प्रशासन और सिस्टम पर जनता का बढ़ा भरोसा : नमन प्रियेश 

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प्रशासन और सिस्टम पर जनता का बढ़ा भरोसा : नमन प्रियेश 

 

गिरिडीह के उपायुक्त नमन प्रियेश लकड़ा से देवभूमि झारखंड न्यूज की प्रभारी सुष्मिता गुड़िया ने विशेष बातचीत की है। सुष्मिता ने उपायुक्त नमन प्रियेश लकड़ा से गिरिडीह जिले को आगे ले जाने के लिए उनकी योजनाएं और चुनौतियां समेत विभिन्न बिंदुओं पर विस्तार से जानने की कोशिश की है। प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश : 

 

 

सवाल : आपके नेतृत्व में गिरिडीह जिले में लोकसभा चुनाव, गांडेय विधानसभा उप चुनाव और अब विधानसभा चुनाव शांतिपूर्वक और पूरी निष्पक्षता से संपन्न हुआ। संभवत: पहली बार आपको अपने नेतृत्व में चुनाव कराने का मौका मिला होगा। जब यह जिम्मेवारी मिली, आप कैसा अनुभव कर रहे थे। गिरिडीह जैसे संवेदनशील जिले में इतनी शांतिपूर्ण और निष्पक्ष चुनाव कराने में जो सफलता मिली, वह कैसे संभव हो सका। 

 

जवाब : इन तीन चुनावों के पूर्व 2022 में मैंने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव जिला निर्वाचन पदाधिकारी के रूप में गिरिडीह में कराया था। इसके पूर्व मैंने 2017 में उप विकास आयुक्त गढ़वा के तौर पर लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव में अपनी सहभागिता निभाई थी। निष्पक्ष एवं शांतिपूर्वक चुनाव के लिए पूरी टीम के साथ-साथ गिरिडीह की जनता बधाई के पात्र हैं। चुनाव आयोग एवं मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने बेहतर योजना बनाई थी। कई चरणों में तैयारियों की समीक्षा हुई। कुल मिलाकर बेहतर तैयारी कराई गई। विभिन्न कोषांगों ने बेहतर काम किया। इसका नतीजा हुआ कि लोकसभा एवं विधानसभा दोनों चुनाव निष्पक्ष एवं शांतिपूर्वक हो सका। 

 

सवाल :  गिरिडीह अति नक्सल प्रभावित जिलों में से एक है। आपके कार्यकाल में नक्सली गतिविधियों पर अंकुश लगी है। नक्सलवाद से कैसे निपटा जा सकता है। इसके लिए गिरिडीह जिले में क्या-क्या प्रयास हो रहे हैं।

 

जवाब : कुछ समय पूर्व तक गिरिडीह राज्य के नौ अति नक्सल प्रभावित जिलों में शामिल था। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अब इसकी परिभाषा बदल दी है। पुलिस प्रशासन, एसएसबी, सीआरपीएफ समेत विभिन्न बटालियन गिरिडीह में प्रतिनियुक्त हैं जो लगातार यहां काम कर रहे हैं। सरकार की महत्वकांक्षी योजनाओं को दूरस्थ इलाकों में लागू किया गया। दूरस्थ इलाकों में आधारभूत संरचनाएं मजबूत की गई। इसका परिणाम है कि पिछले तीन सालों में यहां कोई बड़ी नक्सली घटना नहीं घटी। प्रशासन-सिस्टम और लोकतंत्र पर जनता का विश्वास बढ़ने का यह सुखद परिणाम है। 2019 के बाद 2024 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव हुए। अाधारभूत संरचना मजबूत होने के कारण सुदूर बूथों में मतदानकर्मी, फोर्स आसानी से पहुंचा। बीएलओ ने भी बेहतर काम किया। हमने नक्सल प्रभावित क्षेत्र के एक भी बूथ को मतदान के लिए अंयत्र स्थानांतरित नहीं किया। वोट प्रतिशत भी बढ़ा। महापर्व लोकतंत्र में सहभागिता के लिए गिरिडीह की जनता भी बधाई के पात्र हैं। 

 

सवाल : गिरिडीह जिले में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए क्या योजनाएँ हैं?

