जानिए आदिवासी गांव-समाज को बचाने के लिए क्या है सालखन मुर्मू की योजना

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जानिए आदिवासी गांव-समाज को बचाने के लिए क्या है सालखन मुर्मू की योजना 

डीजे न्यूज, रांची : आदिवासी सेंंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने कहा है कि

सेंगेल आदिवासी गांव- समाज को बचाने के लिए चिंतित और कृतसंकल्पित है। इसलिए वर्ष- 2024 के लिए सेंगेल आपके द्वार, सच्चाई आपके द्वार, एकता आपके द्वार …की तर्ज पर कुछ कार्यक्रमों को झारखंड, बंगाल, बिहार, उड़ीसा, असम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश आदि के लगभग 50 जिलों और 400 आदिवासी बहुल प्रखंडों तक पहुंचाने के लिए प्रयासरत है।

 

यह है कार्यक्रम

 

हासा- भाषा जीतकर माहा : 22 दिसंबर 1855 और 22 दिसंबर 2003 का कार्यक्रम –

ताकि सिदो मुर्मू के नेतृत्व में हुए संताल विद्रोह और संताल परगना का इतिहास पुनर्जीवित हो और सालखन मुर्मू के नेतृत्व में हुए संताली भाषा मोर्चा और संताली भाषा के आठवीं अनुसूची में शामिल होने का टर्निंग पॉइंट स्थापित हो।

 

सेंगेल जन जागरण सभा का कार्यक्रम

 

प्रत्येक आदिवासी गांव- समाज में एकता और हासा-भाषा, जाति, धर्म, रोजगार, इज्जत, आबादी आदि के जन आंदोलन को सफल बनाने की सोच और दिशा स्थापित हो। ठगबाज पार्टी, नेता, संगठन, माझी परगना आदि बेनकाब हो। सरना धर्म कोड आंदोलन और आदिवासी राष्ट्र की परिकल्पना जल्द सफल हो सके।

 

सेंगेल द्वारा (क) 30 नवंबर के बरीपदा, मयूरभंज, उड़ीसा में संताली लेखक संघ के सम्मेलन में उपस्थित महामहिम राष्ट्रपति के दिशा विहीन सम्मेलन पर 11 प्रतिक्रिया प्रस्ताव।

 

(ख) मरांग बुरु, पारसनाथ पहाड़, गिरिडीह, झारखंड में 10 दिसंबर को पारित 11 प्रस्ताव।

 

(ग) 22 दिसंबर को दुमका, गांधी मैदान में आयोजित हासा- भाषा जीतकर माहा में पारित 5 प्रस्ताव को सर्वत्र गांव- समाज में प्रचारित करना।

 

(1), (2) और (3) के कार्यक्रमों को 2024 में साल भर चलाना है।

 

31 मार्च 2024 तक प्रत्येक प्रखंड में 10 आदिवासी गांव को जगाना, जोड़ना और खड़ा करना है। अंतत: प्रत्येक जिला में कम से कम 100 आदिवासी गांव को तैयार करना है।

 

पूर्व निर्धारित 5 मेगा प्रोजेक्ट के साथ (क) एक नेता- एक गांव को गोद लेना। (ख) प्रत्येक प्रखंड में कम से कम 100 सेंगेल सेना तैयार करना। (ग) प्रत्येक गांव के माझी हाड़ाम को मिलकर सहयोग लेने की कोशिश करना अन्यथा ग्रामीणों की सहायता से विकल्प बनाना। (घ) प्रत्येक प्रखंड से प्रति माह रुपया 1000 भेजने के लिए एक जिम्मेवार को नियुक्त करना। दूसरा जिम्मेवार प्रत्येक प्रखंड से कम से कम दो व्यक्ति से व्यक्तिगत रूप से प्रतिमाह रुपया 1000 सहयोग राशि लेकर केंद्र को भेज सके।

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