सम्मान पाकर खुशी से झूम उठे दादा -दादी, नाना -नानी

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सम्मान पाकर खुशी से झूम उठे दादा-दादी, नाना-नानी 

जहां बुजुर्गों का सम्मान होता है, वह घर स्वर्ग समान होता है : राकेश सिन्हा

डीजे न्यूज, कतरास, धनबाद : विद्या विकास समिति झारखंड द्वारा संचालित सरस्वती विद्या मंदिर सिनीडीह में शुक्रवार को दादा- दादी, नाना- नानी सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। शुरुआत छात्र-छात्राओं द्वारा दादा -दादी, नाना-नानी का चरण प्रक्षालन, चंदन टीका एवं पुष्पार्चन कर उनके स्वागत से की गई।

इसके उपरांत वंदना सभागार में मुख्य अतिथि चरण महतो, विशिष्ट अतिथि विनोद सिंह,  पतंजलि योग शिक्षक ललन यादव, विद्यालय के कोषाध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद, विद्यालय कार्यकारिणी के सदस्य उत्तम गायली, दादी प्रतिनिधि मंजू श्रीवास्तव, पूर्व आचार्य सतीश पांडे एवं विद्यालय के प्राचार्य राकेश सिन्हा ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन एवं मां सरस्वती, ॐ एवं भारत माता के चित्र पर पुष्पार्चन किया। इस दौरान विद्यालय के बच्चों द्वारा दादा -दादी, नाना- नानी का स्तुति गान किया गया। प्राचार्य राकेश ने कहा कि जहां बुजुर्गों का सम्मान होता है, वह घर स्वर्ग समान होता है। उन्होंने इस तरह के समारोह आयोजित करने के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि छात्र-छात्राओं में भारतीय संस्कृति एवं संस्कार पक्ष को विकसित करना है। उन्होंने कहा कि दादा-दादी, नाना-नानी ईश्वर के प्रतिरूप होते हैं। उनका सदैव सम्मान होना चाहिए, क्योंकि बच्चों में असली संस्कार दादा-दादी एवं नाना-नानी ही भरते हैं। परंतु वर्तमान समय में ऐसा लग रहा है कि बुजुर्गों के प्रति हम उदासीन होते जा रहे हैं। पाश्चात्य संस्कृति हमारे ऊपर हावी होती जा रही है। तभी तो जगह-जगह पर हैप्पी होम एवं वृद्धाश्रम विकसित होते जा रहे हैं। परंतु हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि बुजुर्ग वट वृक्ष की तरह होते हैं, जिसकी छाया हमें शांति ,समृद्धि एवं सुरक्षा प्रदान करती है। इसी भाव को ध्यान में रखते हुए विद्या भारती ने अपने विद्यालयों में दादा-दादी, नाना-नानी सम्मान समारोह की शुरुआत की। आचार्य विश्वनाथ दास ने कहा कि दादा-दादी, नाना-नानी के निकट बच्चे अपने आप को सुरक्षित समझते हैं। आज के इस भाग -दौड़ वाली जिंदगी में यह कार्यक्रम समाज को एक संदेश देता है कि बुजुर्गों का सम्मान ही हमारी संस्कृति को बचा सकती है। धन्यवाद ज्ञापन वरिष्ठ आचार्य विधान चंद्र झा ने किया।

आचार्य धर्मेंद्र तिवारी, प्रियंका बागची, आचार्य  विकास गुप्ता, अशोक कुमार सिंह, निशा तिवारी, कुमारी नमिता, नवल किशोर झा, अनीता कुमारी,  मुरारी दयाल सिंह, नमिता कुमारी, उषा कुमारी,  जितेंद्र कुमार दुबे, सुतापा विश्वास, विनीता कुमारी, अनूप कुमार पांडे, सुलेखा कुमारी एवं पीयूष बेरा उपस्थित थे।

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