 

जवाब : गिरिडीह जिले में पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं। गिरिडीह को एक पर्यटनस्थल के रूप में विकसित करने पर काम कर रहे हैं। यहां धार्मिक और पर्यावरण तथा प्रकृति के स्तर पर भी पर्यटन के लिए बड़ा अवसर है। पर्यटन स्थल को हम चार भागों अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय, प्रांतीय और जिला स्तर पर बांटकर देखते हैं। खंडोली डैम, वाटर फॉल, हरिहरधाम, झारखंडधाम, उदनाबाद समेत जिले के चारों अनुमंडल में कई बेहतरीन पर्यटन स्थल हैं। इन स्थलों को विकसित किया जा रहा है। जिला पर्यटन संवर्धन परिषद में पर्यटन स्थल की योजनाओं को पारित कर राज्य परिषद में भेजा जाता है। वहां से कई योजनाएं स्वीकृत भी हुई है। पर्यटन के साथ-साथ हम खेलकूद को भी बढ़ावा देने पर काम कर रहे हैं। सरकार से हमें बैंडमिटन के लिए तीन इंडोर स्टेडियम मिला है। सभी प्रखंडों में स्टेडियम बनाए गए हैं। 

 

सवाल : गिरिडीह जिले के विकास के लिए आपकी प्राथमिकताएं क्या हैं?

 

जवाब : गिरिडीह जिले में विकास योजनाओं को जमीन पर उतारा जा रहा है। मनरेगा से सुदूर इलाकों में विकास कार्य हो रहे हैं। गिरिडीह झारखंड का सबसे बड़ा ग्रामीण जिला है। इस कारण हमारा दायित्व भी अधिक है। सबसे बड़ा ग्रामीण जिला होने के कारण अबुआ आवास बड़े स्तर पर हमारे यहां बनाए जाने हैं। अंबेडकर आवास का भी निर्माण यहां होता है। किसानों के लिए कई महत्वकांक्षी योजनाएं धरातल पर उतारी गई हैं। जल छाजन, भूमि संरक्षण, डीप बोरिंग, तालाब जीर्णोद्धार का कार्य कर किसानों को लाभ पहुंचाया जा रहा है। ग्रामीण इलाकों में सड़कों का निर्माण बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। मुख्यमंत्री मंइयां सम्मान योजना, कन्यादान योजना समेत कई कल्याणकारी योजनाएं चल रही हैं। हम अपने सिस्टम प्रखंड और अनुमंडल स्तर पर और मजबूत कर रहे हैं। सरकार आपके द्वार योजना काफी लाभदायक साबित हुई है। विभिन्न कैंपों एवं जनता दरबार में जो आवेदन आ रहे हैं, उसका प्राथमिकता से निष्पादन किया जा रहा है। उपायुक्त होने के नाते मैंन अपने सहकर्मियों से अपील करना चाहता हूं कि वर्क कल्चर को और बेहतर करें ताकि विभिन्न योजनाओं को और मजबूती से हम लागू कर सकें। 

 

               

 सवाल : स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में जिले में क्या-क्या सुधार किए गए हैं और भविष्य में क्या योजनाएं हैं?

