सीसीएल सुरक्षा निरीक्षक भोला सिंह हत्याकांड का मुख्य अभियुक्त साक्ष्य के अभाव में बरी

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डीजे न्यूज, गिरिडीह : सीसीएल के सुरक्षा निरीक्षक भोला सिंह हत्याकांड में न्यायालय का दूसरा फैसला आया है। जिला जज तृतीय सोमेन्द्रनाथ सिकदर की अदालत ने हत्याकांड के मुख्य आरोपित पप्पू मरिक को पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में रिहा किया।कोडरमा जेल में बंद पप्पू मरिक को न्यायालय ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से यह निर्णय सुनाया। इस मामले में न्यायालय में बचाव पक्ष के अधिवक्ता अजय कुमार सिन्हा ने गवाहों के जिरह और बहस में कई दलीलें दी थी जिनमें सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के निर्णय के कई हवाला दिया। न्यायालय को यह बताया गया कि हत्या का कोई चश्मदीद नही है। अभियोजन पुलिस और अन्य गवाहों को एक सूत्र में जोड़ने में नाकाम रहा। अभियोजन के तरफ से पेश किए गए कोई भी साक्ष्य आरोपित को हत्यारा साबित नही करता है। न्यायालय ने इस मामले को गहन अध्ययन कर आरोपित को हत्या के आरोप से बरी किया।

इसी मामले में न्यायालय ने एक अन्य किशोर आरोपित को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। जिला जज वन सह किशोर न्यायालय गोपाल पांडेय की अदालत ने पिछले साल यह सजा सुनाई थी। साथ ही 20 हज़ार रुपए अर्थदंड जमा करने का भी आदेश दिया था।

 

निर्ममता की सारी हदें पार करने का था आरोप

 

करीब चार साल पूर्व हुए इस ह्रदय विदारक हत्याकांड में निर्ममता की सारी हदें पार की गई थी। मुफ्फसिल थाना से अवैध खन्ता संचालकों के खिलाफ शिकायत कर लौट रहे सीसीएल के सुरक्षा निरीक्षक भोला सिंह की बेरहमी से हत्या की गई थी। रास्ते में रोक कर पहले खंजर से सीने में भोका गया। हत्या होने पर शव को जलते हुए खदान में झोंका,फिर डाला था चानक में।

इस घटना को लेकर मृतक भोला सिंह की पत्नी रेणु देवी ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी। अपने दिए आवेदन में अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या के नियत से अपने पति का अपहरण करने की आशंका जताई थी। कहा था कि उसके पति विगत 31 साल से बनियाडीह कोलियरी सीसीएल में प्रभारी सुरक्षा निरीक्षक थे। ड्यटी के दौरान घर से मुफ्फसिल थाना गए थे। उनके नहीं लौटने पर दो जुलाई को आवेदन दी थी। पुलिस ने इस मामले में अनुसंधान शुरू किया। भोला सिंह सीसीएल क्षेत्र में अवैध कोयला खनन की शिकायत दर्ज कराने मुफ्फसिल थाना गए थे।अवैध खनन को रोकने से कई लोग नाराज़ थे।इसी बीच थाना से निकलते ही दो व्यक्ति ने उनका पीछा किया।सीसीएल डीएवी स्कूल के आगे उनकी बाइक को रोककर चाकू मारकर हत्या कर दी गई। हत्या के बाद साक्ष्य छिपाने के नियत से मृतक के शव को दहकते खदान में झोंका। फिर बचे अवशेष को पास के गहरे कुएं में डाल दिया।साथ ही भोला सिंह की बाइक भी कुएं में डाल दिया था। काफी मशक्कत के बाद किशोर के साथ एक अन्य आरोपित पप्पू मरीक को गिरफ्तार किया गया था।दोनों ने जुर्म को कबूल भी किया था। पप्पू मरीक का मामला अदालत में अलग से चल रहा है।

 

साक्ष्य के लिए बुलाना पड़ा था एनडीआरएफ को

 

हत्या के बाद आरोपितों की गिरफ्तारी हो गई।जुर्म कबूल के बाद भी पुलिस के पास साक्ष्य नहीं थे जो न्यायालय में दोषी साबित करा सके।जिला प्रशासन के सहयोग से एनडीआरएफ की टीम को बुलाया गया था। कई दिनों की मेहनत के बाद एनडीआरएफ की टीम में मृतक का खून लगा जीन्स,चाकू, हड्डी आदि निकाल पाई थी। इन सामानों को एफएसएल में जांच कराई गई। रक्त के नमूने मृतक के स्वजनों से मिलान किया गया जिसमें यह पाया गया था कि मृतक भोला सिंह ही थे। न्यायालय में एपीपी ने दस गवाहों का परीक्षण कराया। इनमें सूचक,अनुसंधान कर्ता तत्कालीन थानेदार रत्नेश मोहन ठाकुर जो हत्याकांड में पप्पू मरिक की संलिप्तता को साबित करने में नाकाम रहे।

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