एमएसीपी के लिए सीएम आवास पर अनशन पर हैं गिरिडीह के शिक्षक
एमएसीपी के लिए सीएम आवास पर अनशन पर हैं गिरिडीह के शिक्षक
अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के आह्वान पर पांच अगस्त से मुख्यमंत्री आवास पर आंदोलनरत हैं राज्यभर के शिक्षक
डीजे न्यूज, गिरिडीह : अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के आह्वान पर राज्यभर के प्राथमिक शिक्षक सुनिश्चित वृति उन्नयन योजना (एमएसीपी) लागू करने समेत अन्य मांगों को लेकर पांच अगस्त से मुख्यमंत्री आवास के समक्ष आमरण अनशन पर बैठे हैं। बुधवार को गिरिडीह जिले के सैकड़ो शिक्षक वहां आमरण अनशन पर बैठे हैं। आंदोलनकारी शिक्षकों ने अपनी मांगों को लेकर वहां जमकर नारेबाजी की।
साथ ही ऐलान किया कि उनकी मांगेंं पूरी होने तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। आज के आंदोलन में शामिल होने वालों में अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के गिरिडीह जिलाध्यक्ष बिनोद राम, महासचिव छोटेलाल मुर्म, रामदेव वर्मा, मितेन्दृ नारायण, राजनारायण वर्मा, सलीम अंसारी, सुखदेव दास, सबीर अंसारी, रंजीत कुमार, सुमन प्रसाद, मनोज कुमार राम, प्रणय मिश्रा, गजेंद्र प्रसाद, अंबिका महतो, बसंत वर्मा, हरिनंदन कुमार, अशोक वर्मा, दिगंबर प्र. दिवाकर, सुधीर गुप्ता, युगल किशोर, महादेव राय, सुनील टुडू, प्रदीप वर्मा आदि प्रमुख हैं।
अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ की यह है मांग
राज्य के शिक्षकों के लिए सुनिश्चित वृति उन्नयन योजना (एमएसीपी) लागू करने, स्नातक प्रशिक्षित और प्रधानाध्यापक के पदों पर प्रोन्नति देने, छठे वेतनमान की विसंगति दूर करना, अंतर जिला स्थानांतरण में गृह जिला में स्थानांतरण का विकल्प देने, स्वास्थ्य बीमा लागू करने, राज्यकर्मियों के लिए सभी स्थानों पर परिवहन भत्ता।
अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ की राज्य कार्यकारिणी ने लिया था आंदोलन का फैसला
एमएसीपी की मांग को लेकर मुख्यमंत्री के समक्ष पांच अगस्त से राज्य के शिक्षक करेंगे आमरण अनशन, यह निर्णय पिछले दिनों अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के राज्यकार्यकारिणी की रांची में हुई बैठक में लिया गया था। संघ ने कहा है कि बिहार की भांति राज्य के शिक्षकों को एम ए सी पी का लाभ देने का आश्वासन 2022 में ही मुख्यमंत्री द्वारा शिक्षकों को दिया गया था,लेकिन आज तक इस पर निर्णय नहीं लिया सरकार ने। शिक्षकों की प्रोन्नति को कोर्ट के हवाले करके शिक्षा विभाग शिक्षकों को मानसिक रूप से परेशानी में डाले हुए हैं। साथ ही 2016 से पूर्व के नियुक्त शिक्षकों को उनके वरीयता का लाभ अब तक नहीं मिल पा रहा और स्नातक प्रशिक्षित शिक्षक के चालीस प्रतिशत पद तथा प्रधानाध्यापकों के 97 प्रतिशत पद रिक्त पड़े हुए हैं, कैबिनेट से निर्णय होने के बाद भी राज्यकर्मियों को अब तक स्वास्थ बीमा लागू नहीं किया जा सका है। छठे वेतनमान की विसंगति दूर करने में शिक्षकों के साथ भेदभाव रखते हुए सचिवालय सहायकों को इसका निदान कर दिया गया लेकिन शिक्षकों का मामला अब तक लंबित है।