कुर्मी को एसटी बनाना असली आदिवासियों के लिए फांसी का फंदा बनाना साबित होगा : सालखन

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डीजे न्यूज, मयूरभंज, ओड़िसा :
ओडिसे, झारखंड और पश्चिम बंगाल के सत्ताधारी दल क्रमशः बी जेडी, जे
एमएम और टीएमसी आदिवासियों के साथ केवल वोट की राजनीति करते हैं। उनके सामाजिक और राजनीतिक उत्थान के लिए कुछ भी नहीं करते हैं। इसके दो प्रमाण हैं – फिलहाल वोट की लोभ- लालच और स्वार्थ के लिए इन तीनों राज्यों में तीनों प्रमुख सत्ताधारी दल ने कुर्मी जाति को आदिवासी बनाने का प्रलोभन दिया है। भारत सरकार को इसकी लिखित अनुशंसा की है। यह बातें आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने यहां प्रेस कांफ्रेंस में कही।
सालखन मुर्मू ने बताया कि यह असली आदिवासीयों (जैसे संताल, मुंडा, हो, उरांव, भूमिज, खड़िया, गोंड आदि) के लिए फांसी का फंदा है। आदिवासियों के लिए जेनोसाइड या नरसंहार का भयंकर कुकृत्य है। दूसरा है, इन पार्टियों ने आदिवासी समाज में व्याप्त नशापान, अंधविश्वास, डायन प्रथा, आदिवासी महिला विरोधी मानसिकता, वोट को हँड़िया- दारु, चखना, रूपयों में खरीद बिक्री करना और आदिवासी गांव समाज में जनतंत्र और संविधान लागू नहीं होने पर सुधार के प्रयास नहीं करना। यह गलत है। उसी प्रकार सभी आदिवासी गांव- समाज में वंशानुगत चलायमान अधिकांश अनपढ़, संविधान- कानून से अनभिज्ञ आदिवासी ग्राम प्रधान कार्यरत हैं। जिसे शिक्षित समझदार लोगों द्वारा संचालित कराने में कोई रुचि नहीं दिखाना, दुखद है। अतः इन पार्टियों ने अबतक “ट्राइबल सेल्फ रूल सिस्टम” में सुधार के कोई प्रयास नहीं कर आदिवासी समाज के साथ अन्याय और धोखा किया है।
उपरोक्त दोनों मामलों पर उपरोक्त तीनों राज्यों में तीनों प्रमुख दलों ने अब तक कुछ भी नहीं किया है। सिवाय आदिवासियों को लॉलीपॉप थमा कर वोट लेने के।
आदिवासी सेंगेल अभियान को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर पूरा भरोसा है। नरेंद्र मोदी ने द्रौपदी मुर्मू को देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर बैठा कर महान ऐतिहासिक संदेश दिया है कि वे भारत के आदिवासियों को सम्मान देते हुए न्याय और अधिकार देना चाहते हैं। इसलिए सेंगेल द्रौपदी मुर्मू और नरेंद्र मोदी पर आशान्वित है। द्रौपदी मुर्मू के साथ सेंगेल के प्रतिनिधि के रूप में वह 26 अगस्त को राष्ट्रपति भवन में मिले थे। उसके पहले 18 अप्रैल को उनके रायरंगपुर निवास में मुलाकात किया। फिर 22 जून को राष्ट्रपति के उम्मीदवार घोषित होने के तुरंत बाद उनके रायरंगपुर निवास में मिले। आदिवासी समस्याओं और संभावित समाधान के रास्तों पर गहन विचार- विमर्श किया। उम्मीद है हम बहुत जल्द प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से भी मिलेंगे।
आदिवासी सेंगेल अभियान भारत के झारखंड बंगाल बिहार उड़ीसा आसाम आदि प्रांतों में आदिवासियों के सामाजिक- राजनीतिक सशक्तिकरण का जोरदार अभियान चला रहा है। इसका प्रभाव सर्वत्र फैल रहा है। आशा है नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर हम आदिवासियों को न्याय और अधिकार दिलाने के साथ साथ देश की सेवा करने के दायित्व को सफल कर सकते हैं।
सालखन ने बताया कि
फिलहाल वह, सुमित्रा मुर्मू और तिलका मुर्मू सेंगेल के अन्य पदाधिकारियों, एसोसिएटेड प्रेस, न्यूयॉर्क के प्रतिनिधियों के साथ 18, 19, 20,21 अक्टूबर को झारखंड और ओडिसा के सीमावर्ती क्षेत्रों के दौरा में हैं। 20 अक्टूबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के गांव- घर उपरबेड़ा भी गये थे। सेंगेल ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि सरना धर्म कोड की मान्यता संबंधी फैसला 20 नवंबर तक कर लिया जाए या सकारात्मक संकेत और वार्तालाप शुरू किया जाए अन्यथा सेंगेल 5 प्रदेशों में 30 नवंबर को सुबह से शाम तक रेल-रोड चक्का जाम करने के लिए बाध्य हो सकता है। हम चक्का जाम के पक्षधर नहीं हैं, परंतु चुकी सरना धर्म कोड मान्यता का मामला संविधान के मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 25) के तहत हमारी अस्तित्व, पहचान, हिस्सेदारी से जुड़ा हुआ है, हम आंदोलन को मजबूर हैं। आशा है भारत सरकार जल्द एक सकारात्मक फैसला करेगी।

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