राहुल का सरना धर्म कोड की मान्यता की घोषणा स्वागतयोग्य : सालखन
राहुल का सरना धर्म कोड की मान्यता की घोषणा स्वागतयोग्य : सालखन
आदिवासी सेंगेल अभियान ने भाजपा-कांग्रेस दोनों पर साधा निशाना
डीजे न्यूज, गिरिडीह : आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने प्रेस बयान जारी कर बताया कि फिलवक्त वह बीमारी से उबर रहे हैं और दिल्ली में हैं। मगर आदिवासियों के प्रति अपनी लगाव और सच्ची प्रतिबद्धता के कारण लोकसभा चुनाव पर खासकर झारखंड में आदिवासियों की राजनीतिक हालत पर एक टिप्पणी की है। सालखन मुर्मू ने कहा है कि अधिकांश मीडिया में अभी सिर्फ एनडीए बनाम इंडिया की बात हो रही है। उनके पास आदिवासियों के लिए ज्यादा स्थान नहीं बचता है। अंततः कोई भी पक्ष वर्तमान चुनाव में जीते आदिवासियों की हार निश्चित है। कारण, दोनों ही पक्षों के पास आदिवासियों का पक्ष या एजेंडा नदारद है। आदिवासी केवल वोट बैंक बनकर रह गए हैं। खुद आदिवासी नेता भी आदिवासियों के सवाल पर इमानदार नहीं दिखते हैं।
सालखन मुर्मू ने कहा कि झारखंड, बंगाल, ओडिशा, बिहार, असम आदि प्रदेशोँ में कोई भी पार्टी चुनाव जीते मगर आदिवासियों की हार निश्चित है। अतः सेंगेल किसी पार्टी को बचाने की जगह समाज को बचाने के लिए प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने चुनाव प्रचार में सरना धर्म कोड की मान्यता का घोषणा की है। आदिवासी सेंगेल अभियान इसका स्वागत करता है। सालखन ने सरना धर्म कोड नहीं देने के लिए भाजपा पर निशाना साधा। कहा कि इसका लाभ हेमंत सोरेन की पार्टी को मिल सकता है। अन्यथा अब तक आदिवासियों का सर्वाधिक वोट लेकर झामुमो ने आदिवासियों को ही सर्वाधिक छला है।
आदिवासी एजेंडा अर्थात हासा (भूमि,सीएनटी एसपीटी कानून बचाना), भाषा ( झारखंड में संताली को राजभाषा बनाना ), जाति (आदिवासी हितों के खिलाफ कुर्मी को एसटी बनाने पर रोक), धर्म ( सरना कोड और मरांग बुरु को जैनों से मुक्ति) तथा रोजगार ( डोमिसाइल, आरक्षण ) और संवैधानिक अधिकार आदि बचाना है।