हैदराबाद में यदि आप संकट में फंसे हैं तो मदद को आएगा जीत यादव
हैदराबाद में यदि आप संकट में फंसे हैं तो मदद को आएगा जीत यादव
सड़क हादसे में एक मजदूर की मौत ने प्रवासी झारखंडियों को किया एकजुट, तेलांगना में प्रवासी झारखंडियों का चेहरा बन चुका गिरिडीह का युवक जीत यादव
प्रवासियों को एकजुट कर बनाया झारखंड एकता समाज, चार हजार से अधिक हैं इसके सदस्य, अधिवेशन में हर साल जुटते हैं दिग्गज
राकेश, डीजे न्यूज, हैदराबाद : यह तेलांगना की राजधानी हैदराबाद है। हैदराबाद के विकास में झारखंड विशेषकर गिरिडीह जिले के प्रवासी मजदूरों, इंजीनियरों व छोटे-छोटे व्यवसायियों का बड़ा योगदान है। गिरिडीह जिले के पचास हजार से अधिक लोग जिसमें सबसे अधिक संख्या छोटे-छोटे दुकानदार विशेषकर जूस दुकानदार हैं, हैदराबाद में प्रवास करते हैं। इन प्रवासियों के साथ-साथ झारखंड का कोई भी व्यक्ति यदि हैदराबाद में किसी तरह के संकट में फंसता है तो मदद के लिए जीतेंद्र यादव जो यहां जीत यादव के नाम से प्रसिद्ध हैं वह और उनकी पूरी सेंट्रल टीम मदद के लिए सामने आती है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि झारखंड के बड़े-बड़े नेता और जनप्रतिनिधि चाहे व सत्ता पक्ष के हों या फिर विपक्ष के सभी अपने समर्थकों व उनके परिजनों के लिए किसी भी तरह की चिकित्सीय सहयोग के लिए जीत यादव से ही संपर्क करते हैं। जीत यादव एवं उनकी केंद्रीय टीम अपनी शक्ति के अनुरूप हर संभव मदद करते हैं। झारखंड के इन पचास हजार प्रवासियों का हैदराबाद में चेहरा जीत यादव बन चुके हैं। झारखंड के प्रवासियों के साथ किसी भी तरह का मामला होने पर तेलांगना प्रशासन भी जीत यादव से संपर्क करता है। जीत यादव को यह ताकत झारखंड एकता समाज से मिलता है जिसका गठन उसके नेतृत्व में वर्ष 2017 में किया गया था। आज इस संस्था के साढ़े चार हजार से अधिक सदस्य हैं। प्रत्येक वर्ष यह संस्था अपना अधिवेशन मनाता है जिसमें तेलांगना के साथ-साथ झारखंड के दिग्गज नेता शिरकत करते हैं।
आइए आपको बताते हैं कौन हैं जीत यादव और कैसे खड़ा किया संगठन
जीत यादव युवा हैं और गिरिडीह जिले के जमुआ के रहने वाले हैं। उनके पिता परमेश्वर यादव राजनीतज्ञ हैं। वह कोडरमा लोकसभा क्षेत्र से चुनाव भी लड़ चुके हैं। करीब 12 साल पहले वह रोजगार के लिए हैदराबाद आया था। यहां आकर उसने एक छोटा सा दुकान शुरू किया। जीत यादव ने देवभूमि झारखंड न्यूज को बताया कि उस वक्त भी हैदराबाद में हजारों प्रवासी झारखंडी थे, लेकिन कोई एक-दूसरे के संपर्क में नहीं था। इस कारण प्रवासी झारखंडियों की कोई नहीं सुनता था। वर्ष 2017 में देवरी के एक प्रवासी मजदूर मंटू यादव को कुचलकर एक कार भाग गया। शव सड़क पर पड़ा था। वहां करीब दो सौ लोग खड़े थे, लेकिन कोई उठाने वाला नहीं था। पुलिस भी कुछ नहीं कर रही थी। जीत यादव और गिरिडीह के कुछ अन्य युवक जो यहां दुकान चला रहे थे, ने प्रवासियों को गोलबंद कर पुलिस पर दबाव बनाया। इसके बाद पुलिस हरकत में आई। मृतक के आश्रित को छह लाख रूपये मुआवजा दिलाया। इस घटना ने प्रवासियों को चिंतन करने पर विवश कर दिया। इसके बाद जीत यादव के नेतृत्व में प्रवासियों की बैठक हुई। तय हुआ कि जितने भी झारखंड के प्रवासी यहां हैं, सभी