मरांग बुरु और लुगु बचाने सालखन मुर्मू ने किया शंखनाद

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मरांग बुरु और लुगु बचाने सालखन मुर्मू ने किया शंखनाद

शिबू और हेमंत पर साधा निशाना

डीजे न्यूज, चंद्रपुरा, बोकारो : आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने कहा है कि पिता- पुत्र शिबू सोरेन व हेमंत सोरेन के पांच बार मुख्यमंत्री बनने के बावजूद आदिवासियों का हासा, भाषा, जाति, धर्म, रोजगार आदि खतरे में है। इन्होंने मरांग बुरु (पारसनाथ पहाड़, गिरिडीह जिला) को 5 जनवरी को पत्र लिखकर जैनों के हाथ सौंप दिया। अब लुगु बुरु (लालपनिया, बोकारो जिला) में हाईडल पावर प्रोजेक्ट और पर्यटन स्थल बनाकर संताल आदिवासियों के महान धर्मस्थल को खतरे के मुहाने पर खड़ा कर दिया है। सालखन मुर्मू बुधवार को यहां मीडिया से बातचीत कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि

झामुमो के सांसद/ विधायक खुद संताली भाषा और उसकी ओल- चिकी लिपि का विरोध करते है राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त एकमात्र बड़ी आदिवासी भाषा संताली को झारखंड का राजभाषा बनाने के खिलाफ भी हैं। कुर्मी- महतो जाति को 8 फरवरी 2018 को आदिवासी- ST बनाने की वोट बैंक के लालच में अनुशंसा कर असली आदिवासियों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। 1932 का झुनझुना थमा कर सबको बेवकूफ बना रहे हैं। पारिवारिक स्वार्थों के लिए सीएनटी एसपीटी कानूनों का खुद गला घोट रहे हैं। अब चुनावी मौसम में सोरेन परिवार अपने पॉकेट सामाजिक संगठनों यथा लुगु बुरू कमिटी, माझी परगाना महाल, असेका, हूल बैसी, संथाली लेखक संघ आदि के मार्फत आदिवासी समाज को दिग्भ्रमित करने का आखिरी दावं खेल रहे हैं। बैजू मुर्मू- घाटशिला, बाबली सोरेन- लालपनिया, दुर्गा चरण मुर्मू- जमशेदपुर, रामलाल मुर्मू- पीरटांड़ आदि सोरेन खानदान के लिए बैटिंग करते हैं ना कि आदिवासी समाज के लिए। ये लोग लुगु बुरु, मरांग बुरु और ओल चिकि बचाने के नाम पर झामुमो के वोट बैंक को बचाने का काम करते हैं। हूल वैसी के नाम से 4 जुलाई को अचानक झारखंड बंद किया था। फिर सब गायब हो गए हैं। अब 5 नवंबर को लुगु बुरु में सोरेन खानदान के खर्चे पर विरोध प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं। विरोध क्यों और किसके खिलाफ बताना चाहिए ? उल्टे चोर कोतवाल को डांटे की कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं।

सालखान मुर्मू ने कहा कि उन्होंने 28 अक्टूबर को प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर अवगत किया है कि भारत के प्रकृति पूजक आदिवासियों को अविलंब सरना धर्म कोड की मान्यता देकर धार्मिक आजादी प्रदान करें। जिसके लिए 8 नवंबर को सरना धर्म कोड जनसभा- रांची में लाखों आदिवासी एकजुट हो रहे हैं। प्रधानमंत्री से गुहार है कि आदिवासियों के महान धार्मिक स्थलों यथा मरांग बुरु, लुगु बुरु, अयोध्या बुरु आदि को भी सुरक्षित करें। अन्यथा 8 दिसंबर को भारत बंद किया जाएगा। रेल रोड चक्का जाम होगा। 29 अक्टूबर को अयोध्या बुरु, बाघमुंडी प्रखंड पुरुलिया जिला जाकर अयोध्या पहाड़ के उपर तिलियाबासा ग्राम में एक बड़ी जनसभा को संबोधित किया है।

आज एक नवंबर को “8 नवंबर- राँची चलो” के आह्वान के साथ चंद्रपुरा, बोकारो जिला में लुगु बुरु बचाने तथा दो नवंबर को मरांग बुरु को मधुबन, गिरिडीह में बचाने के उद्देश्य से आदिवासी समुदाय से मिलकर बातचीत करेंगे। साथ ही सोरेन परिवार के छद्म नेताओं का पर्दाफाश भी करेंगे।

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