गिरिडीह कैदी वाहन ब्रेक में नक्सली छोटका मरांडी व रूदो यादव दोषी करार, 29 को सुनाई जाएगी सजा
गिरिडीह कैदी वाहन ब्रेक में नक्सली छोटका मरांडी व रूदो यादव दोषी करार, 29 को सुनाई जाएगी सजा
वर्ष 2012 में न्यायालय से लौट रहे कैदियों से भरे वैन पर हमला कर दर्जनों बंदियों को छुड़ाकर ले गए थे नक्सली
तीन पुलिसकर्मियों समेत चार लोग हुए थे शहीद
डीजे न्यूज, गिरिडीह : राज्य के बड़े नक्सली कांडों में से एक गिरिडीह कैदी वाहन ब्रेक कांड है। इस कांड से जुड़े छह हार्डकोर नक्सलियों के मामले में ग्यारह साल बाद न्यायालय का फैसला आया है। जिला जज नवम नीरजा आश्री की अदालत ने गुरुवार को हार्डकोर नक्सली छोटका मरांडी और रुदो यादव को दोषी करार दिया है। इस मामले के चार आरोपित बबलू सिंह, कीर्तन यादव, गुलजार मियां और बाबूलाल बेसरा को पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया। इनमें कीर्तन यादव कोलकाता के अलीपुर जेल में बंद है। वहीं बबलू सिंह कोडरमा जेल में बंद हैं। दोनों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से यह फैसला सुनाया गया। गुलजार और बाबूलाल बेसरा जमानत पर पहले से था। न्यायालय ने दोषी पाए गए दोनों की सजा की बिंदु पर सुनवाई 29 अगस्त को निर्धारित किया है।
प्रवेश दा को छुड़ाने के लिए जोनल कमांडर चिराग के दस्ते ने किया था हमला
यह घटना मुफ्फसिल थाना क्षेत्र के अजीडीह मोड़ की है। यह स्थान गिरिडीह धनबाद मुख्य रोड पर है।रोज की तरह तीन वाहनों में विचाराधीन कैदियों को न्यायालय से वापस जेल लाया जा रहा था। नौ नवंबर 2012 को करीब शाम के पांच बजे नक्सलियों ने कैदी वाहन पर हमला कर दिया। कैदी वाहन पर पहले बम से हमला किया, फिर अंधाधुंध गोलियां बरसाई। इस हमले में तीन पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे और एक बंदी की भी मौत हो गई थी।शहीद होनेवाले पुलिसकर्मियों में पुलिस लाइन में पदस्थापित एएसआइ प्रभुनाथ सिंह, डीएसपी कार्यालय में पदस्थापित सिपाही राजकुमार दास व वाहन चालक सदानंद गागराई शामिल थे। इस दौरान आठ नक्सली समेत कुल 29 बंदी भागने में सफल रहे थे।भागनेवालों में दो कुख्यात अपराधी भी शामिल था। कैदी वाहन में कुल 32 बंदी सवार थे। कोर्ट में पेशी के बाद इन कैदियों को जेल ले जाया जा रहा था तभी नक्सलियों ने प्रवेश दा उर्फ सहदेव मांझी समेत कई हार्डकोर नक्सलियों को छुड़ाने के लिए अचानक हमला किया था। घटनास्थल गिरिडीह जिला मुख्यालय से मात्र चार किलोमीटर दूर है।
तीन नक्सलियों की रिहाई भी छोटका को बचा नही पाई
इस कांड में अलग से चार नक्सली आरोपितों का केस न्यायालय में चला था। इनमें विधायक महेंद्र सिंह के हत्या का आरोपित रमेश मंडल, दर्जनों मामले के आरोपित रहे हार्डकोर जोनल कमांडर मिथिलेश मंडल, हार्डकोर नुनुचन्द महतो उर्फ डॉक्टर और डाका कांड का आरोपित इसराफिल शामिल था। इन सभी आरोपितों के मामले में न्यायालय में पर्याप्त साक्ष्य पेश नही किए जाने के कारण रिहा किए गए थे। जिला जज नवम नीरजा आश्री की न्यायालय ने फरवरी 2023 को इन चारों आरोपितों को पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में रिहा किया था।
कौन है छोटका मरांडी
गिरिडीह के पीरटांड़ के सिमरजोरी का रहने वाला छोटका मरांडी पर छोटे बड़े दर्जनों नक्सली कांड में शामिल होने का आरोप है। कई मामले समाप्त हो चुके हैं। पीरटांड़ थाना क्षेत्र के एक मामले में जेल में बंद छोटका मरांडी कैदी वाहन ब्रेक कर 29 बंदियों के साथ भाग निकला था। पुलिस छोटका को पकड़ने के लिए लगातार प्लान बना रही थी। फरवरी 2013 में पुलिस को सूचना मिली थी कि छोटका मरांडी अपने घर आया हुआ है। एसपी के नेतृत्व में छोटका को पकड़ने के लिए घेराबंदी की गई। इस दौरान छोटका की गोली से जिला पुलिस के जवान अजीत सिंह की मौत हो गई थी। इस मामले में छोटका मरांडी को पहले भी आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।