यहां महज डेढ़ सौ रुपये में आंखों का इलाज, 12 सौ में डायलिसिस

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सौ लोगों को रोज निश्शुल्क भोजन कराकर प्यार बांटते चल रही है रोटरी क्लब, मात्र 50 रुपये में बेटियों के लिए उपलब्ध करा रहा वोकेशनल कोर्स की सुविधा 

सुस्मिता, गिरिडीह : मानव सेवा के प्रति समर्पित रोटरी क्लब ने गिरिडीह में चिकित्सा के क्षेत्र में बड़ा नाम कमाया है। रोटरी क्लब ने 12 मई 1959 को यहां रोटरी अस्पताल खोला है। इस अस्पताल में न्यूनतम खर्च पर लोगों का इलाज किया जाता है। विशेषकर नेत्र एवं किडनी रोगियों के लिए यह अस्पताल वरदान साबित हो रहा है। यहां गिरिडीह ही नही बल्कि कोडरमा, हजारीबाग, देवघर के अलावा बिहार के जमुई जिले से भी मरीज आते हैं। रोटरी अस्पताल के चाटर प्रेसिडेंट चांदमल राजगढ़िया एवं

चेयरमैन डॉ गुणवंत सिंह सलूजा हैं। रोटरी क्लब में कुल 77 मेंबर्स हैं।

नेत्र रोग का इलाज

नेत्र संबंधित रोग का यहां बेहतर इलाज होता है। यहां मात्र डेढ़ सौ रुपये में ओपीडी चलाया जाता है। डेढ़ सौ रुपये देकर कोई भी यहां नेत्र रोग का इलाज करा सकता है।

यहाँ मोतियाबिन्द का आपरेशन फेको सर्जरी से मात्र अाठ सौ रुपये से शुरू की जाती हैं। कोई मरीज अगर यह राशि भी देने असमर्थ हैं, तो उसका भी यहां निशुल्क आपरेशन संस्था अपने खर्च पर करवाती हैं। यहां सोमवार से शनिवार तक डॉक्टर रहते हैं। नेत्र के विशेषज्ञ डॉक्टर इलाज करने के लिए कोलकाता से आते हैं।

किडनी मरीजों का डायलिसिस

पूरे गिरिडीह जिले में सिर्फ यही एक अस्पताल है जहां डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध है।

रोटरी क्लब में डायलिसिस सेंटर की शुरुआत 2015 को की गई। झारखण्ड में रोटरी डायलिसिस के मामले में नम्बर एक पर है। यहां बेडों की संख्या पांच हैं। यहां डायलिसिस की न्यूनतम दर 12 सौ रुपये निधारित की गई है। सप्ताह के सातों दिन यहां डायलिसिस के लिए मरीज आते हैं।

सौ लोगों को रोज भोजन करा प्यार बांट रही रोटरी क्लब 

रोटरी क्लब सेवाभाव की भावना से गरीबो के लिए प्यार बांटते चलो अभियान चला रही है।

प्यार बांटते चलो के चेयरमैन राजेश जालान हैं। इनके नेतृत्व में प्रतिदिन सौ लोगों मुफ्त में भोजन कराया जाता है। जो मुफ्त में भोजन नही करना चाहते हैं, वह पांच रुपये दे कर भोजन करते हैं। ये खर्च कमिटी मेंबर करते हैं। किन्हीं के यहां अगर जन्मदिन, शादी की शालगिरह हो या किन्ही की पुण्यतिथि हो और वे भोजन कराने के इच्छुक होतो वे 3100/ रुपये का सहयोग राशि देकर अपने हाथों से भोजन बांट सकते हैं।

यहां विदेशों से आकर कृत्रिम अंग लगाते हैं डाक्टर

राजेश जालान ने बताया कि रोटरी अस्पताल में कभी- कभी अमेरिका से डाॅक्टर आते हैं और कृत्रिम अंग लगाते हैं। इसका खर्च दस लाख तक भी जाता है। ये सब क्लब के सदस्य आपसी सहयोग करते हैं। कुछ मोंगिया, सलूजा, टफकोन, श्रीवीर जैसे फर्म से सहयोग राशी लेते हैं। समाजसेवा की भाव से सभी सहयोग करते हैं।

मात्र 50 रुपये में वोककेशनल कोर्स की सुविधा

रोटरी क्लब में वोकेशनल कोर्स मात्र 50 रुपया प्रति माह की दर से करवाई जाती हैं। जिनके पास 50 रुपये भी उपलब्ध नही हैं वैसी महिलाएं व बच्चियां मुफ्त में कोर्स कर सकती हैं। संस्था का उद्देश्य महिलाएं व बच्चियां आत्मनिर्भर बन सके। महिलाएं व बच्चियां यहाँ मेंहदी, सिंलाई, ब्यूटीशियन, कुकिंग व कम्प्यूटर सिखाती हैं।

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