जगरनाथ महतो का दावा गलत, कभी भी एसटी नहीं था कुर्मी : सालखन
डीजे न्यूज, रांची : आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने बताया कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता व झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने केंद्र सरकार से पूछा है कि बिना किसी पत्र या गजट के कुर्मी को क्यों 1931में एसटी की सूची से बाहर किया गया है? यदि कुर्मी एसटी नहीं हैं तो उनकी जमीन सीएनटी में कैसे है ? मंत्री जगरनाथ महतो को ज्ञात होना चाहिये कि सीएनटी कानून की धारा 46(b) के तहत एससी और ओबीसी के भी जमीन की रक्षा के लिए सीएनटी में प्रावधान है। जिसको 2010 में तत्कालीन झारखंड सरकार, जिसके मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा और उपमुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और सुदेश महतो ने तोड़ने का काम किया था। जिसके खिलाफ मैं झारखंड हाई कोर्ट में 4 दिसंबर 2010 को मुकदमा दायर करके उसको बचाया था। झारखंड हाई कोर्ट ने 25 जनवरी 2012 को हमारे पक्ष में फैसला सुनाया था कि एससी और ओबीसी की जमीन का हस्तांतरण डीसी की अनुमति से ज़िले के भीतर ही सम्भव है। उल्लंघन अविलंब बंद हो।
जगरनाथ महतो का दावा कि हम 1950 के पहले तक एसटी में शामिल थे, दमदार नहीं लगता है। ल 1931 की जनगणना में भी अंग्रेजो के द्वारा जारी सेंसस ऑफ़ इंडिया- 1931 वॉल्यूम 7, बिहार एंड उड़ीसा, पार्ट वन रिपोर्ट बाय डब्लू जी लेसी में इंपीरियल टेबल-18 और 17 में इनका नाम नहीं है। उसी प्रकार बंगाल डिस्टिक गैजेटियर – संताल परगना द्वारा एसएसओ मॉलली-1910 के प्रकाशित सेंसस ऑफ- 1901 में भी इनका जिक्र हिंदू के साथ कॉलम ‘बी’ में कृषक जाति के रूप में दर्ज है। जबकि aborigines के रूप में संताल परगना में केवल संताल, सौरिया पहाड़िया और माल पहाड़िया का नाम दर्ज है। कुर्मी का पुराना दावा कि हम 1913 में एसटी थे भी संदेहास्पद है। 2 मई 1913 के आर्डर नंबर 550 का संबंध इंडियन सकसेशन एक्ट 1865 से है, ना कि यह शेड्यूल ट्राइब (एसटी) चिन्हित करने से संबंधित है।
डब्ल्यू जी लेसी, आई सी एस द्वारा सेंसस ऑफ़ इंडिया – 1931 के अपेंडिक्स 5 में वर्णित ” कुर्मी ऑफ़ छोटानागपुर ” के पेज 293 और पेज 294 में लिखा है कि ऑल इंडिया कुर्मी छत्रिय कान्फ्रेंस, जो मुजफ्फरपुर, बिहार में 1929 को हुआ था, जिसमें मानभूम के कुर्मी भी शामिल हुए थे। वहां पर फैसला लिया गया कि छोटानागपुर के कुर्मी, बिहार के कुर्मी के बीच में कोई भी अंतर नहीं है। उसी प्रकार उसी साल 1929 में एक विशाल जनसभा मानभूम जिले के घगोरजुड़ी में हुआ था। जहां यूनाइटेड प्रोविन्स, छोटानागपुर, उत्तर प्रदेश और बिहार के कुर्मी बड़ी संख्या में जुटे और उसी फैसले को दोहराया कि हम सब एक हैं और हमारे बीच में रोटी-बेटी का संबंध बना रहेगा। 1931 में भी ऑल इंडिया कुर्मी क्षत्रिय महासभा की बैठक बंगाल के मानभूम जिले में हुई। वहां भी इसी बात को दोहराया गया। बल्कि वहां अनेक कुर्मी प्रतिनिधियों ने जनेऊ या पोईता भी धारण किया और हिंदू धर्म संस्कृति को अपनाने का फैसला लिया। अपने आप को ऊंची जाति होने का दंभ भी भरा। अतएव मंत्री जगरनाथ महतो का दावा तथ्यों से प्रमाणित नहीं होता है। दूसरी बात 1950 में संविधान लागू होने के बाद ही ST, SC आदि की सूची बना है। उसके पहले ऐसी कोई सूची नहीं थी। अतः कुरमी को 1931 की सूची से हटाना जैसी बात भ्रामक है, गलत है।
झामुमो के मंत्री जगरनाथ महतो जब कुर्मी हित में केंद्र को सवाल पूछ सकते हैं तो आदिवासी हित में सेंगेल भी शिबू सोरेन, हेमंत सोरेन, चंपई सोरेन और झामुमो के तमाम आदिवासी सांसद, विधायकों से सवाल पूछता है कि आपलोग आदिवासी समाज के साथ हैं या केवल वोट के लोभ लालच में कुरमी को ST बनाकर असली आदिवासी को फांसी के फंदे में लटकाना चाहते हैं ? कुर्मी को एसटी बनाने के सवाल पर आपका स्टैंड नहीं बदलेगा तो यह स्वतः प्रमाणित हो जाता है कि आप और जेएमएम के सभी आदिवासी नेता,कार्यकर्ता और समर्थक आदिवासी विरोधी हैं। आदिवासी के नरसंहार का रास्ता और मौत का कुआं खुद बना रहे हैं। आदिवासी सेंगेल अभियान आपको और आपकी पार्टी को झारखंड और बृहद झारखंड क्षेत्र में सामाजिक-राजनीतिक आंदोलन को तीव्र और व्यापक बनाकर जरूर बेनकाब करेगी। क्योंकि हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झामुमो के सभी सांसद और विधायकों के हस्ताक्षर सहित कुर्मी को एसटी बनाने का ज्ञापन पत्र तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास झारखंड को दिया है। उसी प्रकार 4 फरवरी 2018 को झारखंड दिवस के अवसर पर धनबाद गोल्फ मैदान में जनसभा करने के दौरान गुरुजी शिबू सोरेन द्वारा भी यह घोषित करना कि कुर्मी को आदिवासी बनाना है, दुर्भाग्यपूर्ण है। आदिवासी विरोधी है। सेंगेल इसकी घोर निंदा और विरोध करता है। आदिवासी सेंगेल अभियान को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भरोसा है। आदिवासियों की रक्षार्थ और सरना धर्म कोड की मान्यता के सवाल पर दोनों का सहयोग लेने पर सेंगेल प्रयासरत है।