बीस महीने से बंद आरोपित का गुनाह साबित नहीं कर पाई पुलिस, साइबर अपराध के तीन आरोपित रिहा
डीजे न्यूज, गिरिडीह : साइबर के तीन आरोपित प्रयाप्त साक्ष्य के आभाव में रिहा किए गए। इनमें बीस महीने से जेल में बंद आरोपित मिथिलेश मंडल,जमानत पर बाहर निकला दिलीप मंडल और सिकन्दर मंडल शामिल हैं।सोमवार को जिला जज द्वितीय आंनद प्रकाश की अदालत ने पर्याप्त सबूत के अभाव में रिहा किया। तीनों को बेंगाबाद के मानसिंहडीह के चोरपहरी जंगल से दो अक्टूबर 2020 को गिरफ्तार किया गया था।न्यायालय में अभियोजन के तरफ से ग्यारह लोगों की गवाही आरोप को साबित करने में नाकाम रही। साइबर ठगी का एक भी ठोस सबूत पुलिस न्यायालय में पेश नही कर पाई। इस कांड के सूचक एएसआई ओमप्रकाश चौहान ने प्राथमिकी दर्ज कराते हुए तीनो पर मोबाइल से साइबर ठगी करने का आरोप लगाया था।कहा था कि तीनों जंगल मे मोबाइल से टेलिकालिंग कर लोगों से ठगी करते थे।कभी बैंक अधिकारी बनकर तो कभी किसी कंपनी का स्टाफ बनकर लोगो को बातों में उलझाकर एटीएम कार्ड का सीवीवी और ओटीपी प्राप्त करते थे।फिर उसके खाते से रुपए निकाल लेते थे।गिरफ्तार आरोपितों ने जुर्म कबूलनामे में भी ये बाते कही थी। एक आरोपित दिलीप मंडल पूर्व में भी साइबर अपराध में बोकारो जेल जा चुका था। इसके बावजूद अनुसंधानकर्ता कोई ठोस सबूत जुटा नही पाया।
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न्यायालय में खुद पुलिस ने कहा नही पता किससे हुई ठगी :
साइबर अपराध के लिए विशेष सेल और थाना बनाए गए हैं जो साइबर अपराध को रोके और दोषियों को सजा दिलाने का काम करे।साथ ही विशेष न्यायालय का भी गठन किया गया है।इसके बावजूद साइबर सेल की उपलब्धि जगजाहिर है। न्यायालय में अभियोजन ने ग्यारह लोगों कीन गवाही दर्ज करवाई।जिनमें सूचक ओमप्रकाश चौहान की भी गवाही थी। वहीं छापेमारी दल में शामिल हवलदार सुरेश दास ने कहा उसे ओटीपी और सीवीवी के बारे में नही पता है। आरक्षी नीतीश कुमार ने कहा इन आरोपितों ने किस किस व्यक्ति से ठगी किया गया पता नहीं है।गवाह केडी सिंह और धनजीव कुमार सिंह ने कहा जब्त मोबाइल में कौन सा सिम था पता नहीं। अशोक कुमार ने कहा कि अनुसंधानकर्ता ने उसका बयान ही नहीं लिया। पुलिस सुरेश कुमार यादव,सत्येंद्र मेहता और उगन ठाकुर ने न्यायालय में कहा पैसा ठगी की कोई जानकारी नही है।अनुसंधानकर्ता सह इंस्पेक्टर गुलाब सिंह ने कहा पैसे ठगी की सूचना थी पर किससे ठगी हुआ उसका बयान केस डायरी में नही है। ठगी के पैसे की जानकारी के लिए कई बैंक में जाकर पता किया पर ठगी का रुपया किसके खाते में आया ये पता नहीं चल पाया। न्यायालय ने सभी गवाहों के बयान और कोई ठोस सबूत नहीं पेश किए जाने पर तीनों आरोपितों को रिहा करने का आदेश दिया।