प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ सुनील सिन्हा से जानिए कैसे डायबिटीज से जीत सकते जंग
संतुलित आहार तथा नियमित सुबह-शाम टहलकर ही आधे जंग जीत कर न सिर्फ डायबिटीज बल्कि मोटापा पर भी आप पा सकते हैं विजय
डीजे न्यूज, धनबाद : न सिर्फ धनबाद और गिरिडीह बल्कि पूरा देश डायबिटीज एवं मोटापे की बीमारी से त्रस्त है। आम आदमी से लेकर खास तक इस बात को लेकर परेशान है कि कैसे हम डायबिटीज की बीमारी से जंग लड़ें। इस समस्या को देखते हुए देवभूमि झारखंड न्यूज ने
प्रसिद्ध चिकित्सक और केंद्रीय अस्पताल धनबाद के पूर्व डिप्टी सीएमओ डा. सुनील सिन्हा से लंबी बातचीत की है। डा. सुनील सिन्हा ने इन दोनों बीमारियों पर जीत हासिल करने के लिए जो सुझाव दिए हैं, उसे हम हुबहू यहां आपके समक्ष पेश कर रहे हैं। आप यदि समय निकालकर इसे पूरा पढ़ेंगे और इस पर अमल करेंगे तो निश्चित रूप से आप डायबिटीज के खिलाफ अपनी जंग जीत सकते हैं।
डा. सुनील सिन्हा का कहना है कि
विश्व मधुमेह दिवस [World Diabetes Day], 2021 – 2023 की थीम है, “डायबिटीज की देखभाल – सर्वसुलभ ! अभी नहीं तो कब? (Access to Diabetes Care : If Not Now, When?)”
“डायबीटीज के वे मरीज, जो अधिक जानकारी रखते हैं, अधिक दिन जीते हैं…” Elliott P. Joslin.
डायबीटीज की बीमारी आपको जीने की कला सिखाती है, जो शायद आपके लिए बीमारी के भेष में वरदान (a boon in disguise) साबित हो। अगर आपको डायबीटीज है भी, तो इससे भयाक्रांत होने की आवश्कता नहीं है क्योंकि स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर मधुमेह और मोटापा की (Diabetes + Obesity = Diabesity)महामारी को रोका जा सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक भारत में 61% मौतें गैर-संक्रामक बीमारियों की वजह से होती है। इनमें हृदय रोग और डायबीटीज प्रमुख हैं।
डायबीटीज : जटिलताओं की बीमारी (A disease of Complications)
डायबीटीज दरअसल एक बीमारी न होकर कई बीमारियों की जननी है, जो हार्ट अटैक, ब्रेन अटैक, किडनी फेल्योर, पैरों का जलन और सड़न (Gangrene)तथा आंखों की जटिलताओं को जन्म दे सकती है।
डायबीटीज क्या और कैसे होता है? (Pathophysiology):
हम जो भोजन करते हैं वह पाचन क्रिया के द्वारा ग्लूकोज में बदल कर रक्त में शामिल हो जाता है तथा शरीर की कोशिकाओं तक पहुंचकर ऊर्जा प्रदान करता है। कोशिका के अन्दर ग्लूकोज को ले जाने में इन्सुलिन हार्मोन की आवश्यकता होती है जो पैन्क्रियाज ग्रन्थि के अन्दर बीटा सेल के द्वारा स्राबित होता है। यही बीटा सेल 70% तक नष्ट हो जाने पर इन्सुलिन की कमी हो जाती है। मोटापा और निष्क्रिय जीवनशैली के कारण इन्सुलिन प्रतिरोध (Insulin Resistance)विकसित हो जाता है, तब ग्लूकोज कोशिका के अन्दर नहीं पहुंच पाता है। रक्त में ग्लूकोज की मात्रा सामान्य से अधिक (Hyperglycemia) हो जाती है। इस अवस्था को डायबीटीज मेलिटस (Diabetes Mellitus) कहते हैं, जिसे मधुमेह के नाम से भी जाना जाता है।
डायबीटीज दो प्रकार का होता है
टाइप 1 DM (T1DM) : <5%. टाईप 1 डायबीटीज की रोकथाम नामुमकिन है पर इंसुलिन के द्वारा इलाज मुमकिन है।
टाइप 2 DM (T2DM) : >95%. टाईप 2 डायबीटीज का इलाज और रोकथाम दोनों ही मुमकिन है।
क्या हैं डायबीटीज के प्रमुख लक्षण (Symptoms)?
