद करते हैं। सरना धर्म कोड पर टालमटोल और 1932 के खतियान पर आधारित स्थानीयता के अव्यवहारिक मामले पर भी झामुमो ने आदिवासी समुदाय को ठगने का ही काम किया है।
कुरमी मुद्दे पर जब तक जेएमएम अपनी पूर्व अनुशंसा और स्टैंड नहीं बदलेगा,झामुमो का विरोध जारी रहेगा। झामुमो वास्तव में आदिवासी विरोधी पार्टी है। केवल वोट और नोट की राजनीति करती है।आदिवासी समाज हित में कुछ भी नहीं करती है। सेंगेल झामुमो के खिलाफ सामाजिक और राजनीतिक जन जागरण के कार्यक्रम को व्यापक करेगी। जरूरत पड़ेगी तो आदिवासी हित में झामुमो विरोधी राजनीतिक दलों से बातचीत करेगी। कारण, यह मुद्दा अब राजनीतिक मुद्दा बन चुका है।

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