समय रहते नही चेते तो विलुप्त हो जाएगा मानव : प्रधान जिला जज

0
IMG-20220605-WA0074

डीजे न्यूज, गिरिडीह:
पृथ्वी हमें प्रकृति का दिया गया अनुपम उपहार है एवं इसको अनंत काल तक संरक्षित करके रखना सभी कर्तव्य है। मनुष्यों की दैनिक उपयोगिताएं एवं आधुनिकीकरण के इस अंधी दौड़ में हम सभी लोगों ने प्रकृति के बैलेंस को बिगाड़ कर रख दिया है। परिणाम स्वरूप हमारी धरती के तापमान में निरंतर वृद्धि हो रही है। इससे मौसम में भी काफी बदलाव हो रहा है। कहीं अतिवृष्टि तो कहीं अनावृष्टि जैसी समस्याओं से भी निरंतर सामना करना पड़ रहा है।ये बाते प्रधान जिला जज सह डालसा अध्यक्ष वीणा मिश्रा ने कही।रविवार को विश्व पर्यावरण दिवस पर न्यायालय परिसर में प्रधान जिला जज के साथ एसीजेएम अशोक कुमार, न्यायिक दंडाधिकारी अभिजीत पांडेय, डीएफओ एसके रवि आदि ने पौधरोपण किया।साथ ही पीएलवी को ऑनलाइन कानून की जानकारी देते हुए कहा कि धरती का जलस्तर भी निरंतर नीचे गिरता जा रहा है जिसकी वजह से हम सभी लोगों के जीवन के ऊपर एक गंभीर संकट उत्पन्न होने की स्थिति है। यदि हम लोग समय रहते सचेत नहीं हुए तथा इस प्रकृति को संरक्षित रखने की दिशा में पूरे लगन से और सामूहिक रूप से काम नहीं किए तो वह दिन दूर नहीं कि जब इस धरती से अन्य प्राणियों के साथ साथ मानव प्रजाति भी विलुप्त होने के कगार पर आ जाएंगे। उन्होंने पीएलवी को निर्देशित किया कि अपने-अपने क्षेत्रों में आज के दिन पेड़-पौधों को लगाकर इस महोत्सव को मनाएं। तथा आम लोगों को भी अधिक से अधिक संख्या में पेड़ पौधों को लगाने एवं उसे सुरक्षित करने हेतु प्रेरित करें।उन्होंने ठोस कचरा प्रबंधन नियमावली-2016 के विभिन्न प्रावधानों के ऊपर चर्चा करते हुए कहा कि हम सभी लोगों को इस कानून के अनुसार अपने घरों से निकलने वाले कचरे को भी गीले कचरे एवं सूखे कचरे के रूप में शुरुआती दौर में ही अलग अलग कर उसका सही तरीके से निस्तारण करना चाहिए। प्लास्टिक एवं उन से बने हुए अन्य उत्पादों का उपयोग कम से कम मात्रा में करना चाहिए।उन्हें नालियों, खुले मैदानों, नदियों, तालाबों एवं अन्य जल स्रोतों में नहीं फेंकना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति ऐसा करता है तो वह इस कानून के तहत दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है। इस कानून में फैक्ट्रियों, संस्थाओं, कार्यालयों एवं घरों से निकलने वाले कचरों के उचित निपटान का प्रावधान किया गया है। जिसका पालन हम सभी लोगों को एक सभ्य नागरिक के तौर पर करना चाहिए ताकि पर्यावरण को संरक्षित करने की दिशा में पहल हो सके। यदि कोई फैक्ट्री अथवा संस्था उनके यहां से निकलने वाले कचरे को खुले में छोड़ता है या जल स्रोतों, नदियों, तालाबों, झीलों इत्यादि में इसे फेंकता है तो इसकी सूचना तत्काल ही सरकार के एजेंसियों तक पहुंचानी चाहिए ताकि उनके ऊपर दंडात्मक कार्यवाही किया जा सके।
कार्यक्रम को सफल बनाने में व्यवहार न्यायालय के कर्मचारी प्रभाकर कुमार सिंह, प्राणेश अजीत,निर्भय शंकर चौधरी, नवनीत कुमार दाराद, देवेंद्र कुमार दास शामिल थे।

इस खबर को शेयर करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *