हर दिल में भारत, हर हाथ में तिरंगा : आचार्य प्रसन्न सागर

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डीजे न्यूज, मधुबन, गिरिडीह :
एक आह्वान, एक अभियान, एक अभिमान के संग,
वन नेशन, वन इमोशन, वन आइडेंटिटी की भावना से हर घर फहरायेगा..
भारत का तिरंगा
अटक से कटक तक, कश्मीर से कन्याकुमारी तक..
पूरे देश में, आजादी के अमृत महोत्सव की पावन पुनीत बेला में..
तिरंगा सिर्फ एक ध्वज नहीं है, यह तो प्रत्येक भारतवासी के अंतर्मन से जुड़ी कोमलतम भावना है, जो सिर्फ देश की ही नहीं हमारी भी पहचान है।
तिरंगा हमारे घर, परिवार, समाज, देश और राष्ट्र की अस्मिता, आन, बान और शान का प्रतीक है; हमारी जीवंत-जाग्रत होने का परिचायक है।
तिरंगा मात्र एक कपड़े का टुकड़ा नहीं है, प्रत्युत यह है प्रतीक-हमारे राष्ट्र के गौरव का, आजादी के संघर्ष का, उस संघर्ष में शहीद हुए अनेक बलिदानियों की आहुति का।
तिरंगा भारत की गौरव-गाथा का सारभूत है। यह राष्ट्रीय ध्वज प्रेम, शांति और एकता के प्रति भारतीय जनता के अक्षुण्ण समर्पण और सम्मान का द्योतक है और है राष्ट्र की अखंडता और संप्रभुता का प्रतीक।
हर घर तिरंगा एक महान राष्ट्र की गौरव-गाथा का शंखनाद है, हर जन की देशभक्ति का संगान है और प्रत्येक व्यक्ति की भागीदारी का है अमिट हस्ताक्षर भी।
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज में तीन रंग की क्षैतिज पट्टियां हैं। सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद ओर नीचे गहरे हरे रंग की प‍ट्टी और ये तीनों समानुपात में है। केसरिया रंग, देश की शक्ति और साहस को दर्शाता है। बीच में स्थित सफेद पट्टी धर्म चक्र के साथ शांति और सत्य का प्रतीक है। निचली हरी पट्टी उर्वरता, वृद्धि और भूमि की पवित्रता को दर्शाती है।
सफेद पट्टी पर मौजूद चक्र, धर्म चक्र को इंगित करता है। इस चक्र में 24 तीलियां बनी हुई है, जो 24 तीर्थंकर, 24 पैगंबर, 24 अवतार को 24 घन्टे स्मरण करने का संबोध दे रही है। धर्ममय जीवन जीने, पारस्परिक एकता, समन्वय और सामाजिक समरसता के सन्देश का जयघोष कर रही है। अशोक चक्र का अभिप्रेत है कि यदि इनको छोड़ा, तो व्यक्ति 83 लाख 99 हजार, 9 सौ 99 योनियों में भटकता रहेगा। यह गूढ़ सन्देश तिरंगे को सिर्फ राष्ट्रीय अस्मिता का प्रतीक नहीं बनाता, बल्कि धार्मिक जीवन, नैतिक व्यवहार और समन्वयशील सामाजिक व्यवहार का शक्ति-पुंज बन कर अखिल विश्व को संप्रेरण दे रहा है। राष्ट्रीय एकता, साहस, शौर्य, शक्ति, सकारात्मक विचार और नेक उद्देश्यों के संग जीवन जीने का अद्भुत, अलौकिक संप्रेरण है इस तिरंगे में।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एक नये भारत ने अंगड़ाई ली है। पूरी दुनिया इस नए भारत की तरुणाई को कौतूहल से और अचंभित हो देख रही है, सम्मान की दृष्टि से भारत को संबोधित कर रही है। एक ऐसा भारत उदित हो रहा है, जो आत्मनिर्भर है, जो अपने समृद्ध अतीत पर गौरव करता है और सुदृढ़ भविष्य के लिए करता है आश्वस्त।
मेरा आत्मीय निवेदन है कि हम भारतवासी एक दीप भी जलायें; अपने देश की सुख, शान्ति, समृद्धि, अहिंसा, सदभाव, प्रेम मैत्री, भाई चारा, नैतिक, धार्मिक और आध्यात्मिकता के घी से भर कर, श्रद्धासिक्त विश्वास की बाती से दीपित कर। यह दीपक देश की एकता, राष्ट्र की अखण्डता, देश की अटूट भक्ति, शान्ति और मानवीय गरिमा के प्रति हमारे अन्तर्मन में मान सम्मान को स्फूर्त करता रहेगा।
इसी आत्मीय भाव के साथ, हर घर तिरंगा फहरायें और प्रेम के असंख्य दीप जलाइए, जिनका प्रकाश सम्पूर्ण मानवता को आलोकित करे और लहराता तिरंगा नए भारत के सौभाग्य एवं पुरुषार्थ की पताका को दिग-दिगंत में लहरा दे, फहरा दे – यही है साधक अंतर्मना के अंतर्भाव; अनन्त प्रेम और आशीर्वाद के संग।
आचार्य प्रसन्नसागर

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