मोबाइल फोन और उसके इस्तेमाल में लैंगिक असमानता

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डीजे न्यूज डेस्क, रांची : स्वैच्छिक संस्था क्वेस्ट अलायंस के द्वारा किए गए सर्वे के अनुसार मोबाइल तक पहुंच और इस्तेमाल में भारी लैंगिक विषमताएं हैं। यह बातें कोविड के दौरान किशोरियों का मोबाइल लर्निंग के प्रति व्यवहार पर एक समझ…विषय पर आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान संस्था के सीइओ आकाश सेठी ने कही।
सेठी ने बताया कि बिहार, झारखंड और गुजरात के पांच सौ उच्च एवं मध्य विद्यालयों की किशोरियों की प्रतिक्रिया को इस सर्वे रिपोर्ट में शामिल किया गया है। इसमें पता चला है कि घरों में मोबाइल की संख्या और किशोरियों का आनलाइन सीखने पर बिताए गए समय के बीच एक गहरा सह संबंध है। झारखंड में किशोरियों की स्थिति…कार्यक्रम क्वेस्ट अलायंस, संपूर्णा कंसोर्टियम और दासरा एडोलोसेंट कोलाबोरेटिव के संयुक्त प्रयास से किया गया था। इसमें पाया गया कि झारखंड की अधिकतर किशोरियां यानी 51 प्रतिशत तक जिनके घरों में केवल 1 मोबाइल फोन है वे प्रतिदिन एक घंटे से कम समय मोबाइल पर बिताती हैं जबकि जिन घरों में 2 मोबाइल फोन हैं वहां की 83 प्रतिशत किशोरियां प्रतिदिन 1-2 घंटे मोबाइल पर समय बिता पाती हैं। वहीं संस्था की एसोसिएट निदेशक दीपिका सिंह ने बताया कि विद्यालय कार्यक्रम (क्वेस्ट अलायंस) की रिपोर्ट कहती हैं कि यदि घरों में मोबाइल की संख्या अधिक होती है तो हो सकता है कि किशोरियां मोबाइल पर समय ज्यादा बिता पाएंगी। जिन घरों में एक मोबाइल होता है वहां किशोरियों की अपेक्षा किशोरों को अधिक तवज्जो दिया जाता है। खासकर आनलाइन क्लासेस के समय। हालांकि अधिकतर बच्चों ने आफलाइन शिक्षा को आनलाइन शिक्षा के मुकाबले अधिक प्राथमिकता दी है। जबकि झारखंड की 36 प्रतिशत किशोरियां आनलाइन शिक्षा को ही प्राथमिकता देती हैं। सीइओ ने कहा कि फिलहाल उनकी संस्था छह जिलों में ही कार्य कर रही है जबकि इस वित्तीय वर्ष से राज्य के सभी 24 जिलों में कार्य की शुरुआत करेगी। इसके लिए कार्ययोजना तैयार की गई है।

आइटीआइ में महिला भागीदारी पर चर्चा :
एक अन्य सर्वेक्षण जिसका शीर्षक झारखंड में महिला आइटीआइ की मैपिंग…था का भी विमोचन किया गया। सर्वेक्षण से पता चला है कि 13 महिला आइटीआइ में कुल 556 स्वीकृत सीटों में से 62 प्रतिशत ही भरे थे। केवल एक आइटीआइ में उनकी शत प्रतिशत सीटें भरी हुई थीं। जबकि एक अन्य आइटीआइ में उनकी सीटों का केवल 16.7 प्रतिशत ही भरी हुईं थी। चूंकि महिला आइटीआइ में स्वीकृत सीटे नहीं भरे जा सकने के कारण कई राज्य सरकारें उन्हें सह शिक्षा में तब्दील कर रही हैं। जिससे की छात्रों के नामांकन को बढ़ाया जा सके। महामारी के दौरान कई छात्रों को जीवकोपार्जन के लिए अपने आइटीआइ कार्यक्रम को बीच में छोड़ कर अन्य रोजगार से जुडना पड़ा। क्योंकि उनकी आजीविका गंभीर रूप से प्रभावित हो रही थी। क्वेस्ट एलायंस ने राज्य सरकार के साथ काम करने और कुछ महिला आइटीआइ में काम करने की योजना बनाई है ताकि उनके रोजगार कौशल में सुधार किया जा सके और उनके प्लेसमेंट को सुविधाजनक बनाया जा सके। इससे आइटीआइ में दाखिले की मांग बढ़ेगी। क्वेस्ट एलायंस के झारखंड के कार्यक्रम प्रबंधक सुशांत पाठक ने कहा कि हमारे प्रोजेक्ट के जरिए हम महिला आइटीआइ में नामांकन बढ़ाना चाहते हैं। हम महिला आइटीआइ प्रिंसिपलों के लिए नेतृत्व कौशलों के विकास के लिए कार्यशालाएं आयोजित करना चाहते हैं। प्लेसमेंट सहायता प्रदान करना चाहते हैं और आइटीआइ में उद्योगों की भागीदारी बढ़ाना चाहते हैं।

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