अत्यधिक प्यास लगना, बार बार पेसाब लगना खासकर रात्रि में (Nocturia),अत्यधिक भूख लगना फिर भी वजन कम होना, चक्कर आना, थकान तथा अस्वस्थ महसूस करना, आंख की रोशनी में धुंधलापन, जननांगों में खुजली होना तथा फोड़ा फुन्सी होना। यह भी सम्भव है कि मरीज को इनमें से कुछ भी लक्षण न हो।
फिर भी अगर आप आलसी और विलासी हैं, आपकी उम्र चालीस साल तथा कमर चालीस इंच (Central Obesity) हो, आपको हाई ब्लड प्रेशर है, आपके रक्त में कोलेस्ट्राल की मात्रा असामान्य हो तथा डायबीटीज का पारिवारिक इतिहास हो तो आपको नियमित रूप से रक्त शर्करा (Blood Sugar) की जांच (Screening) कराते रहना चाहिए।
डायबीटीज के निदान की कसौटी (Diagnostic Criteria)
1. बीमारी के उपरोक्त लक्षण
(+)
Fasting Blood Sugar 126mg/dl या अधिक हो
अथवा…
2. Random या PP या 75gm ग्लूकोज लेने के 2 घन्टे बाद 200mg/dl या अधिक है
+
3. HbA1C >/= 6.5% हो, तो मान लीजिए कि आपको डायबीटीज है।
4. प्री-डायबीटीज (Pre-Diabetes)
यदि आपका ब्लड शुगर (Fasting) = 100 से 125mg/dl हो, तो इसे IFG (Impaired Fasting Glucose) तथा ग्लूकोज लेने के 2 घंटे बाद = 140 से 199mg/dl हो, तो इसे IGT (Impaired Glucose Tolerance) कहा जाता है. IFG तथा IGT की अवस्था को प्री-डायबीटीज (Pre-Diabetes) भी कहा जाता है जो शीघ्र ही डायबीटीज के रूप में परिलक्षित हो सकता है।
डायबीटीज : ईलाज के तीन मंत्र !
1. डायबीटीज आहार (Diet) नियमावली (आगे पढ़ें)
2. सक्रिय और सृजनात्मक जीवन शैली (Active & Creative Lifestyle)
&
3. दवा (Medicines)
डायबीटीज के इलाज में इन्सुलिन सहित दवाओं (Tablets/Pills) की एक लम्बी सूची है जिसका चयन आपके डॉक्टर आपकी जरूरतों के अनुसार करेंगे।
डॉक्टर सिर्फ़ आपका मार्गदर्शन कर सकते हैं। किसी भी बीमारी से लड़ने के लिए मरीज, अभिभावक और डॉक्टर (जो शिक्षा सलाहकार का भी काम करेंगे) का एक गठबंधन (Therapeutic alliance)जरुरी होता है।
इन्सुलिन के साथ कहानी शुरू होती है…
डायबीटीज की दवा (Tablets/Pills/गोली) एक लंबे अंतराल के बाद असरहीन हो जाती है तब आपको इन्सुलिन की सुई (Injection)लेनी पड़ सकती है। इन्सुलिन शुरू करने में सुई का डर (Needle Phobia) एक बड़ी समस्या होती है, जबकि डरने की कोई बात नहीं है। आजकल तो इतने अच्छे डिवाइस (Novopen 4)आ गये हैं और नीडल का साईज इतना फ़ाइन हो गया है कि सुई का अहसास ही नहीं होता।(No Pain, Only Gain
एक और समस्या होती है, सुगर कम होने तथा वजन बढ़ने का डर, जो अन्य कई दवाओं के साथ भी हो सकती है. अत: इन्सुलिन से भागने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि एक बार जब आपके शरीर में इन्सुलिन की फैक्ट्री में मुकम्मल हड़ताल हो जाता है, तो इन्सुलिन के बिना जिंदगी चल ही नहीं सकती। इन्सुलिन के साथ आपकी कहानी खत्म नहीं बल्कि शुरू होती है. इससे आपकी जिन्दगी तो बढ़ती ही है, जीवन की गुणवत्ता (Quality of Life)भी बढ़ जाती है।
इस प्रकार डायबीटीज के निराश मरीजों के लिए इन्सुलिन आशा की एकमात्र किरण है। अत: डायबीटीज पर विजय मुमकिन है। एक Glucometer मशीन की मदद से अपनी रक्त शर्करा की नियमित जांच [Self Monitoring Of Blood Glucose (SMBG)] कर इन्सुलिन का डोज आप खुद ही एडजस्ट कर सकते हैं. (140 – 180mg/dl) के बीच रैन्डम ब्लड सुगर की मात्रा होनी चाहिए।
“दर्द से दोस्ती,
हो गई यारो !
