एकडा राधा कृष्ण प्रेम मंदिर में बह रही है धर्म की गंगा
डीजेन्यूज लोयाबाद (धनबाद) : एकडा राधा कृष्ण प्रेम मंदिर के वार्षिकोत्सव में आठ दिनों से भागवत कथा में बह रही है धर्म की गंगा। भागवत कथा सुनने को लेकर काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। भागवत कथा में सुरेंद्र हरिदास जी महाराज द्वारा कथा का वाचन किया जा रहा है। जिसमें श्रीमद्भागवत कथा से जुड़े प्रसंग के बारे में श्रद्धालुओं को बताया जा रहा है। भागवत कथा के अलग-अलग प्रसंग सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर हो उठ रहे हैं। भागवत कथा सुनकर श्रद्धालु आनंदित हो रहे हैं। भगवान की महिमा सुनकर श्रद्धालु श्रद्धा सागर में गोते लगाने को मजबूर हो रहे हैं। शाम होते ही श्रद्धालु मंदिर कथा का श्रवण करने के लिए पहुंच जाते हैं। उन्होंने श्रद्धालुओं को कथा का श्रवण कराते हुए कहा कि भारत विश्व गुरु क्यों कहलाता है। यहां जीवन जीने के लिए हर परिपेक्ष मैं व्यक्ति स्वतंत्र हैं परंतु सहजता से जीवन जीने की कला बिना धार्मिक मूल्यों क को धारण किए बिना नहीं आ सकती है। वर्तमान में लोगों में जातियों में समाजों में असहिष्णुता दया की कमी करुणा मय ह्रदय का भाव और दूसरे मनुष्यों के हित आदि माननीय मूल्य कम हो गए या लुप्तप्राय हो गए हैं जिस कारण प्रत्येक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति का शत्रु बना हुआ है। भागवत कथा इन्हीं मानवीय मूल्यों को सुदृढ़ बनाने का ब्रह्मास्त्र है। कथा सुनने से ह्रदय बुद्धि करुणा प्रेम समर्पण शुद्धता मैत्री आदि पुष्पों को मन के बगीचे में पुष्पित करती है। जब प्रेम का पुष्प खिलता है तब भगवान भंवरे बन कर नित्य मन रूपी बगीचे में ही भ्रमण करते रहते हैं। नाना प्रकार के धर्म भारत में हैं और प्रत्येक धर्म की अपनी-अपनी आस्था और विश्वास है इसलिए मनुष्य को चाहिए कि जिस धर्म में उसका जन्म हुआ है उसी धर्म का पालन करें। गीता में भगवान ने यही बात कही है। जो धर्म परिवर्तित हो जाता है वह धर्म नहीं कहलाता है। जो जन्म से प्राप्त धर्म का त्याग करता है भला वह दूसरे धर्म का मन से आदर कर पाएगा यह संभव नहीं है। भगवान मनुष्य देव पशु-पक्षी आदि योनियों में अलग अलग अवतार में आते हैं। इसका कारण यह है कि कोई भी प्राणी भगवान से दूर ना रहे जैसे भगवान ने मत्स्य अवतार लिया तो सभी जल के जीव भगवान को अपना जाति का मान कर जुड़े इसी तरह जब भगवान नरसिंह, अवतार लिया तो वन्यजीवों को लगा कि भगवान तो हम जैसे वन्यजीव ही हैं जब भगवान ने मनुष्य का अवतार लिया तब हम मनुष्य को लगा कि भगवान हमारे जैसे मनुष्य ही है। हरिदास जी ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा और श्रीराम कथा मानव कल्याण के साथ हमें सत्य के मार्ग पर चलने की सीख देती हैं। मनुष्य को सही रास्ते पर चलने के लिए दोनों कथाओं का समय-समय पर अनुसरण करते रहना चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण ने कहा था कि जो मुझे सच्चे मन से याद करेगा। मैं हमेशा के उसके साथ रहूंगा। इसलिए मनुष्य को सत्य के मार्ग पर चलने के साथ अपना मन भी शुद्ध रखना चाहिए।कार्यक्रम को सफल बनाने में मोहन निषाद,नंद कुमार बीपी,उदय राम, अशोक सिंह, रोहित, धर्मेंद्र, आदि सराहनीय योगदान दे रहे हैं।