को गोलबंद करना होगा। इसके लिए एक संस्था का होना जरूरी है। झारखंड एकता एसोसिएशन नामक संगठन निबंधित करने का निर्णय लिया गया। लेकिन, तेलांगना सरकार ने एसोसिएशन शब्द पर आपत्ति जताई। इसके बाद झारखंड एकता समाज का गठन कर उसका तेलांगना सरकार से निबंधन कराया। इस संगठन के बैनत तले पहली बार 2017 मेंं हैदराबाद के आइबिट्स में झारखंड मिलन समारोह का आयोजन किया गया। दस हजार से अधिक झारखंडी प्रवासियों का जुटान इस समारोह में हुआ था। इसके बाद से प्रत्येक साल इसका अधिवेशन होता है। इसके अधिवेशन में अब तक झारखंड से पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी, नवनिर्वाचित सांसद ढुलू महतो, विधायक विनोद कुमार सिंह, पूर्व विधायक राजकुमार यादव, प्रो. जयप्रकाश वर्मा, भाजपा नेता सुरेश साव आदि शामिल हो चुके हैं। इस साल इसका अधिवेशन 29 जुलाई को हैदराबाद में होगा। झारखंड एकता समाज का संगठन हैदराबाद में आज 22 जोन में कार्यरत है। गच्चू बाउली जोन एआइजी अस्पताल रोड के संगठन प्रभारी शंकर यादव ने बताया कि झारखंड एकता समाज के अध्यक्ष जीतेंद्र उर्फ जीत यादव हैं। इसके अलावा गिरिडीह देवरी के मनोज यादव उपाध्यक्ष, देवरी के संतोष कुमार यादव सचिव, जमुआ के महेंद्र विश्वकर्मा कोषाध्यक्ष, गावां के राजू यादव उप सचिव, राजधनवार के विजय यादव संगठन प्रभारी एवं जमुआ के पींटू यादव मीडिया प्रभारी हैं।
यूं ही नहीं माने जाते हैं हैदराबाद के प्रवासियों का चेहरा
जीत यादव को यूं ही नहीं हैदराबाद के झारखंडी प्रवासियों का चेहरा कहा जाता है। किसी भी प्रवासी मजदूर की यदि हैदराबाद में मौत हो जाती है तो उसके शव को घर तक पहुंचाने का काम झारखंड एकता समाज करता है। किसी को यहां खून की जरूरत होती है तो समाज के लोग उसके लिए खून का प्रबंध करते हैं। हैदराबाद में होटल चला रहे विजय यादव ने बताया कि जीत यादव के नेतृत्व में आंदोलन करने के बाद अब यहां की कंपनियां हादसे में मजदूर की मौत के बाद मुआवजा दे रही है।
हैदराबाद में दुकान चलाने वाले राजधनवार के प्रकाश यादव ने बताया कि चरघरा, जमुआ गिरिडीह के मजदूर लालू पांडेय की मौत ग्लास फैक्ट्री में काम करने के दौरान हादसे में हो गई थी। झारखंड एकता समाज के दबाव पर फैक्ट्री प्रबंधन को छह लाख रुपया मुआवजा देना पड़ा। ऐसे एक-दो नहीं सैकड़ों उदाहरण आपको यहां मिल जाएगा।
हेमंत से की थी जनप्रतिनिधियों और मजदूरों के लिए झारखंड भवन बनाने की मांग
हेमंत सोरेन जब मुख्यमंत्री थे अपनी मां रूपी सोरेन का इलाज कराने हैदराबाद पहुंचे थे। हैदराबाद प्रशासन ने जीत यादव को हेमंत सोरेन से मिलवाया था। जीत यादव ने हेमंत को विस्तार से प्रवासियों की झारखंड के विकास में भूमिका के बारे में बताया था। साथ ही उन्होंने उनसे अपील की थी हैदराबाद समेत वैसे सभी महानगरों में झारखंड भवन बनाया जाए जहां बड़ी संख्या में झारखंड के प्रवासी मजदूर रहते हैं। एक ही जगह में जनप्रतिनिधियों और मजदूरों के लिए इस भवन में अलग-अलग व्यवस्था हो। हेमंत ने इस पर विचार करने का भरोसा दिया था। जीत यादव ने यही मांग भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी से की है। बाबूलाल ने कहा है कि यदि उनकी पार्टी की सरकार बनी तो वह इस पर विचार करेंगे।