जानिए झामुमो के स्थापना के समय शक्तिनाथ महतो ने क्या कहा था जो सच साबित हुआ
जानिए झामुमो के स्थापना के समय शक्तिनाथ महतो ने क्या कहा था जो सच साबित हुआ
झामुमो का आधार वोट आदिवासी-महतो रहा है। आदिवासी महतो की पार्टी की छाप से झामुमो बाहर निकल रहा है। गिरिडीह एवं आसपास के जिलों की बात करें तो इसमें विधायक सुदिव्य सोनू की बड़ी भूमिका है। उनके प्रयास से गिरिडीह जिले में झामुमो गांवों से निकलकर शहर तक पहुंच चुका है। यही कारण है कि गिरिडीह व गांडेय सीट पर आज झामुमो का कब्जा है।
डीजे न्यूज, गिरिडीह : चार फरवरी 1973 को धनबाद के गोल्फ ग्राउंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा का स्थापना हुआ था। इस मौके पर निर्णय लिया गया था कि जिस-जिस जिले में जिस दिन पार्टी का विस्तार होगा, वहां उसी दिन स्थापना दिवस मनाया जाएगा। इस क्रम में गिरिडीह जिले में कई साल बाद तीन मार्च को झामुमो का गठन हुआ था। यही कारण है कि गिरिडीह में चार मार्च को झामुमो का स्थापना दिवस मनाया जाता है। चार मार्च शुक्रवार को गिरिडीह के झंडा मैदान में झामुमो का स्थापना दिवस मनया जाएगा। जिलेभर से झामुमो समर्थक परंपरागत हथियार के साथ शामिल होंगे। झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, गिरिडीह के विधायक सुदिव्य कुमार सोनू एवं गांडेय के विधायक डा. सरफराज अहमद मुख्य रूप से शामिल होंगे। विधायक सुदिव्य सोनू ने उपायुक्त नमन प्रियेश लकड़ा के साथ सभास्थल का निरीक्षण भी किया है।
धनबाद में चार फरवरी 1973 को जब झामुमो की स्थापना हुई थी, उस वक्त धनबाद के जुझारू युवा नेता शक्तिनाथ महतो ने अपने संबोधन में जो बात कही थी, वह आज अक्षरश: सही साबित हुई है। आपको यह जिज्ञासा हो रही होगी कि आखिर वह कौन सी बात थी।मार्क्सवादी चिंतक एके राय, बिनोद बिहारी महतो एवं शिबू सोरेन के नेतृत्व में झामुमो का गठन हुआ था। इस मौके पर यहां सभा हुई थी। इसमें बिनोद बिहारी महतो झामुमो के पहले अध्यक्ष व शिबू सोरेन महासचिव बने थे। सभा में बिनोद बाबू, एके राय एवं शक्तिनाथ महतो ने झारखंडी जनता को बताया था कि आखिर क्यों झामुमो का गठन किया गया है। शक्तिनाथ महतो ने कहा था कि झामुमो की पहली पीढ़ी अलग राज्य की लड़ाई में मारा जाएगा। दूसरी पीढ़ी लड़ेगी और तीसरी पीढ़ी राज करेगी। निश्चित रूप से ऐसा ही हुआ। झामुमो ने जब आंदोलन शुरू किया तो सैकड़ों आंदोलनकारियों को शहादत देनी पड़ी। दूसरी पीढ़ी ने इस लड़ाई को मुकाम पर पहुंचाया और आज तीसरी पीढ़ी राज कर रहा है। हेमंत साेरेन जैसे युवा नेता के नेतृत्व में झामुमो गठबंधन की सरकार सफलता से चल रही है।
महतो-मांझी की पार्टी की छाप से बाहर निकल रही झामुमो बिनोद बिहारी महतो एवं शिबू सोरेन ने अपने-अपने क्रमश: महतो एवं मांझी समाज को एकजुट किया था। इस कारण शुरूआत में कुर्मी एवं आदिवासी समाज झामुमो की ताकत बना। आज भी झामुमो का बेस वोट यही माना जाता है। आज बात आगे निकल चुकी है। महतो, मांझी, मुस्लिम के साथ-साथ सभी समाज के लोगों को झामुमो जोड़ने में सफल हो रहा है। गिरिडीह एवं आसपास के जिलों में इसका श्रेय विधायक सुदिव्य कुमार सोनू को जाता है। यह सोनू का ही कुशल नेतृत्व है कि पीरटांड़ के जंगल एवं गांवों से निकलकर झामुमो आज गिरिडीह शहर की भी पार्टी बन चुकी है। गिरिडीह के शहरी इलाकों में झामुमो ने भाजपा के वोटबैंक को ध्वस्त कर दिया है।