दृष्टिबाधित महिला के निर्माणाधीन घर को तोड़ने के मामले मानवाधिकार आयोग ने मांगी रिपोर्ट

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डीजेन्यूज डेस्क : बीते चार मार्च को मधुबन में वन विभाग द्वारा एक दृष्टि बाधित महिला के घर को घ्वस्त करने के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने उपायुक्त से रिपोर्ट मांगी है।  प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत आवंटित एक विकलांग बुजुर्ग महिला के निर्माणाधीन मकान को गिराने पर आठ सप्ताह में रिपोर्ट देने को कहा है।
मालूम हो कि वन विभाग ने वन जमीन का दावा करते हुए एक दिव्यांग महिला का निर्माणाधीन घर ढ़ाह दिया था। इस घटना की काफी निंदा हुई थी। स्थानीय ने साॅशल मीडिया के माध्यम से अपना आक्रोश जारी किया था। पीड़ित के साथ सभी ने सहानुभूति जतायी थी। उसके बाद विधायक ने भी सहायता के लिए पीड़िता से मुलाकात की थी तथा कहा था कि विभाग को मानवता का रूप दिखाना चाहिए था।
बताया जाता है कि आयोग ने 18 मार्च को गिरिडीह के उपायुक्त नमन प्रियेश लकड़ा को संबोधित एक पत्र में राष्ट्रीय विकलांग मंच (द्ध के महासचिव अरुण कुमार सिंह की शिकायत के बारे में जानकारी दीए जिसे आयोग के समक्ष रखा गया था। आयोग ने निर्देश दिया है कि संबंधित प्राधिकारी को शिकायतकर्ता ध् पीड़ित को आठ सप्ताह के भीतर उचित कार्रवाई करने और मामले में की गई कार्रवाई के बारे में सूचित करने के लिए निर्देशित किया जाता है।
बुजुर्ग नेत्रहीन बेघर महिला को प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण ;ग्रामीण आवास योजना जिसे पहले इंदिरा आवास योजना के रूप में जाना जाता था, घर उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार का एक सामाजिक कल्याण कार्यक्रमद्ध में एक घर आवंटित किया गया था। ग्रामीण गरीबों के लिएद्ध। घर लगभग पूरा हो गया था जब वन अधिकारियों ने 4 मार्च को इसे ध्वस्त कर दिया और विकलांग महिला को फिर से बेघर कर दिया। यह वन अधिकारियों की ओर से असंवेदनशीलता को दर्शाता है जो प्रभावशाली लोगों द्वारा वन भूमि के अतिक्रमण पर चुप हैं।
दिव्यांगों शिकायत है कि

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