बंदियो को है निशुल्क कानूनी सहायता पाने का अधिकार –जेल अदालत में बंदियो को दी गई कानून की जानकारी

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डीजे न्यूज, गिरिडीह : डालसा की ओर से रविवार को सेंट्रल जेल में अदालत लगाई गई।जेल में विचाराधीन बंदियो के बीच न्यायिक अधिकारी और अधिवक्ता गए।तकनीकी रूप किसी मामले में बंदियो के आवेदन पर सुनवाई नही हो पाई।इस दौरान बंदियो को कानून की जानकारी देते हुए न्यायिक दंडाधिकारी इशराक जिया खान और हेमंत कुमार सिंह ने ‌डालसा से दिए जाने वाले विभिन्न विधिक सहायता के बारे में बतलाते हुए कहा कि नालसा और झालसा से काराधीन बंदियों के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम समय-समय पर चलाए जा रहे हैं।जिनके माध्यम से उन बंदियों को उचित विधिक सहायता प्रदान की जाती है। इसी के तहत प्रत्येक महीने जेल अदालत का आयोजन किया जाता है। जिला विधिक सेवा प्राधिकार के माध्यम से कारा में संसीमित बंदियों को निरंतर विधिक सहायता उपलब्ध कराने के उद्देश्य से बंदियों के बीच से ही पारा लीगल वॉलिंटियर्स की नियुक्ति की गई है जो निरंतर बंदियों के संपर्क में रहकर उनकी समस्याओं को कारा प्रशासन के माध्यम से जिला विधिक सेवा प्राधिकार तक पहुंचाते हैं जहां जिला विधिक सेवा प्राधिकार, गिरिडीह के द्वारा त्वरित संज्ञान लेते हुए उनकी समस्याओं का समाधान करने की दिशा में कार्य किया जाता है। वैसे बंदीगण जो स्वयं के खर्च पर अपना अधिवक्ता रख पाने में असमर्थ हैं, उन्हें जिला विधिक सेवा प्राधिकार के पैनल से निःशुल्क अधिवक्ता प्रदान किया जाता है। जो उनके केस में संबंधित न्यायालय में निरंतर पैरवी करते हैं। उनके इन मामलों की निरंतर मॉनिटरिंग भी जिला विधिक सेवा प्राधिकार के माध्यम से की जाती है। जेल में प्रतिनियुक्त पारा लीगल वालंटियर्स को भी इस संबंध में आवश्यक दिशा निर्देश देते हुए आम बंदियों के बीच निरंतर जागरूकता कार्यक्रम संचालित करने को कहा। साथ ही जेल पीएलबी को यह निर्देश भी दिया गया कि इस कारा में कोई भी बंदी अपने कानूनी अधिकारों से वंचित नहीं रहे। इसके लिए वे सभी निरंतर आम बंदियों से संपर्क में रहें, यदि किन्हीं को निःशुल्क अधिवक्ता की आवश्यकता हो तो उसका आवेदन तुरंत कारा प्रशासन के माध्यम से डालसा के ईमेल आईडी तथा कार्यालय में भेजें। उन बंदियों को तत्काल विधिक सहायता के तौर पर निःशुल्क अधिवक्ता प्रदान किया जाएगा।कहा कि सभी बंदियों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करना न्याय प्रशासन एवं कारा प्रशासन का दायित्व है। काराधीन बंदियों विशेषकर महिला बंदियों एवं बच्चों को प्राथमिक चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने हेतु भी आवश्यक दिशा निर्देश प्रदान किया गया।

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