मुख्यमंत्री दाल-भात योजना पर भारी है रोटरी का प्यार बांटते चलो अभियान

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मुख्यमंत्री दाल-भात योजना पर भारी है रोटरी का प्यार बांटते चलो अभियान
-किशोर कुमार की गीत प्यार बांटते चलो को चरितार्थ कर रहा रोटरी क्लब, महज पांच रूपये में गरीबों को मिल रहा भरपेट भोजन
डीजे न्यूज, गिरिडीह : प्रसिद्ध प्ले बैक सिंगर किशोर कुमार की गीत प्यार बांटते चलो, क्या हिंदू क्या मुसलमान, हम सब है भाई-भाई को रोटरी क्लब गिरिडीह पूरी तरह से चरितार्थ कर रहा है। रोटरी क्लब ने किशोर कुमार की इस गीत से प्रेरित होकर ही अपने प्रोजेक्ट का नम प्यार बांटते चलो रखा है। करीब दो साल से रोटरी का यह प्रोजेक्ट शहर में सफलतापूर्वक चल रहा है। गरीबों व मजदूरों के बीच यह प्रोजेक्ट काफी लोकप्रिय है। झारखंड सरकार की मुख्यमंत्री दाल-भात योजना पर रोटरी क्लब गिरिडीह का प्यार बांटते चलो प्रोजेक्ट भारी पड़ रहा है। जिला प्रशासन को रोटरी के ऐसे सेंटरों से प्रेरणा लेने का निर्देश अपने अधिकारियों को देना चाहिए। इससे जिले के गरीबों का भला होगा।
क्या है प्यार बांटते चलो प्रोजेक्ट : रोटरी क्लब के इस प्रोजेक्ट के तहत शहर के बड़ा चौक जैन मंदिर एवं रोटरी क्लब भवन के पास महज पांच रूपये में भरपेट भोजन की सुविधा उपलब्ध है। वैसे गरीब जिनके पास पैसे नहीं है, उन्हें निश्शुल्क भोजन इन दोनों जगहों पर कराया जाता है। शहर के समाजसेवी एवं रोटरी क्लब के इस प्रोजेक्ट के चेयरमैन राजेश जालान ने देवभृूमि झारखंड न्यूज को बताया कि दोनों जगहों पर करीब दो सौ से अधिक लोग प्रतिदिन यहां पौष्टिक भोजन करते हैं। सप्ताह में एक दिन पूड़ी-सब्जी के साथ बुंदिया भी खिलाया जाता है। पांच रूपये की राशि इसलिए ली जाती है कि कई लोगों को निश्शुल्क भोजन करना पसंद नहीं होता है। उनकी भावना का कद्र करते हुए पांच रूपये की राशि ली जाती है।
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आप भी बन सकते हैं प्यार बांटते चलो का हिस्सा : प्यार बांटते चलो के चेयरमैन राजेश जालान ने बताया कि कई लोग अपना जन्मदिन एवं शादी की सालगिरह इस मुहिम के साथ जुड़कर मनाते हैं। महज 3100 रुपये खर्च कर यहां आप 90 पैकेज भोजन दान दे सकते हैं। इससे करीब 25 प्रतिशत का सहयोग संस्था का एक दिन में हो जाता है। राजेश जालान ने समाज के लोगों से इस मुहिम में जुड़ने की अपील की है।
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कागजों में चल रहा मुख्यमंत्री दाल-भात सेंटर :
झारखंड सरकार गरीबों एवं मजदूरों को पांच रुपये में भरपेट भोजन उपलब्ध कराने के
लिए मुख्यमंत्री दाल-भात सेंटर चला रही है। जगह-जगह ऐसे सेंटर खोले गए हैं। इसकी पड़ताल करने पर यह सच्चाई सामने आई है कि कई सेंटर कागजों पर चल रहे हैं। लाभान्वित होने वालों की संख्या कागजी है। भोजन की गुणवत्ता भी बेहद खराब है। यह हालत तब है, जब सरकार इन सेंटरों के संचालकों को सब कुछ रियायती दर पर उपलब्ध कराती है।

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