जिन्दगी बेदर्द,
हो गई यारो !!”
जीवनशैली में बदलाव जरूरी है : कुछ प्रैक्टिकल टिप्स
योजनाबद्ध तरीके (To do list) से प्राथमिकता के आधार पर अपने कार्यों को अंजाम दें। अपने दिनचर्या में कम से कम एक से एक घंटा सेहत के लिये अवश्य निकालें। हम प्रायः समय का रोना रोते हैं लेकिन हर इंसान के पास समय 24 घन्टे ही होता है। सवाल प्राथमिकता का है। तो क्या हमारा स्वास्थ्य, हमारी प्राथमिकता में नहीं होना चाहिए? अत: टाल-मटोलबाजी (Procrastination)की बीमारी से बचें।
”जब जागे तभी सवेरा !”
प्रात: भ्रमण (Brisk walking is best exercise)
“सभी बीमारियों का हल !
सुबह की सैर पर चल !!”
सूर्योदय से पूर्व बिस्तर छोड़ दें तथा नित्य क्रिया से निवृत्त होकर खुले आकाश के नीचे मैदान-ए-छत/पार्क में निकल जायें। आरामदेह जूते पहनकर तेजी से चलना सर्वोत्तम व्यायाम है। अगर तेजी से नहीं चल सकते हैं तो आराम से चलें. लेकिन चलें अवश्य। चलना ही जिंदगी है।
रोजाना 30 मिनट, सप्ताह में कम से कम पांच दिन एरोबिक एक्सरसाइज जैसे- ब्रिस्क वॉक, रनिंग, स्विमिंग, साइकिलिंग, रोप जम्पिंग, डायबीटीज मैनेजमेंट के साथ ही हार्ट हेल्थ के लिए भी फायदेमंद है।
डायबीटीज आचरण संहिता (Do’s & Don’ts of Diabetes)
1. अपनी डायबीटीज का ABCDE को जानिए.
A for…
HbA1C < 7%
B for…
Blood Glucose =/< 140 − 180mg/dl
&
BP =/< 130/80mmHg
C for…
Cholesterol (Lipid Profile)
@Total Cholesterol < 200mg/dl
@Triglycerides < 150mg/dl
@LDL C (Bad Cholesterol) < 100mg/dl
@HDL C (Good Cholesterol) > 50mg/dl.
D for…
Diet (संतुलित आहार के लिए आगे पढ़ें)
E for…
Exercise
2. चलिए ! चलिए ! चलिए !
चलना ही जिंदगी है !
प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट और सप्ताह में कम से कम पांच दिन, तेजी से आरामदायक जूते पहनकर चलिए. नंगे पांव नहीं !
3. डायबीटीज की जटिलताओं पर निगरानी रखने के लिए अपनी जांच नियमित रूप से करायें.
(a.) रक्त शर्करा & रक्त चाप : @ महीने में एक बार या आवश्यकता अनुसार.
(b.) ग्लायकोसिलेटेड हीमोग्लोबिन (HbA1C) : @ तीन महीने में एक बार.
(c.) लिपिड प्रोफाइल : @ साल में एक बार.
(d.) किडनी फंक्शन टेस्ट : @ साल में एक बार.
(e.) हृदय की जांच : @ साल में एक बार.
(f.) आंखों की जांच : @ साल में एक बार.
4. पैरों की देखभाल.