 

जवाब : स्वास्थ्य विभाग में सुधार के लिए लगातार काम हो रहा है। आधारभूत संरचना मजबूत हुई है। सदर अस्पताल के अलावा प्रखंडों में 12 स्वास्थ्य ईकाई है। इसके अलावा प्राइमरी और हेल्थ सब सेंटर के रूप में आयुष्मान आरोग्य भवन हैं। जिला हेल्थ सोसाइटी जो भी संसाधन की अनुशंसा की है, लगभग उसे हमने पूरा किया है। सदर अस्पताल में ब्लड सेपरेशन यूनिट, अल्ट्रा साउंड और डायलिसिस की सुविधा मुहैया कराई गई है। हमारे कई बच्चे थैलिसिमिया से पीड़ित हैं, इस कारण यहां रक्त की कमी रहती है। इसे दूर करने के लिए बराबर जिला से लेकर प्रखंड स्तर पर रक्तदान शिविर लगाए जाते हैं। गिरिडीह में मैं खुद अब तक दस बार रक्तदान कर चुका हूं। स्वास्थ्य और समाज कल्याण विभाग के बीच समन्वय जरूरी है। वर्क कल्चर मजबूत करने का प्रयास हो रहा है। विशेषज्ञ चिकित्सकों को सदर अस्पताल में लाए हैं। 

 

सवाल : शिक्षा के क्षेत्र में गिरिडीह जिले में क्या प्रमुख चुनौतियाँ हैं और उन्हें कैसे सुलझाया जा रहा है?

 

जवाब : पूरे राज्य में सबसे अधिक स्कूल गिरिडीह जिले में हैं। यहां 3158 स्कूल हैं। इसमें यदि अनुदान वाले स्कूलों और प्राइवेट स्कूलों को जोड़ दें तो यह संख्या 3800 तक पहुंच जाती है। अंतर जिला स्थानांतरण के कारण गिरिडीह से जितने शिक्षक दूसरे जिले में गए, उससे कम शिक्षक गिरिडीह जिले में आए। इससे स्कूलों में शिक्षकों की कमी हुई है। विभाग ने हमें आश्वासन दिया है कि अब जो शिक्षकों की बहाली होगी, उसमें गिरिडीह जिले को अधिक शिक्षक दिए जाएंगे। विशेष केंद्रीय सहायता एवं जिला अनावरण निधि से स्कूलों में सुविधाएं बढ़ाई गई है। लाइब्रेरी, बेंच-डेस्क, पेयजल, शौचालय की सुविधाएं उपलब्ध कराई गई है। बेहतर शैक्षणिक माहौल में शिक्षक बच्चों को शिक्षा दें, इसके लिए हर जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। 

 

सवाल : जिस हिसाब से शहर में आबादी बढ़ी है, उस हिसाब से पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था नहीं हो सकी है। पेयजल के लिए जिला प्रशासन के पास क्या योजनाएं हैं। 

 पेयजल और स्वच्छता के मुद्दों पर जिला प्रशासन ने क्या कदम उठाए हैं?

 

जवाब : जल जीवन मिशन शहरी एवं ग्रामीण के तहत हम बेहतर योजना बनाकर काम कर रहे हैं। खंडोली जलापूर्ति योजना और सीसीएल चानक से जलापूर्ति पर हम काम कर रहे हैं। जलापूर्ति की कई योजनाएं हमने पारित की है जो इस नई सरकार के पांच साल के कार्यकाल में आपको जमीन पर दिखेंगे। इसके अलावा इंजीनियरिंग कालेज, सर जेसी बोस विश्वविद्यालय का निर्माण होगा। 

 

सवाल : आपके अनुसार, गिरिडीह जिले की सबसे बड़ी ताकत और सबसे बड़ी चुनौती क्या है?

