निर्मल झुनझुनवाला से 80 लाख ठगी का आरोपी नाइजेरियन डा. एलेक्स जेल से निकला

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डीजे न्यूज, गिरिडीह : नाइजेरियल नागरिक डॉ एलेक्स डेविड उर्फ हेनरी करीब ढाई साल बाद जेल से बाहर निकला। साइबर अपराध के मामले में जेल में बंद हेनरी को गिरिडीह साइबर पुलिस दिसंबर 2019 में मुंबई से गिरफ्तार कर लाई थी। हेनरी की जमानत पिछले सप्ताह हाई कोर्ट से मिली थी। हेनरी के अधिवक्ता ने स्थानीय दो लोगो को जमानतदार बनाया। न्यायालय से उसकी जमानत पर रिहाई का आदेश दो दिन पहले ही पहुंच गया था।सरकारी नियम के तहत विदेशी बंदियो को छोड़ने के लिए हजारीबाग सेंट्रल जेल को क्लस्टर बनाया गया है। गिरिडीह सेंट्रल जेल से उसे रिहा कर शुक्रवार को हजारीबाग ले जाया गया था। हजारीबाग से तकनीकी कारणों से हेनरी को वापस गिरिडीह जेल लौटा दिया गया था।इधर कोरोना प्रोटोकॉल के तहत किसी भी बंदी को तभी जेल से रिहा किया जा सकता है जब कोई उसके पहचान वाले रिसीव करने आता है। सूचना मिलते ही हेनरी के अधिवक्ता सुजीत कुमार सिंह सेंट्रल जेल गिरिडीह पहुंच कर देर शाम रिसीव किया।
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यह था मामला :
गिरिडीह के उद्योगपति व गिरिडीह जिला चैंबर आफ कामर्स के अध्यक्ष निर्मल झुनझुनवाला के साथ डॉ एलेक्स डेविड ने इंटरनेट पर जान पहचान बढ़ा कर दोस्ती की थी। फिर व्यवसाय की बाते होने लगी। विदेशी साइबर अपराध से जुड़े लोगों ने एक साजिश के तहत ठगी की थी। मेडिकेटेड तेल का व्यवसाय की बात कह कर झांसे में फंसाया। गिरिडीह के व्यवसायी निर्मल झुनझुनवाला को उस मेडिकेटेड तेल का सैंपल भेजकर बड़ी मुनाफे की बात कही थी। धीरे-धीरे संबंध मजबूत होता गया। व्यवसायी साइबर अपराध के जाल में फंसते चले गए। हेनरी के साथ कई महिलाएं भी थी जिन्होंने अपना ऑफिस मुंबई बताया था। मेडिकेटेड तेल के व्यवसाय को लेकर निर्मल झुंझुहवाला ने ऑनलाइन लाखों रुपया ट्रांसफर किया। रुपए लेने के बाद फोन नंबर और इंटरनेट बंद कर हेनरी की टीम फरार हो गई। इसे लेकर निर्मल ने साइबर थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। सबूत के तौर पर रुपए ट्रांसफर के रिकॉर्ड थे। सूचक निर्मल झुनझुनवाला के साथ हेनरी की एक सेल्फी पिक्चर थी। वह रांची एरपोर्ट पर एक बार मिलने पर लिया था। इसी पिक्चर के सहारे पुलिस साइबर अपराधियों तक पहुंची थी।
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मुंबई से गिरफ्तार हुआ था हेनरी :
गिरिडीह साइबर सेल की पुलिस सुरेश कुमार मंडल के नेतृत्व में मुंबई गई थी। काफी खोजबीन के बाद उसे पाया। पकड़े जाने पर हेनरी ने अपना दूसरा नाम बताया। चेहरे से मिलान और मुंबई पुलिस के सहयोग से उसे गिरफ्तार किया गया। मुंबई में पता चला था कि नाइजेरियन नागरिक हेनरी पहले भी साइबर अपराध में जेल जा चुका है। साथ ही साइबर अपराध में उसका एक पुराना इतिहास है।
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दाई साल में गवाहों को न्यायालय में पेश नही कर पाई पुलिस :
हेनरी का केस साइबर अपराध के विशेष न्यायाधीश के न्यायालय में चल रहा है। आरोपित को जेल जाने के बाद करीब ढाई साल गुजर गए पर साइबर सेल गवाहों को न्यायालय में बयान दर्ज नही करा पाई। न ही कोई ठोस सबूत पेश कर पाई। इन्हीं कारणों से हाई कोर्ट ने हेनरी को जमानत पर छोड़ने का आदेश दिया था। इस बारे में हेनरी के अधिवक्ता सुजीत कुमार सिंह ने बताया कि न्यायालय में बंधपत्र देने के बाद जब साइबर पुलिस को सूचना हुई तो सकते में आ गई। कहा कि साइबर पुलिस जमानतदारों को उसके घर जाकर धमकी दी है। साथ ही हेनरी की जान को भी खतरा बताया। कहा कि जेल से निकलने के बाद उसे अपने घर पर रखेंगे। दूसरे दिन फ्लाइट से वह अपने घर जाएगा।

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