पारसनाथ पर हेमंत आदिवासियों का नहीं, जैनियों का दे रहे साथ : सालखन
डीजे न्यूज, रांची : राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अनुसार केंद्र और झारखंड सरकार के फैसलों के अनुरूप जैन स्थल सम्मेद शिखर तीर्थ स्थल ही रहेगा, पर्यटन केंद्र नहीं बनेगा। आयोग के अध्यक्ष इकबाल लालपुरा के अनुसार पारसनाथ पहाड़ जैनियों का तीर्थ स्थल ही रहेगा। तब वहां आदिवासियों के मरांग बुरू अर्थात ईश्वर और युग जाहेरथान (पूजा स्थल) का क्या होगा ? क्या आदिवासियों का ईश्वर नहीं है? धर्म नहीं है? तीर्थ स्थल नहीं है? यह भारत के आदिवासियों के खिलाफ एक बड़ा षड्यंत्र है, धार्मिक नरसंहार है। आयोग, केंद्र तथा झारखंड सरकार तीनों का फैसला आदिवासी अस्तित्व, पहचान, हिस्सेदारी पर घातक हमला है। आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ है। सेंगेल इसे बर्दाश्त नहीं करेगा। करो या मरो की तर्ज पर लड़ेगा। यह बातें आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने कहीं।
गिरिडीह में 18 जनवरी को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा- पारसनाथ मरांग बुरू हमारा था और हमेशा रहेगा। यह उनकी ख़ातियानी झुनझुना की तरह और एक झुनझुना और बड़ा झूठ साबित हो रहा है। हेमंत सोरेन ने मरांग बुरू या आदिवासी के ईश्वर को बचाने की जगह जैनियों का साथ दिया है। क्या वे राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के फैसले का विरोध कर सकेंगे? जब तक केंद्र और झारखंड सरकार मरांग बुरु पर आदिवासियों के प्रथम दावेदारी को लिखित रूप में नोटिफाई नहीं करेंगे सेंगेल का राष्ट्रव्यापी मरांग बुरु बचाओ भारत यात्रा आंदोलन जारी रहेगा।
सेंगेल का “मारंग बुरू बचाओ यात्रा” 17 जनवरी को जमशेदपुर से शुरू हुआ है। 18 जनवरी को रांची था। आज 19 जनवरी को रामगढ़ जिले के गोला प्रखंड मुख्यालय में दिन के 11:00 बजे सेंगेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व सांसद सालखन मुर्मू और सेंगेल के केंद्रीय संयोजक सुमित्रा मुर्मू ने प्रेस कॉन्फ्रेंस किया। उसके बाद मांडू प्रखंड के अंतर्गत सरूबेड़ा और परेज में आदिवासी जनसभा का आयोजन किया गया। यात्रा का अगला पड़ाव चौथा दिन, 20 जनवरी हजारीबाग जिला होगा। जहां हजारीबाग सर्किट हाउस में दिन के 12 बजे एक पत्रकार सम्मेलन होगा। तत्पश्चात दिन के 2 बजे से आदिवासी सभा का आयोजन बिष्णुगढ़ के सत्कार होटल में है।