गिरिडीह में हत्यारे मां-बेटे को आजीवन कारावास
गिरिडीह में हत्यारे मां-बेटे को आजीवन कारावास
दो भाई अभी भी हैं फरार, साल 2020 में जमीन विवाद में कृष्णा कोल्ह को तलवार से काट डाला था
डीजे न्यूज, गिरिडीह : प्रधान जिला जज वीणा मिश्रा की अदालत शनिवार को हत्यारे मां-बेटे को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। जेल में बंद सुरेश कोल्ह और उसकी मां कविलाश देवी को न्यायालय ने यह सजा सुनाया। दोनों को हत्याकांड की धारा के साथ अापराधिक षडयंत्र में अलग-अलग आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। दोनों सजा साथ-साथ चलेगी। साथ ही हत्याकांड और आपराधिक षडयंत्र रचने में दोनों को कुल 40 हज़ार रुपए जुर्माना जमा करने का भी आदेश दिया गया है। जुर्माना राशि जमा नहीं करने पर अतिरिक्त सजा कारावास में काटनी होगी। कविलाश देवी जमानत पर बाहर थी। न्यायालय से दोषी पाए जाने के साथ उसे न्यायिक हिरासत में लेकर सेंट्रल जेल भेजा गया था। न्यायालय ने बीते 23 सितंबर को दोनों को दोषी करार दिया था। शनिवार दोपहर दो बजे सजा की बिंदु पर सुनवाई हुई। प्रभारी पीपी सुधीर कुमार ने कड़ी सजा की अपील की। कहा हत्या होने से मृतक के परिवार पर जो विपत्ति पड़ी है उसे न्यायालय में बयां नही की जा सकती है। वहीं बचाव पक्ष के अधिवक्ता महेंद्र प्रसाद सिंह ने न्यूनतम सजा देने की अपील की। न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सजा सुनाई।
खून लगे तलवार और फोरेंसिक जांच बना सजा का आधार
घटना बगोदर थाना क्षेत्र के कोल्हरिया गांव की साल 2020 की है। हत्याकांड को लेकर मृतक के घरवाले ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी। कोल्हरिया गांव निवासी कृष्णा कोल्ह की हुई हत्या की गुत्थी बगोदर पुलिस ने सुलझाते हुए बताया था कि सुरेश कोल्ह व उसकी मां ने मिलकर यह हत्या की थी। पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त तलवार को एक झाड़ी से बरामद कर लिया था। हत्याकांड का मुख्य आरोपित सुरेश कोल्ह, शंकर कोल्ह व सेठो कोल्ह तीनों भाई हैं और मुम्बई में रहते हैं। तीनों एक साथ मुम्बई से आए और उसकी हत्या कर तीनों फिर मुम्बई चले गए थे। उसकी हत्या में तीनों शामिल थे। पुलिस के दबाव में सुरेश कोल्ह अपने घर आया था। हत्या में आरोपियों की मां कविलाश देवी की भी संलिप्तता सामने आई थी। उसे भी गिरफ्तार कर लिया गया था। हत्या का कारण आपसी व जमीन का विवाद था। सुरेश कोल्ह ने हत्या करने की बात स्वीकार की थी। इस हत्या में इसके दोनों भाई शंकर कोल्ह व सेठो कोल्ह भी शामिल थे, जो अबतक फरार हैं। न्यायालय में गवाहों के बयान के अलावा खून लगे जब्त तलवार और उस तलवार की फोरेंसिक जांच सजा का मुख्य आधार बना था।