(Look your Feet before your Face @ daily for Cracks, Ulcers, Gangrene, Colour change and Sensory loss etc.)
5. वजन बढ़ने/घटने
तथा संक्रमणों (Infections) को भी आप अनदेखा नहीं कर सकते.
6. हायपोग्लायसेमिया (Hypoglycemia) से सावधान.
हायपोग्लायसेमिया उस अवस्था को कहते हैं जिसमें रक्त शर्करा की मात्रा सामान्य से कम (RBS </= 70mg/dl) हो जाती है.
हायपोग्लायसेमिया के लक्षण (Symptoms) हैं :
चक्कर, पसीना, शरीर में थरथराहट, धड़कन, घबराहट, तीव्र भूख लगना, आवाज तथा शरीर का लड़खड़ाना, सुस्ती, बेहोशी आदि लक्षण हो सकते हैं.
इस अवस्था में 10-15gm ग्लूकोज पी लें या कुछ मीठा हो जाए। साथ में जटिल कार्बोहाइड्रेट युक्त अल्पाहार खा लें. आवश्कतानुसार अस्पताल में भर्ती किया जा सकता है।
7. आप अपने योग्य चिकित्सक की सलाह का नियमित रूप से पालन करें. हमेशा सकारात्मक नजरिया (Positive Attitude) अपनाइए.
* डायबीटीज आहार नियमावली !
“भोजन को ही दवा बनाईये, कहीं ऐसा न हो कि दवा ही आपका भोजन बन जाय !”
डायबीटीज के मरीज के लिए कोई विशेष आहार नहीं होता, बल्कि नियन्त्रित आहार का प्रमुख स्थान होता है।
खाने के पहले एक ग्लास पानी पी लें. फिर सलाद खा लें। फिर रोटी, चावल, दाल, दूध/दही, हरी साग/सब्जी, मछली/चिकेन आदि खा लेने से आपको संतुष्टि मिलती है।
साबुत अनाज (Whole Grains) खाएं। प्रयाप्त मात्रा में पानी पिएं।
सभी अनाज जैसे चावल, गेहूं, मक्का, जौ आदि में 70% स्टार्च होता है। अत: सीमित मात्रा में इन सभी का सेवन किया जा सकता है।
सभी प्रकार के दाल, मछली, अंडे (सफेद भाग), पोल्ट्री, लीन मीट, सी-फूड (sea food), नट्स, सीड्स और सोया प्रोडक्ट्स जैसे खाद्य पदार्थ का सेवन कर भोजन में प्रोटीन की मात्रा को बढ़ाया जाना चाहिए.
डायबीटीज, मोटापा तथा कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए रेशायुक्त भोजन महत्वपूर्ण होता है. सभी प्रकार के अनाज, दाल, हरी पत्तेवाली शाक-सब्जी, फायबर के कुदरती स्रोत हैं. इन सब्जियों का सेवन असीमित मात्रा में किया जा सकता है : बीन्स, करेला, लौकी, बैगन, फूल-गोभी, पत्ता-गोभी, शिमला मिर्च, भिन्डी, प्याज, लहसुन, अदरक, पुदीना, हरा धनिया, कच्चा पपीता, टमाटर (कच्चा, पका), मेथी पत्ता, मूली पत्ता, सरसों साग, पालक, भथुआ तथा सभी हरी सब्जियां इत्यादि।
अंकुरित चना, मूँग (sprouts)के साथ खीरा, टमाटर, गाजर, मूली, प्याज, धनिया पत्ता को साफ सुथरा धोकर तथा महीन काटकर नींबू, नमक, मिर्च मिलाकर सलाद बनाकर असीमित मात्रा में भोजन में शामिल किया जा सकता है।
कन्द-मूल सब्ज़ियों (आलू, कच्चू, ओल, चुकंदर आदि) की मात्रा सीमित करने की आवश्यकता है।
ताजे मौसमी फल जैसे सेव, संतरा, पपीता, अमरूद, मौसम्मी, तरबुज, खरबूजा आदि का भोजन में शामिल किया जाना चाहिए।
चर्बीयुक्त आहार का सेवन कम करना चाहिए. घी, तेल, मक्खन, मलाई, राबड़ी, छाली, नारियल तेल, ताड़ तेल (palm oil)कम से कम लें. खाने का तेल (edible oil) जैसे सरसों तथा रिफायंड तेल आदि का सेवन प्रति व्यक्ति प्रति माह, आधा किलो से अधिक नहीं होना चाहिए।
दैनिक भोजन में कैलोरी कम करने के लिए कार्बोहाइड्रेट की मात्रा को सीमित करने की आवश्कता है. इससे आपका वजन तथा रक्त शर्करा नियन्त्रित रहता है।
शक्कर, शहद, ग्लूकोज, गुंड़, मिठाई, आइस-क्रीम, टॉफी आदि से परहेज करें। जंक/फास्ट फूड तथा चिंता से परहेज करें. ”फिक़र नॉट !”
