मिशन इंद्रधनुष को बनाएं सफल : नमन प्रियेश लकड़ा

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मिशन इंद्रधनुष को बनाएं सफल : नमन प्रियेश लकड़ा

डीजे न्यूज, गिरिडीह : समाहरणालय सभागार कक्ष में शनिवार को उपायुक्त नमन प्रियेश लकड़ा की अध्यक्षता में मिशन इंद्रधनुष 5.0 विषय को लेकर कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में मिशन के तहत नियमित टीकाकरण को लेकर विचार विमर्श किया गया।

कार्यशाला की शुरुआत करते हुए उपायुक्त नमन प्रियेश लकड़ा ने कहा कि मिशन इंद्रधनुष एक बूस्टर टीकाकरण कार्यक्रम है जो टीकाकरण का कवरेज अधिक करने के लिए चिह्नित जिलों में चलाया जाता है। जिले में सघन मिशन इंद्रधनुष (एमआई) 5.0 कार्यक्रम के तहत नियमित टीकाकरण अभियान की शुरुआत की गई है। नियमित टीकाकरण को गति देने के उद्देश्य से संचालित इस अभियान की सफलता को लेकर विभागीय स्तर से जरूरी तैयारियां की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि मिशन इन्द्रधनुष कार्यक्रम की सफलता को ले केंद्र सरकार के स्तर से जरूरी दिशा-निर्देश दिये गये हैं। इस विशेष अभियान से बच्चों में होने वाली बीमारियों के वायरस से लड़ने की क्षमता बढ़ाने का काम किया जायेगा। इस अभियान में एक भी बच्चा टीकाकरण से वंचित नहीं हो, इसका ध्यान रखा जा रहा। सुदूर ग्रामीण इलाकों पर खास नजर रखने का निर्देश दिया गया है। मिशन इंद्रधनुष विशेष टारगेट पर काम करता है। यह ऐसे क्षेत्रों में कारगर होगा, जहां नियमित टीकाकरण नहीं होता है। इसमें उन गांव और टोलों को प्राथमिकता दी जा रही, जहां नियमित टीकाकरण नहीं हुआ है। जिले में मिशन इंद्रधनुष अभियान के तहत विशेष रूप से मिजिल्स 01, मिजिल्स 02, खसरा रुबेला के छूटे हुए बच्चों एवं पीसीबी का बूस्टर एफ़आईपीबी का तीसरा डोज, गर्भवती महिला का प्राथमिक रूप से टीकाकरण करना है। साथ ही उन्होंने बताया कि यह टीकाकरण 0 वर्ष से 2 वर्ष तक के बच्चों को एवं 5 वर्ष तक छूटे हुए बच्चों को देना है। यह तीन चरणों में संपन्न होगा।

पहला चरण 7 अगस्त से 12 अगस्त, दूसरा चरण 11 सितंबर से 16 सितंबर एवं अंतिम चरण 9 अक्टूबर से 14 अक्टूबर तय की गई है।

क्या कहा सिविल सर्जन ने

सिविल सर्जन डा. एसपी मिश्रा ने बताया कि भारत में मिशन के तहत ”टीकाकरण कार्यक्रम” की शुरुआत वर्ष 1985 में चरणबद्ध तरीके से की गई थी। जो कि विश्व के सबसे बड़े स्वास्थ्य कार्यक्रमों में से एक था। इसका उद्देश्य देश के सभी जिलों को 90% तक पूर्ण प्रतिरक्षण प्रदान करना था। लेकिन इस मंशा में बाधा आई है, जिससे वैक्सीनेशन का प्रतिशत कम हुआ है। नतीजा केवल 65 से 70% बच्चों को उनके जीवन के प्रथम वर्ष में होने वाले रोगों से पूरी तरह से सुरक्षित करा पाया गया। इस कारण से ही 25 दिसंबर 2014 को ‘मिशन इन्द्रधनुष’ की शुरुआत हुई। इसका असर भी व्यापक तौर पर देखने को मिला।

क्या है मिशन इंद्रधनुष

मिशन इंद्रधनुष भारत सरकार का एक अभियान है। 25 दिसंबर 2014 को भारत के स्वास्थ्य मंत्री द्वारा इसे लागू किया गया है। इस योजना का लक्ष्य 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों और उनकी माताओं को टीकाकरण के माध्यम से सात प्रकार की बीमारियों से बचाना है।

 

पूर्ण टीकाकरण से कम से कम 90% टीकाकरण स्तर प्राप्त होने की उम्मीद है। 2009 में यह 61%, 2013 में 65% और 2020 के अंत तक 90% था। उपरोक्त सात प्रकार की बीमारियों के खिलाफ टीके निःशुल्क उपलब्ध हैं। योजना के प्रथम चरण में 201 जिलों का चयन किया गया था। यह चरण जनवरी 2015 से जून 2015 तक था, इसे अगस्त 2015 तक लागू किया गया था। योजना का दूसरा चरण 7 अक्टूबर 2015 को शुरू हुआ। सरकार इस योजना में 7 टीकों के साथ 4 और टीके जोड़ने पर विचार कर रही थी, इन टीकों में संशोधित पोलियो, जापानी एन्सेफलाइटिस, रोटावायरस टीका, खसरा-रूबेला टीका है।

 

मिशन इंद्रधनुष के तहत आने वाले रोग

 

तपेदिक (Tuberculosis),

 

पोलियोमाइलाइटिस (Poliomyelitis)

 

हेपेटाइटिस बी (Hepatitis B)

 

डिप्थीरिया (Diphtheria)

 

पर्टुसिस (Pertussis)

 

टेटनस (Tetanus)

 

खसरा (Measles)

 

इसके अलावा खसरा रूबेला (Measles Rubella), रोटावायरस (Rb otavirus), हिमोफिलस इन्फ्लूएंजा टाइप-बी (Haemophilus Influenza Type-B ) और पोलियो (Polio) के खिलाफ टीकों को शामिल करने के बाद इन टीकों की संख्या 12 हो गई है।

कार्यशाला में सीडीपीओ प्रवेक्षिका, एएनएम समेत स्वास्थ्य विभाग के अन्य अधिकारी व कर्मी उपस्थित थे।

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