‘भागवत श्रवण करने वाले को होती है मनोवांछित फल की प्राप्ति’

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ygya loyabad

डीजेन्यूज लोयाबाद (धनबाद) : श्रीमद् भागवत कथा अपराध करने से रोकती है। भगवान की भक्ति करने की प्रेरणा देती है। सिखाती और बताती है कि मनुष्य को जीवन में क्या करना चाहिए और क्या नहीं।उक्त बातें बुधवार की रात में एकडा स्थित राधा कृष्ण प्रेम मंदिर के तीसरे महोत्सव के मौके पर चल रहे नौ दिवसीय भागवत कथा में वाचन करते हुए श्री सुरेंद्र हरिदास जी महाराज ने कही। कहा कि मनुष्य को अपने जीवन में सदैव गुरु बनाना चाहिए। परमपिता परमात्मा की बनाई हुई सभी वस्तुएं कुछ न कुछ प्रेरणा देती है और उससे सीखने को मिलता है।

श्रीमद्भागवत पुराण सभी को जीवन यापन करना सिखाती है। मनुष्य को संतोषी होना चाहिए। चतुर इंसान वही है जो समय का सदुपयोग करें। समय को अच्छे-अच्छे कर्मों लगाएं। जितना सत्कर्म करेंगे वही काम आएगा । जो श्रीमद्भागवत कथा पुराण का श्रवण करता है उसका अंत: करण शुद्ध हो जाता है पाप नष्ट हो जाते हैं। जिस व्यक्ति की मृत्यु सातवें दिन हो उसको क्या करना चाहिए ? इस वृतांत का विस्तार से वर्णन किया। कहा कि शुकदेव जी महाराज जो सबसे बड़े वैरागी है चूड़ामणि है उनसे राजा परीक्षित जी ने प्रश्न किया कि हे गुरुदेव जो व्यक्ति सातवें दिन मरने वाला हो उस व्यक्ति को क्या करना चाहिए? किसका स्मरण करना चाहिए और किसका परित्याग करना चाहिए? कृपा कर मुझे बताइये। शुकदेव जी ने मुस्कुराते हुए परीक्षित से कहा की हे राजन ये प्रश्न केवल आपके कल्याण का ही नहीं अपितु संसार के कल्याण का प्रश्न है। तो राजन जिस व्यक्ति की मृत्यु सातवें दिन है उसको श्रीमद भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए तो उसका कल्याण निश्चित है। श्रीमद भागवत में 18000 श्लोक, 12 स्कन्द और 335 अध्याय है जो जीव सात दिन में सम्पूर्ण भागवत का श्रवण करेगा वो अवश्य ही मनोवांछित फल की प्राप्ति करता है।
मानव मुट्ठी बंद करके यह संकल्प दोहराते हुए इस पृथ्वी पर जन्म लेता है। प्रभु भागवत कथा के माध्यम से मानव का यह संकल्प याद दिलाते रहते हैं। भागवत सुनने वालों का भगवान हमेशा कल्याण करते हैं। भागवत कथा की शुरुआत भागवत आरती और विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ की गई।
सुरेन्द्र हरीदास जी महाराज ने कथा की शुरुआत करते हुए भक्तों को भजन “प्रेम जब अनंत हो गया मेरा रोम रोम संत हो गया देवालय बन गया बदन मेरा रोम रोम संत हो गया” श्रवण कराया”। जो भगवान को प्रिय हो वही करो, हमेशा भगवान से मिलने का उद्देश्य बना लो, जो प्रभु का मार्ग हो उसे अपना लो, इस संसार में जन्म-मरण से मुक्ति भगवान की कथा ही दिला सकती है। कार्यक्रम को सफल करने वाले में मोहन निषाद, धर्मेंद्र साव, रोहित, आदि सराहनीय योगदान कर रहे हैं।

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