पारसनाथ पहाड़ आदिवासियों का सबसे बड़ा तीर्थस्थल, इसे बचाने के लिए 17 से आंदोलन : सालखन मुर्मू

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डीजे न्यूज, जमशेदपुर : आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने कहा है कि

गिरिडीह ज़िले में अवस्थित पारसनाथ पहाड़ अर्थात “मरांग बुरु” बचाओ आंदोलन की शुरुआत 17 जनवरी को 5 प्रदेशों के 50 ज़िलों में धरना प्रदर्शन से होगी।। जल्द भारत बंद की भी घोषणा होगी।

सालखन मुर्मू ने कहा है कि

पारसनाथ पहाड़ संताल आदिवासियों का सर्वाधिक बड़ा पूजा स्थल है, तीर्थ स्थल है। इसको मरांग बुरु या ईश्वर का दर्जा प्राप्त है। इस पर जैन धर्मावलंबी दावा कर रहे हैं। अब इस पर नया विवाद शुरू हो गया है। भारत सरकार और झारखंड सरकार को मिल बैठकर अविलंब संताल आदिवासियों के सर्वाधिक बड़े तीर्थ स्थल को उन्हें पुनरबहाल करना जरूरी है। अन्यथा यह भारत के आदिवासियों के ऊपर धार्मिक हमला और अन्याय का मामला बनता है। आदिवासी सेंगेल अभियान अपनी जायज मांग के लिए 17 जनवरी को भारत के 5 प्रदेशों के लगभग 50 जिलों में धरना प्रदर्शन के माध्यम से राष्ट्रपति को जिले के डीएम/ डीसी के मार्फत ज्ञापन प्रदान करेगा और मरांग बुरू बचाओ आंदोलन की शुरुआत करेगा। उसके बाद जल्द ही भारत बंद या अन्य प्रभावी आंदोलन की घोषणा करेगा। आदिवासी समाज के सभी सरना धर्मावलंबियों तथा संगठनों से इसमें सहयोग करने की अपील करता है।

सरना धर्म (प्रकृति धर्म) कोड की मांग जायज है, संवैधानिक है। अतः 7 जनवरी को चाईबासा पधार रहे गृह मंत्री अमित शाह को इस पर अपनी स्पष्ट राय जाहिर करना जरूरी है। अन्यथा कोल्हान आकर आदिवासी समाज के वोट के लिए जनसभा करने का उनका कोई नैतिक अधिकार नहीं बनता है। उसी प्रकार कुरमी महतो को आदिवासी का दर्जा देने के मामले पर वोट बैंक की लोभ लालच के लिए राजनीति करने वाले भी कुरमी को आदिवासी बनाकर असली आदिवासियों का कत्लेआम करना चाहते हैं। इस सवाल पर भी अमित शाह को अपना स्टैंड क्लियर करना जरूरी है। उम्मीद है अमित शाह आदिवासियों के ज्वलंत मुद्दों और चिंताओं को समझेंगे और उसका सम्मान करेंगे अन्यथा उनका चाईबासा प्रवास बेकार साबित हो सकता है।

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