मधुबन : भक्तों की टोली ने खेली अध्यात्म के रंग की होली
दीपक मिश्रा : दिन – गुरूवार, स्थान – मधुबन स्थित भोमिया जी मंदिर, समय – रात दस बजे
चांदनी रात की दुधिया रौशनी में मधुबन के दर्जनाधिक श्वेत संगरमर से बने मंदिरों का रूप और भी निखर आया है। रंगबिरंगी इलेक्ट्रिक बल्बों की लड़ियां मंदिरों की सुंदरता और भव्यता में चार चांद लगा रही है। देश के विभिन्न कोनों से आये हजारों श्रद्धालुओं की चहलकदमी यहां के माहौल को किसी महानगर के माहौल में रूपांतरित कर रही हैं। इसी बीच भोमिया जी मंदिर में भक्ति का कार्यक्रम आरंभ हो चुका है और अब तक पूरी गति भी पकड़ ली है। मंदिर परिसर भक्तों से खचाखच भरा है। शाम छह बजे से ही लोग अपनी-अपनी जगह बनाने में जुट गए थे। इस समय तो बाबा का दर्शन करना भी मुश्किल हो रहा है। भजन मंडलियों द्वारा प्रस्तुत किए जा रहे भजनों ने पूरे माहौल को न केवल भक्तिमय कर दिया है बल्कि भक्तों को झूमने पर मजबूर भी कर दिया है। वहीं मंदिर की साज सज्जा ऐसी कि आंगंतुक अपलक देखते जा रहे हैं। इन सुंदर दृश्यों को हमेशा के लिए हृदय में समेट लेना चाह रहे हैं ताकि जब वापस अपने घर जाये ंतो इन सुखद क्षणों को अपने साथ लेते जायें। जहां एक ओर मंदिर परिसर को दुल्हन की तरह सजाया गया है वहीं मंदिर प्रवेश के लिए इस कदर व्यवस्था की गयी है कि किसी भी भक्त को किसी भी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े।
दिन बदल गया है और अभी सुबह के दस बज रहे हैं। मंदिर में दर्शन पूजा का सिलसिला अनवरत चल रहा है। सुखद भविश्य के लिए किसी के मन में बाबा को अबीर अर्पित करने की चाह है तो कोवल प्रार्थना के रूप में अपने मन की व्यथा भोमिया बाबा के समक्ष रख रहा है। मंदिर से बाहर निकलने के बाद होली की षुभकामना दे रहे हैं, कुछ एक दूसरे को गुलाल भी लगा रहे हैं।
दिन शुक्रवार, स्थान – भोमिया जी मवन, समय – शाम आठ बजे
होली में पूरे मधुबन में भोमिया जी मंदिर के साथ भोमिया भवन भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यहां भी भोमिया मंदिर परिसर में भक्ति से सराबोर भक्तों की भीड़ हैं। कुछ झूम रहे हैं तो कुछ गा रहे हैं। भक्तों के आवागमन का सिलसिला जारी है। मंदिर की साज सज्जा लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है। इन दोनों स्थलों के अलावे भी अन्य संस्थाओं में धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहें है। अखिल भारतीय सराक जैन संगठन, श्री दिगंबर जैन तेरहपंथी कोठी, श्री दिगंबर जैन बीसपंथी कोठी, त्रियोग आश्रम, अणिंदा पाश्र्वनाथ समेत अन्य संस्थाओं में भी कार्यक्रम आयोजित हुए।
दिन – शनिवार, स्थान – मधुबन मुख्य मार्ग, समय – दोपहर एक बजे
होली के समापन के बाद अब श्रद्धालु वापस लौट रहे हैं। ऐसे में वाहन चालकों के बीच आगे निकलने की होड़ मची है जिसका फलाफल है रोड जाम। हर दो-दो मिनट में रोड जाम हो रहा है। यहां आये यात्री यहां की लचर व्यवस्था को कोस रहे हैं वहीं वाहन चालक एक-दूसरे को गालियां देते हुए आसपास के लोगों को भी शर्मसार कर रहे हैं। मधुबनवासियों के लिए यह कोई नई बात नहीं हैं जब जब भी भीड़ जमा होती है ऐसा नजारा आम हो जाता है। इधर रोड जाम की खबर मिलते ही थाना प्रभारी ने जवानों को जामस्थल भेजा और कुछ ही देर में स्थिति सामान्य हो गयी है। पुलिस द्वारा विभिन्न कार्यक्रम स्थलों का जायजा लिया जा रहा था ताकि विधि व्यवस्था बनी रहे तथा बाहर से आने वाले किसी भी श्रद्धालुओं को परेषानी का सामना न करना पड़े। तीर्थयात्रियों के वापस लौटने का सिलसिला षुरू हो गया है। मिल रही प्रारंभिक जानकारी के अनुसार लगभग 15 हजार श्रद्वालु होली मनाने मधुबन पहुंवे थे।यहां की होली में नहीं होती है रंगों की भूमिका
‘होली‘ का नाम सुनते ही लोगों के जेहन में रंग- अबीर व मौज, मस्ती, हुडदंग आदि आने लगता है पर मधुबन की होली में रंगों की कोई भूमिका नहीं होती। यहां को होली में बाहर से भक्तगण अध्यात्म के रंग में सराबोर होते हैं। जगह-जगह धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। मालूम हो कि पारसनाथ की तलहटी में बसा मधुबन जैन धर्मावलंबियों का विष्वप्रसिद्ध तीर्थस्थल है। जैन धर्म के मतानुसार पारसनथ पर्वत में 24 में से 20 तीर्थंकरों ने निर्वाण प्राप्त किया है।
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“होली में यहां कई धार्मिक कार्यक्रम होते हैं। पर जैन धर्म का होली से कोई सीधा संबंध नहीं है। और न ही जैन शास्त्रों में ही उल्लेख है। जैन समाज के लोग अधिकतर व्यापारी होते थे। होली के अवसर पर उनके सभी कर्मचारी होली की छुट्टी में घर चले जाते थे। प्रतिष्ठान बंद हो जाते थे। वैसे में जैन समाज के लोग मधुबन आ जाते थे। रंग.अबीर से कोई लेना देना था। वे विभिन्न मंदिरों पूजा पाठ कर होली का समय व्यतीत करते थे। तब से धीरे-धीरे होली के अवसर पर मधुबन आने की परंपरा बन गयी।” आचार्य सुयश सूरी जी महाराज
“होश संभालने के बाद से हर वर्ष बाबा के दरबार में ही होली बिता।जैन धर्म में होली के महत्व पर नहीं बोल कसते पर होली में हमेशा भोमिया बाबा के दरबार में रहे। आज उम्र 82 साल है। पहले कोलकाता से यहां आया करता था। 10.12 वर्षों से मधुबन में ही रह रहे हैं।होली के अवसर पर राजस्थान से भी भारी संख्या में लोग आते हैं। अध्यात्म से पूरा मधुबन सराबोर रहता है। श्रद्धालु पवित्र पारसनाथ की वंदना भी करते हैं।” – तोला राम भंसाली, स्थानीय निवासी