छोटू प्रसाद की किताब ‘यही है जिंदगी’ का लोकार्पण
छोटू प्रसाद की किताब ‘यही है जिंदगी’ का लोकार्पण
डीजे न्यूज, गिरिडीह : जन संस्कृति मंच की गिरिडीह इकाई के द्वारा रविवार को पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। शहर के कृष्ण नगर में स्थित आपका सभागार में गिरिडीह के लेखक डॉ छोटू प्रसाद चंद्रप्रभ की नई किताब ‘यही है जिंदगी’ का लोकार्पण किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत में अनंत प्रिया ने सभी आगत अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कृष्ण मुरारी शर्मा थे। लेखक और वरिष्ठ रंगकर्मी बद्री दास ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। लेखक राजेश पाठक, शिक्षक लोकनाथ रजक, प्रो धनेश्वर रजक और संस्कृतिकर्मी शंकर पांडेय विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे। दीप प्रज्वलन के बाद कहानी संग्रह ‘यही है जिंदगी’ का लोकार्पण हुआ। इसके बाद किताब पर वक्ताओं ने अपने विचार रखे। मुख्य अतिथि कृष्ण मुरारी शर्मा ने कहा कि डॉ छोटू प्रसाद लगातार सृजन करने वाले लेखक हैं। वह गिरिडीह के प्रतिनिधि लेखक हैं और इस बात पर हम सभी को गर्व है। युवा कवि लवलेश ने कहा कि इस कहानी संग्रह में कई कहानियां अंधविश्वास पर कुठाराघात करती हैं। चर्चित लेखक राजेश पाठक ने बताया कि किताब की रचनाएं यथार्थ के साथ वस्तुनिष्ठ भी हैं। सबसे बड़ी बात डॉ छोटू प्रसाद ने अपनी लेखनी में आंचलिकता का पुट दिया है और खोरठा शब्दों का इस्तेमाल कर क्षेत्रीय भाषा का प्रसार भी किया है। जन संस्कृति मंच के शंकर पांडेय ने कहा कि किताबें ही मानव सभ्यता को आज तक नियंत्रित और प्रभावित करती आ रही हैं। छोटू प्रसाद की रचनाएं अगली पीढ़ी के लिए धरोहर और इतिहास के रूप में संरक्षित रहेंगी। कार्यक्रम के अध्यक्ष बद्री दास ने कहा कि किसी भी पुस्तक की सार्थकता उसके पाठक से है। पाठक ही उसका असली समीक्षक होता है। डॉ छोटू प्रसाद की रचनाएं लोक परंपरा की संवाहक हैं। कार्यक्रम का संचालन कर रहे पत्रकार आलोक रंजन ने कहा कि पुस्तक संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय लेखकों की पुस्तकों को खरीद कर अपने घर के लाइब्रेरी में रखना जरूरी है। साहित्यप्रेमी रीतेश सराक ने डॉ छोटू प्रसाद को प्रतिबद्ध लेखक बताते हुए गिरिडीह के पाठकों से इनकी किताब को पढ़ने की अपील की। पत्रकार राजेश अभागा ने कहा कि गिरिडीह की धरती ने फिर एक किताब को जन्म दिया है जो गर्व की बात है। इसका पठन पठान और प्रचार प्रसार साहित्य प्रेमियों और स्थानीय साहित्यिक संस्थाओं का दायित्व है। लेखक नवीन सिन्हा ने डॉ छोटू प्रसाद को बधाई देते हुए कहा कि इनकी रचनाएं सीधे हृदय को स्पर्श करती हैं। शिक्षक महेश सिंह ने कहा कि लेखक की कहानियों में एक बिंदासपन है, भावुकता है। अगर भावुकता एक दिशा देती है तो रचनाएं सफल हैं। लेखक संजय करुणेश ने लेखक को नई किताब की बधाई देते हुए कहा कि यही है जिंदगी कहना भी बड़े आत्मविश्वास की बात है। लेखिकीय भाषण में डॉ छोटू प्रसाद ने कहा कि इस कहानी संग्रह की हर कहानी अंत में कहेगी यही है जिंदगी। उन्होंने कहा कि लेखक की कथनी और करनी में अंतर नहीं होना चाहिए। लेखक ने गिरिडीह के पाठकों से पुस्तक पढ़ने आग्रह किया। लोकार्पण परिचर्चा में सुनील मंथन शर्मा, तेज नारायण टंडन, शैलेंद्र कुमार शुक्ल, महेश सिंह, बी अगस्त क्रांति, योगेश्वर महथा और अन्य साहित्य प्रेमियों ने भी अपनी बात कहते हुए लेखक को पुस्तक लोकार्पण की बधाई दी। धन्यवाद ज्ञापन अनंत शक्ति ने किया।