दूध (toned)तथा दूध से बना दही, छेना, छाछ को भी भोजन में शामिल किया जाए। ‘ग्रीन टी’ का सुबह उठकर खाली पेट सेवन (बिना शर्करा) भी मदद करता है।
भोजन को थोड़ी मात्रा में थोड़े समय के अन्तराल पर (तीन दफ़ा मुख्य भोजन यथा ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर) और इस बीच में (तीन दफ़ा Snacks /अल्पाहार) खाना चाहिए।
कहा जाता है, ”No Fast, No Feast.” अर्थात् “न उपवास, न भोज !” दो समय के भोजन के बीच छाछ, नींबू पानी, सुप या सलाद आदि का सेवन किया जाना चाहिए।
डायबीटीज और मोटापा कम करने का एक और तरीका है ‘बेरियाट्रिक सर्जरी’, लेकिन जीवनशैली में बदलाव सबसे सस्ता, बेहतर और कारगर है। बस आपसे धैर्य के साथ दृढ़ता (perseverance) की मांग करता है।
अनुशंसित डायबीटीज भोजन योजना (Recommended Meal Plan)
1600 kcal low fat, high fibre diabetic/weight loss diet…
7AM −
ग्रीन टी − 1 कप (बिना शर्करा)/मेथी पॉउडर [150ml गरम पानी (warm water)] के साथ।
8 − 9AM
(Breakfast)
पोहा (मूँगफली, दही मिलाकर)/
खिचड़ी − 1 कप/
ब्राऊन ब्रेड − 2slices/
रोटी − 2
+
हरी सब्जी − 1 कप
+
अण्डा − 1
11AM −
फल − 1
1 − 2PM
(Lunch)
सलाद − 1 कप
चावल − 1 कप/
मल्टीग्रेन रोटी − 2
+
हरी सब्जी − 1 कप
दाल − 1 कप
दही (छाली हटा कर) − 1 कप
त्वचा रहित (skinless) चिकेन सप्ताह में दो दिन/
मछली 100gm/
पनीर /सोया चंक्स/सोया ग्रेन्यूल्स भी भोजन में शामिल किया जा सकता है।
4PM −
ग्रीन टी – 1 कप
उबाला हुआ कॉर्न/मुंगफली/
अंकुरित चना, मूँग – 20gm
6PM −
फल − 1 कटोरा
8PM −
(Dinner)
रोटी − 2
दलिया/oats − 1 कप
हरी सब्जी − 1 कप
दही (छाली हटा कर) − 1 कप
5. परहेज करें :
[Remember 7Ss to have in moderation only … & Avoid Excessive Sugar, Salt, Spirit (Alcohol), Stress, Sedentary lifestyle, Social media addiction & Say No to Smoking] यानी अत्यधिक शर्करा, नमक, शराब, सिगरेट, तनाव, आलस्य और सोशल मिडिया की लत (Addiction) से दूर रहें. अति सर्वत्र वर्जयेत !
लब्बोलुआब (bottom line) है, कि ‘Eat Light, Eat Right’ यानी संतुलित आहार (Balanced Diet) तथा नियमित प्रात:/संध्या-भ्रमण (Morning/Evening Walk) के अनुसरण … से ही आधे जंग जीत कर न सिर्फ डायबीटीज बल्कि मोटापा के उपर भी आप विजय हासिल कर कर लेते हैं. आप हल्का, तरोताज़ा तथा बेहतर महसूस करते हैं।