राजधनवार का विनोद रोजगार के 15 दिन पहले गया था मुंबई, तबीयत बिगड़ने से हो गई मौत
राजधनवार का विनोद रोजगार के 15 दिन पहले गया था मुंबई, तबीयत बिगड़ने से हो गई मौत
झारखंडी एकता संघ के सहयोग से गांव लाया गया शव
डीजे न्यूज, राजधनवार, गिरिडीह
गिरिडीह : रोजगार की तलाश में दूसरे राज्य जाने वाले झारखंड के प्रवासी मजदूरों की मौत का सिलसिला नहीं थम रहा है। गिरिडीह जिले के धनवार थाना क्षेत्र के अंतर्गत पुरनाडीह मुरैना निवासी स्व• मोहन राय के 25 वर्षीय पुत्र विनोद कुमार राय की कांदिवली में 19 जुलाई को मौत हो गई। विनोद कुमार राय की तबीयत अचानक बिगड़ गई थी। बेहतर इलाज के लिए उसे 2 दिन पहले शताब्दी हॉस्पिटल कांदिवली में भर्ती कराया गया था। जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। मौत की सूचना मिलते ही गांव में मातम छा गया। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। जानकारी के अनुसार विनोद कुमार राय 15 दिन पहले ही रोजगार की तलाश में मुंबई के कांदिवली गया था। मुंबई में विनोद कुमार राय दिहाड़ी मजदूरी का काम करता था और अपने परिवार का भरण पोषण करता था। विनोद कुमार राय का 3 महीना पहले ही विवाह हुआ था। वहीं इस घटना की सूचना मृतक के परिजनों ने 19 वर्षों से प्रवासी मजदूरों के हितार्थ में कार्य करने वाली संस्था झारखंडी एकता संघ बोरीवली एवं वर्ली इकाई के अध्यक्ष भीम कुमार गुप्ता और उमेश कुमार यादव को दिए। शव को गांव ले जाने में मदद की अपील किए। संघ के पदाधिकारियों ने मृतक के परिवार वालों को ढांढस बंधाया और हर संभव मदद का भरोसा दिलाया। झारखंडी एकता संघ बोरीवली इकाई अध्यक्ष भीम कुमार गुप्ता उर्फ भीम साव, विजय सिंह, मुकेश सिंह, राजेश राय, सुरेश चोधरी, मंटू मोदी, टुनटुन विश्वकर्मा, मोहम्मद इलियास अंसारी, मुमताज अंसारी, विकास कुमार साव, रेलवे यासमुद्दीन अंसारी, निजाम इराकी, शमीम अंसारी, समीर अंसारी, राजकुमार साव आदि तत्काल शताब्दी हॉस्पिटल कांदिवली पहुंचे और पार्थिव शरीर को गांव भेजने में आर्थिक सहयोग के साथ काफी मदद किए। मौत को लेकर संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष असलम अंसारी, राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष फिरोज आलम, उपाध्यक्ष सलीम अंसारी, सदरुल शेख़, विनोद प्रसाद, ताज हसन अंसारी, संतोष कुमार, असगर खान, तौफीक अंसारी, प्रकाश यादव, राजेंद्र शर्मा, रवि कुमार, मुस्तकीम अंसारी और मुन्ना प्रसाद आदि ने दुःख प्रकट करते हुए कहा, कि झारखंड के प्रवासी मजदूरों का मौत के मुंह में समा जाने की यह पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी कई प्रवासी मजदूरों की मौतें देश एवं विदेशों में हो चुकी है। प्रवासी मजदूरों के साथ किसी तरह का हादसा एवं किसी तरह की समस्या आ जाती है तो झारखंड प्रदेश के विधायक, सांसद व मंत्री प्रवासी मजदूरों को किसी तरह का कोई मदद नहीं करते हैं। मदद के नाम पर सिर्फ आश्वासन दिया जाता है। झारखंड सरकार प्रवासी मजदूरों के हित में कुछ भी पहल नहीं कर पा रही है। झारखंड प्रदेश खनिज संपदा से मालामाल होने के बावजूद आज झारखंड प्रदेश के मजदूरों का पलायन लगातार दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। संस्था झारखंडी एकता संघ अब तक लगभग 269 प्रवासी मजदूरों का शव गांव झारखंड भेज चुकी है। संघ 19 वर्षो से सरकार से प्रवासी कल्याण आयोग के गठन की मांग कर रहा है। जिससे प्रदेश के बाहर रोजगार के लिए गए प्रवासी मजदूरों का सुरक्षा एवं सहायता मिल सके। इस पर भी पूर्व सरकारों की तरह वर्तमान सरकार भी कुछ नहीं सोच रही है जो हम झारखंडियों के लिए दुर्भाग्य की विषय है।