बुद्ध के रास्ते पर चलकर ही नफरत का माहौल बदलना संभव
डीजे न्यूज, गिरिडीह :
वैशाख पूर्णिमा के दिन सम्यक सम्बुद्ध तथागत गौतम बुद्ध कि 2584वीं त्रिविध पावन जयंती के अवसर पर महामाया प्यारी देवी बुद्ध विहार, बुद्ध ज्ञान विद्यालय सिहोडीह, बुद्ध जयंती सह धम्म देशना कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि भंते ज्ञान रत्न, बुद्ध विहार मटरिया उन्नाव, उत्तर प्रदेश एवं देश के प्रसिद्ध बुद्ध कथा वाचक शाक्य मैत्रीनंदन शास्त्री कन्नौज, उत्तर प्रदेश उपस्थित रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत सुबह11 बजे शाक्यमुनि तथागत गौतम बुद्ध कीके प्रतिमा के सामने ज्ञान के प्रतीक के तौर पर मोमबत्ती जलाकर किया गया।
इस दौरान भंते ज्ञान रत्न एवं बुद्ध कथा वाचक शाक्य मैत्रीनंदन शास्त्री के साथ-साथ बुद्ध विहार के संचालक मान्यवर निर्मल बौद्ध एवं शहर के उपासक-उपासिकाओं के रूप में उपस्थित मान्यवर राजेंद्र प्रसाद वर्मा हेड पोस्टमास्टर, गिरिडीह, देवेंद्र कुमार बौद्ध, संगीता रानी, प्रोफेसर रमेश महेश अमन, रणधीर प्रसाद वर्मा, रीतलाल प्रसाद, महावीर बौद्ध आदि गणमान्य लोगों के साथ साथ विद्यालय के बच्चे बच्चियों तथा सिहोडीह क्षेत्र की माताओं बहनों ने त्रिशरण एवं पंचशील का पाठ एवं बुद्धम शरणम गच्छामि, धम्मम शरणम गच्छामि, संघम शरणम गच्छामि का उद्घोष करते हुए तथागत बुद्ध के बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया।
भंते ज्ञान रत्न ने तथागत बुद्ध के धम्म की व्याख्या करते हुए त्रिशरण, पंचशील एवं अष्टांगिक मार्ग इत्यादि पर चर्चा विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान किया। उन्होंने कहा कि बुद्ध का धम्म मनुष्य को समता, स्वतंत्रता, बंधुत्व और न्याय पर चलने का मार्ग दिखाती है। तथागत बुद्ध के बताए रास्ते पर चलकर सांसारिक दुखों से मुक्ति पाई जा सकती है एवं मनुष्य सही मायने में मानवीय गुणों से परिपूर्ण होकर इस संसार में अपना अमिट छाप छोड़ सकते हैं। बुद्ध के विचार पूरी तरह से अंधविश्वास, पाखंड, कर्मकांड ऊंच-नीच, छुआछूत, भेदभाव, हिंसा, क्रोध ईर्ष्या, द्वेष, लोभ, मोह, लालच इन सब बुराईयों से दूर रहने की शिक्षा प्रदान करती है। मनुष्य के अंदर प्रेम, करुणा, बंधुत्व, मैत्री, सद्भाव, समता, ममता, स्वतंत्रता, न्याय एवं प्राणी मात्र के लिए दया तथा विश्व के कल्याण की कामना करने वाली भावना का विकास करती है।
आज पूरी दुनिया जहां बारूद के ढेर पर बैठकर एक दूसरे के विनाश करने पर आमादा है। ऐसे नफरत भरे माहौल में तथागत बुद्ध के विचार से ही लोगों के दिलों में प्रेम का भाव उत्पन्न किया जा सकता है। हम सभी अपने महापुरुषों के बताए मार्गों पर चलें एवं जाति-पाति, छुआछूत, भेदभाव, आडंबर पाखंड, स्वर्ग नरक, पाप पुण्य इत्यादि अंधविश्वास पूर्ण विचारों का परित्याग कर सादगी, प्रज्ञा, शील एवं करुणा रूपी धम्म के विचारों पर चलें तभी हम स्वयं का एवं समाज का उत्थान कर सकते हैं। कार्यक्रम में बुद्ध कथा वाचक शाक्य मैत्रीनंदन ने तथागत बुद्ध के जीवन एवं दर्शन पर विस्तार पूर्वक जानकारी प्रदान किया।
कार्यक्रम को हेड पोस्ट मास्टर राजेंद्र प्रसाद वर्मा एवं देवेंद्र कुमार बौद्ध ने भी संबोधित किया।