कोडरमा के कुणाल का कम्यूनिटी इनोवेटर फेलोशिप के लिए चयन

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डीजे न्यूज,
कोडरमा : कोडरमा जिले के झुमरीतिलैया निवासी एवं युवा वैज्ञानिक कुणाल अंबष्ठा का चयन भारत सरकार के नीति आयोग और आइआइटी, आइएसएम, धनबाद द्वारा कम्यूनिटी इनोवेटर फेलाेशिप के लिए किया गया है। कुणाल झुमरीतिलैया के गौशाला रोड निवासी कौशलेश कुमार अंबष्ठा के पुत्र हैं। नीति आयोग की अटल नवाचार मिशन का पूरे देश में संचालित 12 केंद्रों में यह चयन प्रक्रिया की गई थी, जिसका एक केंद्र आइआइटी आइएसएम, धनबाद भी है। इसके तहत नीति आयोग चयनित इनोवेटरों के इनोवेशन को तकनीकी, मार्केटिंग एवं प्रोडक्ट की अपग्रेड करने में हर तरह का सहयोग देगी। इसकी अवधि करीब 14 माह की होगी। चयन की पूरी प्रक्रिया कई चरणों में वर्चुअल माध्यम से पूरी की गई थी। कुणाल ने बताया कि अंतिम चरण में तीन इनोवेटर रह गए थे, जिसमें एक वो शामिल थी। गत 8 जून को इसके लिए इंटरव्यू हुआ था। चयन की प्रक्रिया 22 जून को ही पूरी हो गई थी। कुणाल के अनुसार इस फेलोशिप की राशि दो लाख रुपये होगी। विज्ञान और प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए कम्यूनिटी इनोवेटर फेलाेशिप याेजना की शुरूआत इसी साल 11 फरवरी को की गई थी। इसके तहत ऐसे वैज्ञानिक का चयन किया जाना है, जिनका आविष्कार समाज को एक नई दिशा और दशा दे सके। कई ऐसे युवा प्रतिभा है, जिनका इनोवेशन आर्थिक अभाव और कुशल मार्गदर्शन के बिना मुकाम नहीं हासिल कर पा रहा है। आयोजन का उद्देश्य ऐसी प्रतिभाओं को बढ़ावा देना है। कुणाल की इस उपलब्धि पर उनके पिता कौशलेश अंबष्टा, माता संगीता अंबष्टा, पत्नी ऐश्वर्य अंबष्ठा और भाई मृणाल ने खुशी जाहिर की है।
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आविष्कार को मिलेगा तकनीकी सहयोग व बाजार :
फेलोशिप के चयनित होने के बाद कुणाल के आविष्कार कंपलीट होम आटोमोशन सिस्टम को बाजार मिलने के साथ-साथ इसे अपग्रेड करने के लिए तकीनीकी सहयोग भी मिलेगा। इसका नाम उन्होंने ‘कीया’ रखा है। आइएसएम धनबाद में मार्गदर्शकों की निगरानी में कुणाल के आविष्कार को और अपग्रेड किया जाएगा। इसके लिए उन्हें आइएसएम का लैब के अलावे जरूरत के अनुसार कार्यालय भी उपलब्ध कराया जाएगा। इस डिवाइस को तैयार करने में फिलहाल 10 हजार रूपये का खर्च आता है। कुणाल के अनुसार जब इसे बडे़ पैमाने पर तैयार किया जाएगा तो इसके बाजार में 6-7 हजार रुपये की लागत पर उतारा जा सकता है। इस सिस्टम के इस्तेमाल से घर में किसी भी इलेक्ट्रानिक उपकरण को उपभोक्ता अपनी आवाज के माध्यम से संचालित कर सकते है। खासकर दिव्यांग और बुजूर्गो के लिए यह सिस्टम काफी कारगर साबित होगा, जो बिना किसी दूसरे की मदद से खुद के लिए इलेक्ट्रानिक उपकरणों का इस्तेमाल कर सकेंगे।
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सड़क दुर्घटना में घायल पिता की मदद के लिए तैयार किया था सिस्टम :
कुणाल ने यह डिवाइस सड़क दुर्घटना में घायल अपने पिता की मदद के लिए जुगाड़ टेक्नालोजी से तैयार किया था। इसके माध्यम से उपयोग करनेवाले अपनी आवाज में बोलकर घर के पंखे, लाइट आदि की स्वीच को आफ-आन कर सकते हैं। बाद में यही प्रयास उनके लिए एक नवाचार हो गया। जब यह प्रयोग कर रहे थे तब कुणाल को यह नहीं पता था कि इसके बदौलत उन्हें इतना बड़ा मुकाम मिलेगा। कुणाल विनोबा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री हासिल की है।

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