इनलैंड ग्रुप के साथ झारखंड सरकार का एमओयू
इनलैंड ग्रुप के साथ झारखंड सरकार का एमओयू
इनलैंड कंपनी की गोला संयत्र में प्रति दिन 350 केएलडी इथेनाल का अक्टूबर माह से होगा उत्पादन
-कंपनी 480 करोड़ रुपये इस संयत्र में करेगी निवेश, तीन सौ लोगों को प्रत्यक्ष और तीन हजार को अप्रत्यक्ष मिलेगा रोजगार
डीजे न्यूज, रांची : झारखंड मंत्रालय के प्रोजेक्ट भवन में गुरुवार को इनलैंड ग्रुप के साथ झारखंड सरकार ने एमओयू की। झारखंड के श्रम रोजगार व नियोजन मंत्री सत्यानंद भोक्ता की उपस्थिति में इनलैंड ग्रुप के कार्यकारी निदेशक नवीन सोमानी एवं राज्य के उद्योग सचिव जितेंद्र सिंह ने एमओयू पर हस्ताक्षर किया। इस मौके पर कंपनी के निदेशक गिरिराज कुमार झांवर,
महाप्रबंधक संजय सिंह, वाइस प्रेसिडेंट दीपक झा एवं सीनियर डीजीएम कामर्शियल शैलेंद्र सिन्हा तथा सरकार की ओर से उद्योग निदेशक सुशांत गौरव एवं उद्योग विभाग के संयुक्त सचिव प्रणव कुमार पाल मौजूद थे।
एमओयू के अनुसार इनलैंड ग्रुप का जो संयत्र गोला में बन रहा है, वहां अक्टूबर महीने से इथेनाल का उत्पादन शुरू हो जाएगा। अक्टूबर महीने से वहां प्रति दिन 350 केएलडी इथेनाल का उत्पादन होगा। इनलैंड ग्रुप अपने इस संयत्र में 480 करोड़ रुपये निवेश करेगी। साथ ही इसमें तीन सौ लोगों को प्रत्यक्ष और तीन हजार लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा। झारखंड के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि होगी।
चार हजार करोड़ का टर्नओवर वाली कंपनी है इनलैंड ग्रुप
इनलैंड ग्रुप भारत की तेजी से बढ़ती हुई कंपनी है। इसकी उपस्थिति पूरे भारत में व्यवसाय के विभिन्न क्षेत्रों में है। इस कंपनी ने लॉजिस्टिक सर्विस, बिजली उत्पादन, चाय उत्पादन, रिटेल चेन आउटलेट, इनलैंड माइनिंग और हैंडलिंग एवं इनलैंड ईवी ग्रीन सर्विस प्राइवेट लिमिटेड में अपने व्यवसाय को फैला रखा है।
इस ग्रुप का वर्तमान टर्नओवर लगभग 4000 करोड़ का है। इस कंपनी के द्वारा सन 2011 में इनलैंड पावर लिमिटेड के नाम से झारखंड राज्य के रामगढ़ जिले के गोला ब्लॉक में एक 2 X 63 MW क्षमता का विद्युत उत्पादन संयंत्र लगाने के लिए एमओयू का हस्ताक्षर किया गया था। इसकी एक इकाई से MoU में निर्धारित समय सीमा के अंदर, 2014 में उत्पादन चालू किया गया। उसी समय से झारखंड बिजली वितरण निगम के साथ लंबी अवधि के करार के अनुसार निरंतर बिजली की सप्लाई की जा रही है।
इस इकाई में इनलैंड पावर लिमिटेड के द्वारा करीब साढे तीन सौ करोड़ की पूंजी का निवेश किया गया है। इसमें करीब 300 लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार एवं अप्रत्यक्ष रूप से करीब 3000 व्यक्ति लाभान्वित हो रहे हैं।
इथेनॉल भारत को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है। भारत सरकार ने 2025 तक 20% इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल के उपयोग का लक्ष्य निर्धारित किया है जो कि तेल के आयात बिल को काम करने में मदद करेगा। साथ ही साथ भारत को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएगी। इससे भारत सरकार को प्रति वर्ष लगभग 30000 करोड़ विदेशी मुद्रा के बचत का अनुमान है।
इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल से कार्बन मोनोऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन एवं नाइट्रोजन के उत्सर्जन में लगभग 30% की कमी आएगी।
देश में डिस्टिलरी आमतौर पर शीरे से इथेनॉल का उत्पादन करती है जो चीनी का उप-उत्पाद है। हालांकि, 20 प्रतिशत सम्मिश्रण लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए गन्ना का उपयोग पर्याप्त नहीं है। इसलिए, मक्का, क्षतिग्रस्त खाद्यान्न (डीएफजी) और भारतीय खाद्य निगम के पास उपलब्ध चावल जैसे खाद्यान्नों से इथेनॉल बनाने की भी अनुमति दी गई है। 2025 तक पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल मिलाने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए लगभग 1016 करोड़ लीटर इथेनॉल की आवश्यकता होगी और अन्य उपयोगों के लिए लगभग 334 करोड़ लीटर इथेनॉल की आवश्यकता होगी। इसके लिए लगभग 1700 करोड़ लीटर इथेनॉल उत्पादन क्षमता की आवश्यकता होगी।
अन्य राज्यों की तरह झारखंड सरकार ने भी निवेशकों को झारखंड में आकर्षित करने के लिए 21 अक्टूबर 2022 को एथेनॉल प्रोडक्शन प्रमोशन नीति 2022 को मंत्री परिषद के द्वारा मंजूर किया गया। झारखंड सरकार की इस नीति से प्रोत्साहित होकर इनलैंड ग्रीन एनर्जी ने इथेनॉल के क्षेत्र में झारखंड में लगभग 480 करोड़ के पूंजी निवेश के साथ 350 किलो लीटर क्षमता एवं 15 मेगावाट की क्षमता का कैपटिव पावर प्लांट लगाने का निर्णय लिया है। इससे न केवल किसानों की आय बढ़ेगी बल्कि साथ में अतिरिक्त रोजगार का भी सृजन होगा। झारखंड में उत्पादित इथेनॉल को झारखंड राज्य में ही उपयोग करने की प्राथमिकता दी जाएगी जो कि राज्य में पर्यावरण में कार्बन के उत्सर्जन में कमी लाएगा।
झारखंड में मक्का का उत्पादन निरन्तर हो रहा है। हालांकि मक्का की कम मांग के कारण किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है। मक्का से इथेनॉल के उत्पादन से मक्का की मांग बढ़ेगी। इससे किसानों को बेहतर कीमत मिलेगी। आम तौर पर, मक्का का बाजार मूल्य न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे रहता है, जिससे इस फसल के लिए खेती का क्षेत्रफल कम हो जाता है। इथेनॉल उत्पादन के लिए मक्का का उपयोग, बेहतर कीमतों और मक्का की लगातार मांग को सुनिश्चित करेगा जिससे इस फसल की खेती ज्यादा होगी जो धान की तुलना में कम पानी की खपत वाली फसल है।
इनलैंड ग्रीन एनर्जी के द्वारा झारखंड के किसानों द्वारा उत्पादित मक्का की खरीद करेगा।
अब झारखंड के किसान भी अन्नदाता के साथ-साथ ऊर्जा दाता बनेंगे। यह प्लांट झारखंड के कृषि क्षेत्र, ऊर्जा एवम पर्यावरण के विकास में एक मील का पत्थर साबित होगा।