शास्त्रीनगर में हुई थी सहिया पुष्पा की हत्या, प्रेमी की जमानत पर सुनवाई पूरी
डीजे न्यूज, गिरिडीह : सहिया पुष्पा हत्याकांड में जेल में बंद आरोपित उमेश राणा के जमानत पर सुनवाई पूरी हो गई है। जिला जज नवम नीरजा आश्री की अदालत में बुधवार को जमानत पर सुनवाई शुरू हुई। न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आदेश की तारीख मुक़र्रर की है।आरोपित उमेश के जमानत पर बहस करते हुए अधिवक्ता ने न्यायालय को बताया कि हत्या में उसका कोई हाथ नही है। एक भी चश्मदीद ने हत्या होते नहीं देखा है और न ही किसी गवाह ने इस आरोपित के बारे में हत्या में शामिल होने की बात कही है। बताया कि पुलिस इस मामले में आरोप पत्र दाखिल कर चुकी है। जिसका बेसिस सिर्फ आरोपित का स्वीकारोक्ति बयान है। यह कानूनन मान्य नही होता है। उधर जमानत का विरोध करते हुए सूचक के अधिवक्ता ने कहा हत्या के बाद आरोपित उमेश मृतका के शव को ले जाने में साथ दिया था। जिसका मकसद साक्ष्य को मिटाना था। इस बात का जवाब देते हुए बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने कहा साक्ष्य छुपाना जमानतीय धारा की श्रेणी में आता है। उसे जमानत मिलनी चाहिए।न्यायालय ने दोनों पक्षों के बहस को सुनने के बाद आदेश के लिए तारीख निर्धारित किया है।
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प्रेमिका का दूसरे मर्दो से अवैध संबंध बर्दाश्त नही कर पाया था प्रेमी
-अवैध प्रेम संबंध से उपजे विवाद, फिर अपराध की ओर किस प्रकार से व्यक्ति जाता है, इस मामले में देखने को मिला है। इस कांड का मुख्य आरोपित पंकज राणा ने पुलिस को दिए स्वीकारोक्ति बयान में बताया था।जिसे पुलिस ने मामले के आरोप पत्र में मुख्य हथियार बनाई है।इस मामले में कोई भी चश्मदीद नहीं है।आरोपित का स्वीकारोक्ति बयान और जब्त सामान ही साक्ष्य के रूप में है।आरोपित पंकज राणा ने पुलिस को दिए जुर्म कबूलनामे में बताया था कि वह मेडिकल क्षेत्र में है।गांव-गांव घूमकर लोगो का इलाज करता था। इस दौरान सहिया से उसकी दोस्ती हो गई।दोनों में अवैध रिश्ता कायम हो गया। बताया कि वह सहिया को आर्थिक रूप से काफी मदद करता था। फिर उसकी प्रेमिका सहिया के अन्य लोगों के साथ भी संबंध बन गए थे।जिसे प्रेमी पंकज बर्दाश्त नही कर पाया। प्रेमिका उसे भी छोड़ना नहीं चाहती थी और दूसरे से भी संबंध रखना चाहती थी। साजिश रचकर उसे रास्ते से हटाना चाहा।घटना के दिन बीते 28 दिसंबर को गिरिडीह के शास्त्रीनगर स्थित किराए के मकान में दोनों मिले। पंकज की मंशा पहले ही तय थी। पंकज ने बताया था कि उस मकान में पहले दोनों में झगड़ा हुआ। फिर दोनों ने संबंध बनाए। फिर दर्द का इंजेक्शन बताकर पंकज ने बेहोशी का इंजेक्शन सहिया को लगाया। बेहोश होने पर प्लास्टिक की रस्सी से उसकी गला घोंटकर हत्या कर दी थी। हत्या के बाद उसके शव को ठिकाना लगाना था।पंकज खुद चारपहिया वाहन नहीं चलाना जनता था। वह अपना घर कुरहो बिंदो जाकर अपने भतीजे उमेश को लेकर शास्त्रीनगर आया।कार से सहिया के शव को लेकर झारो नदी के पास गया।पहले से दस लीटर पेट्रोल लिया हुआ था।जिसे मृतका के शव में छिड़क कर आग लगा दी थी। पुलिस ने अधजली शव बरामद की थी।वही आरोपित पंकज ने मृतका के मोबाइल और सोने के कान बाली भी अपने पास रख लिया था।जिसे पुलिस ने बरामद की थी। मृतका के पति ने पुलिस को बताया था कि पंकज उसके घर आता जाता था और उसकी पत्नी से बात करता था।इस आधार पर पुलिस ने अनुसंधान शुरू किया।पुलिस की सख्ती से आरोपित टूट गया और जुर्म को कबूल किया था।