जवाब : सिविल सोसाइटी संगठन गिरिडीह जिले की सबसे बड़ी ताकत है। सिविल सोसाइटी की सहभागिता से ही विकसित समाज का पता चलता है। सिविल सोसाइटी को प्रशासन के साथ और सामंजस्य बढ़ाने की जरूरत है। गिरिडीह शहर में ट्राफिक एक समस्या या इसे चुनौती कह सकते हैं। सिविल सोसाइटी साथ आएंगे तो इस समस्या का भी हम समाधान कर लेंगे। पचंबा रोड का चौड़ीकरण कार्य चल रहा है। सलैया में बाइपास बन रहा है। जोड़ा पहाड़ में बाइपास का कार्य अंतिम चरण में है। सीहोडीह-पपरवाटांड़ सड़क चौड़ीकरण का कार्य चल रहा है। नगर निगम का नया भवन बन रहा है। निगम कर्मियों से लगातार संपर्क कर वर्क कल्चर बेहतर किया जा रहा है। इससे शहर की साफ-सफाई और दुरूस्त होगी। शहर के तीनों थाना से लगातार समन्वय स्थापित किया जाता है। चैंबर आॅफ कॉमर्स से बराबर संपर्क में रहते हैं ताकि व्यवसायियों से संबंधित अपराध पर अंकुश लगाया जा सके। देवभूमि झारखंड न्यूज के माध्यम से भी मैं गिरिडीह की जनता से अपील करना चाहूंगा कि वो अपनी समस्याओं को लेकर प्रशासन के पास आएं, उसका निष्पादन होगा।

सवाल : आप एक आइएएस अधिकारी हैं। आपकी तरह गिरिडीह के भी युवक आइएएस अधिकारी बनें इसके लिए उन्हें क्या टिप्स देना चाहेंगे। 

 

जवाब : गिरिडीह के युवाओं में असीम संभावनाएं हैं। हर साल गिरिडीह जिले से कोई न कोई युवा सिविल सर्विस क्रैक करता है। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर युवाओं से हम यही कहना चाहेंगे कि आप महान वैज्ञानिक सर जेसी बोस की कर्मभूमि के हैं। इच्छा शक्ति मजबूत रखें। आप गिरिडीह में रहकर सिविल सर्विस समेत अन्य प्रतियोगी परीक्षाएं क्रैक कर सकते हैं। यहां की लाइब्रेरी का मैंने खुद मुआयना किया है। सभी प्रकार की स्टडी मैटरियल्स एवं पुस्तकें उपलब्ध हैं। यह नहीं समझें कि गिरिडीह जैसे छोटे शहर से तैयारी करने पर आप पिछड़ जाएंगे। इंटरनेट के इस युग में आप कहीं की बैठकर कोई भी परीक्षा क्रैक कर सकते हैं। सेल्फ मोटिवेशन जरूरी है। आप अपने माता-पिता-अभिभावक को अपना सबसे अच्छा दोस्त समझें। 

मैं अपना उदाहरण देता हूं। सिविल सर्विस में एक-दो बार मुझे सफलता नहीं मिली। इसी दौरान मैंने 2012 का लंदन ओलंपिक देखा। मैंने देखा कि चंद सेकंड के रेस में पिछड़ने के बाद खिलाड़ी सालों मेहनत करते हैं। अगला ओलंपित सालों बाद होना है। मैने सोचा मेरी तो परीक्षा महज दस महीने बाद है। असफलता से कभी निराश न हों। हमेशा खुश रखें। यह याद रखें कि आपको जो कुछ मिला है, वह बहुतों को नहीं मिला है। इसलिए खुद को भाग्यशाली मानते हुए बराबर खुश रहिए।

 

सवाल : सर, अंत में एक निजी सवाल करना चाहती हूं। आपकी गीतों की बड़ी चर्चा होती है। आपने गायन का कोई प्रशिक्षण लिया है क्या। कब से आपको गायन का शौक रहा। 

 

जवाब : मैंने संगीत का कोई विधिवित प्रशिक्षण नहीं लिया। संगीत का शौक मुझे देर से लगा। मुझे लगता है कि यह और पहले लगना चाहिए। मैं शैक्षणिक संस्थानों में जाने पर गीत से छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों को एक संदेश देना चाहता हूं। यह संदेश है कि हर माता-पिता-अभिभावक और शिक्षकों काे चाहिए कि वह बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद एवं उनकी जो अतिरिक्त योग्यता गीत-संगीत, नृत्य आदि है, उसे जरूर निखारें।

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