भौगोलिक-सामाजिक स्थितियां बदली लेकिन नहीं हो सका गजलीटांड़ खान हादसे के कारणों का खुलासा
भौगोलिक-सामाजिक स्थितियां बदली लेकिन नहीं हो सका गजलीटांड़ खान हादसे के कारणों का खुलासा
25 सितंबर की रात खदान में पानी घुस जाने से 64 श्रमिकों ने ली थी जलसमाधि
तरुण कांति घोष, कतरास, धनबाद : जिले के गजलीटांड में 25 सितंबर 1995 की रात हुई खान हादसे के बाद यहां की भौगोलिक, सामाजिक व आर्थिक स्थितियां बदल गई। भूमिगत खदान से लेकर आउटसोर्सिंग के माध्यम से कोयला खनन करने तक के सफर में गजलीटांड में कुछ नहीं बदला तो वह है खान हादसे के कारणों के खुलासे का इंतजार। शहीद हुए कोल कर्मियों के शव के अवशेष भी भूमिगत खदान के अंदर से बाहर नहीं निकाला जा सका साथ ही हादसे के बाद गठित मुखर्जी कमेटी की जांच का भी आज तक कोई निष्कर्ष नहीं निकला।
25 सितंबर 1995 की वह काली रात
कोल इंडिया और भारतीय खनन के इतिहास में 26 सितंबर 1995 का सवेरा एक काला अध्याय लेकर आया। 25 सिंतबर को कोल इंडिया की अनुषंगी इकाई बीसीसीएल की गजलीटांड कोलियरी के छह नंबर भूमिगत खदान के 10 नंबर सिम में 64 कोल कर्मी देश के लिए कोयला खनन करने में जुटे हुए थे।कोलकर्मी ऊपर हो रही मूसलाधार बारिश से अनजान थे। उस दिन दर्ज की गई 331 मिमी बारिश के पानी से कतरी नदी उफान पर था। अचानक कतरी नदी का तटबंध टूट गया और नदी का पूरा पानी गजलीटांड कोलियरी के छह नंबर भूमिगत खदान के 10 नंबर सिम में घुस गया। खदान के अंदर काम करने वालों को बचाव का मौका भी नहीं मिला और 64 कोलकर्मियों ने जलसमाधि ले ली थी।
28 वर्ष हो गया पूरा
26 सितंबर 2023 को गजलीटांड़ हादसा के 28 वर्ष वर्ष पूरे हो गए। इतने साल बीत जाने के बाद भी हादसे से जुड़े कई पहलु आज भी अनसुलझे हैैं। 25 सितंबर 1995 की काली रात गजलीटांड कोलियरी सहित बीसीसीएल के अन्य भूमिगत खदानों के लिए प्रलयंकारी रात बनकर आई थी। गजलीटांड सहित कंपनी के अन्य जगहों के खदान में हुई घटना में 79 कोलकर्मी काल कवलित हुए थे। गजलीटांड कोलियरी के 64 कोलकर्मी के अलावा चैतुडीह खदान में चार, साउथ गोविदपुर में तीन, बेरा कोलियरी में तीन, निचितपुर कोलियरी में दो, केशलपुर कोलियरी में एक कर्मी काल के गाल में समा गए थे। धनबाद जिले में हुई इतनी बड़ी घटना की गूंज बिहार से दिल्ली तक पहुंची। घटना के बाद तत्कालीन कोयला मंत्री जगदीश टाइटलर, एकीकृत बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव जैसे राजनीतिक हस्तियों के अलावा बीसीसीएल के तत्कालीन सीएमडी जीसी मृग सहित क ई जनप्रतिनिधि गजलीटांड पहुंचे थे। 26 सितंबर की सुबह गजलीटांड में हाहाकार मच गया था। जलसमाधि लेने वाले कर्मियों के परिजनों की करुण क्रंदन से पूरा इलाका दहल उठा था। बीसीसीएल की लापरवाही पर आमजनों के साथ साथ श्रमिक संगठनों में उबाल था। घटना के बाद जलसमाधि लिए कर्मियों के आश्रितों को तत्काल नियोजन, कंपनी की वित्तीय सहायता, केंद्र व राज्य सरकार की ओर से सहायता, आपदा राहत कोष से आर्थिक मदद की ग ई थी।
नहीं निकला मुखर्जी कमेटी की जांच का निष्कर्ष
घटना के बाद इसकी जांच के लिए जस्टिस एस मुखर्जी की अध्यक्षता में मुखर्जी कमीशन/कोर्ट आफ इंक्वाइरी का गठन किया गया था। कमेटी में एसेसर (जस्टिस को सलाह देने वाला व्यक्ति) इंटक के तत्कालीन महामंत्री राजेंद्र प्रसाद सिंह तथा भारतीय खनिज विद्यापीठ के प्रोफेसर एस मजूमदार बनाए
गए थे। लंबे समय तक जांच हुई, लेकिन नतीजा आजतक सामने नहीं आया। हर साल श्रद्धांजलि देने की परंपरा दोहराई जाती है। लेकिन इस खान हादसे का दोषी कौन था, इस पर पर्दा नहीं उठ सका है। घटना का रहस्य इतिहास के पन्नों में दबकर रह गया है।
सर्वधर्म प्रार्थना सभा व फुटबॉल प्रतियोगिता
शहीद कर्मियों की याद में हर वर्ष की तरह इस साल भी मंगलवार को गजलीटांड स्थित शहीद स्तंभ पर सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया है। शहीदों की स्मृति में फुटबॉल प्रतियोगिता चल रही है। सुबह से कुरान व गीता पाठ की गूंज सुनाई देगी। शहीद के परिजनों के अलावा बीसीसीएल के उच्चाधिकारी, विभिन्न राजनीतिक दल के नेता, श्रमिक संगठन, सामाजिक संगठन से जुड़े लोग गजलीटांड आकर शहीद स्तंभ पर श्रद्धासुमन अर्पित करेंगे।