शिक्षण संस्थानों के सौ गज के दायरे में तम्बाकू उत्पाद बेचने पर लगेगा जुर्माना

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डीजे न्यूज, धनबाद :
जिले के सभी शिक्षण संस्थानों को तम्बाकू मुक्त बनाने एवं “तम्बाकू मुक्त शैक्षणिक संस्थान” के दिशा-निर्देशों के क्रियान्वयन के लिए शुक्रवार को जिला तम्बाकू नियंत्रण कोषांग, सोशियो इकोनॉमिक एण्ड एजुकेशनल डेवलॉपमेंट सोसाईटी (सीड्स) एवं स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग, झारखण्ड सरकार के संयुक्त तत्वावधान में प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर अवर प्रमंडल शिक्षा पदाधिकारी आयुष कुमार ने कार्यशाला में उपस्थित सभी पदाधिकारीयों, प्राचार्यों, शिक्षकों, छात्रों का स्वागत किया तथा कार्यशाला के उद्देश्य के बारे में बताया।
अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि तम्बाकू सेवन की आदत जनस्वास्थ्य के लिए एक बड़ी समस्या के रुप में वैश्विक स्तर पर उभर रही है। अतः तंबाकू सेवन के दुष्परिणाम के प्रति अवयस्क और युवा वर्ग में जागरूकता फैलाना बहुत आवश्यक है।
आयुष कुमार ने कहा कि हम सब की जिम्मेदारी है कि अपने आनेवाले भविष्य की चिंता करते हुए युवाओं और अवयस्कों को तम्बाकू की लत से दूर रखें। उन्होंने बताया कि स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग, झारखण्ड सरकार के मार्गदर्शन में सोसिओ इकोनॉमिक एण्ड एजुकेशनल डेवलपमेंट सोसायटी (सीड्स) झारखण्ड द्वारा “तम्बाकू मुक्त शैक्षणिक संस्थान” के दिशा-निर्देशों के अनुरूप क्रियान्वयन हेतु साकारात्मक प्रयास किये जा रहे हैं। सीड्स झारखण्ड के सहयोग से स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग, झारखण्ड सरकार द्वारा राज्य के रांची, बोकारो, धनबाद एवं पूर्वी सिंहभूम को चिन्हित करते हुए पायलट बेसिस पर 10-10 विद्यालयों (5 सरकारी एवं 5 निजी) को मॉडल तम्बाकू मुक्त शिक्षण संस्थान के रूप में विकसित करने का निर्णय किया है।

सीड्स के कार्यपालक निदेशक दीपक मिश्रा ने तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम की आवश्यकता के बारे में विस्तारपूर्वक चर्चा की।
उन्होंने बताया कि तम्बाकू का उपयोग पूरी दुनियां के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। लेकिन इसका कारोबार और उपयोग विकसित देशों की तुलना में विकासशील देशों में ज्यादा तेजी से बढ रहा है। तम्बाकू उत्पाद से बच्चे, अवयस्क एवं युवा वर्ग के लोगों को बचाये जाने की आवश्यकता है। ग्लोबल यूथ टोबैको सर्वे (2019) द्वारा सम्पूर्ण विश्व में युवाओं द्वारा तम्बाकू सेवन से संबंधित जो आकडें संकलित किये गये हैं वह यह दर्शाता है कि भारत में 13-15 वर्ष के 8.5 प्रतिशत छात्रगण किसी न किसी प्रकार के तम्बाकू का उपयोग कर रहे हैं। वहीं झारखण्ड में यह 5.1 प्रतिशत है जो चिन्ता का विषय है।
मिश्रा ने बताया कि पिछले 7-8 वर्षों से झारखण्ड सरकार और सीड्स ने मिलकर राज्य एवं जिला स्तर पर तम्बाकू सेवन को नियंत्रित करने के लिए काफी प्रभावी कदम उठाये हैं। उन प्रयासों का प्रतिफल गेट्स 2 के रिपोर्ट में देखने को मिला था, जिसके मुताबिक हमारे राज्य में तम्बाकू सेवन करने वालों का प्रतिशत 50 .1 % से घट कर 38.9 % पर आ गया था। लेकिन हम अभी भी राष्ट्रीय औसत (28.6%) से काफी ऊपर हैं।

दीपक मिश्रा ने कहा कि तम्बाकू सेवन से हर साल देश में लगभग 13 लाख लोगों की मौत हो रही है। तम्बाकू सेवन से खास तौर पर बच्चों, अवयस्कों एवं युवा वर्ग के लोगों को बचाये जाने की आवश्यकता है। उन्होने कहा प्रायः ऐसा देखा जाता है कि राज्य के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के आस-पास तम्बाकू उत्पाद जैसे कि सिगरेट, बीडी़, पान मसाला, जर्दा एवं खैनी इत्यादि की बिक्री की जाती है। इससे कम आयु के युवाओं एवं छात्रों में धूम्रपान एवं तम्बाकू सेवन की व्यसन को बढ़ावा मिलता है। अवयस्क और युवा वर्ग तम्बाकू पर आधारित व्यापार एवं उद्योगों के निशाने पर होते हैं, यह हमारे लिए एक गंभीर समस्या है।

तम्बाकू नियंत्रण की जिला नोडल पदाधिकारी डॉ मंजू दास ने कहा कि हम सब कि जिम्मेदारी है कि अपने आनेवाले भविष्य की चिंता करते हुए युवाओं और अवयस्कों को तम्बाकू की लत से दूर रखा जाये। उन्होंने बताया कि स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग, झारखण्ड सरकार के मार्गदर्शन में सोसिओ इकोनॉमिक एण्ड एजुकेशनल डेवलपमेंट सोसायटी (सीड्स) झारखण्ड द्वारा “तम्बाकू मुक्त शैक्षणिक संस्थान के दिशा-निर्देशों के अनुरूप क्रियान्वयन हेतु साकारात्मक प्रयास किये जा रहे हैं।

सीड्स के श्री सोमिल रस्तोगी ने “तम्बाकू मुक्त शैक्षणिक संस्थान के दिशा-निर्देशों के अनुरूप क्रियान्वयन किए जाने के बारे में विस्तार पूर्वक बताया। साथ ही देश के अन्य राज्यों में इस बाबत किये जा रहे अच्छे कार्यों एवं गतिविधियों की जानकारी दी।

कार्यक्रम में राज्य कार्यक्रम प्रबंधक कैलाश चन्द्र साहु, जिला तम्बाकू नियंत्रण कोषांग के राहुल कुमार, सीड्स के रिम्पल झा, धनबाद के चयनित विद्यालय के प्राचार्य, नोडल शिक्षक, छात्र छात्राएं उपस्थित थे।

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