बिनोद हत्याकांड में पिता-पुत्र समेत पांच को उम्रकैद

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डीजे न्यूज, गिरिडीह : बिनोद हत्याकांड में दोषी करार दिए सभी पांच लोगो को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।जिला जज तृतीय सोमेंद्र नाथ सिकदर की अदालत ने बुधवार को प्रकाश यादव,द्वारिका यादव,दिनेश यादव,फाल्गुनी यादव और भरत यादव को यह सजा सुनाई है।न्यायालय ने अन्य धाराओं में दो साल और एक साल की सजा भी सुनाया है।सभी सजा साथ-साथ चलेगा।साथ ही पांचो को कुल 80 हज़ार रुपया अर्थदंड जमा करने का भी आदेश दिया है।जुर्माना राशि जमा नहीं करने पर अतिरिक्त सजा जेल में काटनी होगी।न्यायालय ने बीते सोमवार को दोषी करार देते हुए न्यायिक अभिरक्षा में लेकर जेल भेज दिया था।सभी दोषियों के सजा की बिंदु पर सुनवाई बुधवार को होगी।इसके पूर्व सजा की बिंदु पर बहस करते हुए अधिवक्ता बालगोविंद साहू ने न्यूनतम सजा देने की मांग की।कहा फाल्गुनी यादव वृद्ध है।साथ ही अन्य लोगो पर परिवार की जिम्मेवारी रह गई है।घर मे छोटे छोटे बच्चे हैं इनकी परवरिश की समस्या उत्पन्न होगी।इसका विरोध करते हुए एपीपी सुधीर कुमार ने कहा उस मृतक के परिवार का क्या होगा।जिसपर पूरा घर परिवार की जिम्मेदारी थी।इस बारे में सोचने की जरूरत है।हत्यारों के साथ नरमी नही बरती जाए।सभी को कड़ी सजा ही समाज मे शान्ति का संदेश जाएगा।न्यायालय ने दोनों पक्षो की दलील सुनने के बाद सजा सुनाया।
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खुट्टा क्यो गाड़ा बोलते ही फाल्गुनी ने घातक हथियार से किया था हमला
घटना 16 जून 2015 की सुबह छह बजे की है। इस कांड के सूचक मृतक बिनोद यादव के भाई हरिहर यादव ने मुफ्फसिल थाना में प्राथमिकी दर्ज कराया था। अपने प्राथमिकी में कहा था कि उसका भाई घर के पास उसके जमीन पर अवैध रूप से निर्माण को रोकने गया था।सभी पांचो लोग जो अपना रिस्तेदार है।उसके जमीन में जबरन खुट्टा गाड़ कर निर्माण की तैयारी कर रहा था।जब उसके भाई को यह जानकारी हुई तो वह सभी को मना करने गया था।कहा था खुट्टा क्यो गाड़ा। इस पर सभी तैश में आ गए। फाल्गुनी यादव ने तेज हथियार भुजाली से बिनोद के पैर और हाथ मे मारकर जमीन पर गिरा दिया।इसके बाद सभी सभी एक योजना के तहत हत्या करने की तैयारी कर रखी थी। सभी ने बिनोद यादव को मार कर गंभीर रूप से जख्मी कर दिया था। साथ ही सूचक और अन्य घर के सदस्यों को जो बिनोद को बचाने आया था मारकर जख्मी कर दिया था।सभी को इलाज के लिए सदर अस्पताल लाया गया। जहां इलाज के दौरान बिनोद यादव की मौत हो गई।इस मामले में अभियोजन के तरफ से एपीपी सुधीर कुमार ने दस गवाहों का परीक्षण कराया व बहस की थी जिनमें डॉक्टर, अनुसंधानकर्ता ,सूचक मृतक की पत्नी शामिल थे। इसी मामले में चार चश्मदीद गवाह विरोधी घोषित किए गए थे।

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