शिशु के लिए स्तनपान संरक्षण व संवर्धन का काम करता है: डा.शिवानी झा

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शिशु के लिए स्तनपान संरक्षण व संवर्धन का काम करता है: डा.शिवानी झा

श्रीकृष्णा मातृ सदन कतरास में मना विश्व स्तनपान दिवस 

कतरास: लायंस क्लब कतरास के तत्वावधान में श्री कृष्णा मातृ सदन रानी बाजार में विश्व  स्तनपान दिवस के अवसर पर मंगलवार को शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में महिलाओं को स्तनपान के प्रति जागरूक किया गया। क्लब के अध्यक्ष सह डॉ  विश्वनाथ चौधरी ने शिविर के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कामकाजी महिलाओं को उनके स्तनपान संबंधी अधिकार के प्रति जागरूकता प्रदान करना है। प्रसिद्ध स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ  शिवानी झा ने कहा कि डब्ल्यूएचओ की सिफारिश के अनुसार नवजात शिशु के लिए पीला गाढ़ा चिपचिपा युक्त मां के स्तन का दूध कोलेस्ट्रम संपूर्ण आहार होता है। जिसे बच्चे के जन्म के तुरंत बाद 1 घंटे के भीतर ही शुरू कर देना चाहिए। सामान्यतः बच्चे को 6 महीने की अवस्था तक केवल स्तनपान कराने की सलाह दी जाती है। उसके बाद 5 वर्ष अथवा उससे अधिक जब तक स्तन से दूध आता है तब तक स्तनपान कराने के साथ-साथ पौष्टिक पूरक आहार भी देना चाहिए। स्तन में दूध पैदा होना एक नैसर्गिक प्रक्रिया है जब तक बच्चा दूध पीता है तब तक स्तन में दूध पैदा होता है एवं बच्चे के दूध पीना छोड़ने के पश्चात कुछ समय बाद अपने आप ही स्तन से दूध बनना बंद हो जाता है।  उन्होंने कहा कि शिशु के लिए स्तनपान संरक्षण और संवर्धन का काम करता है। रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति नए जन्मे हुए बच्चे में नहीं होती है। यह शक्ति माँ के दूध से शिशु को हासिल होती है। माँ के दूध में लेक्टोफोर्मिन नामक तत्त्व होता है, जो बच्चे की आंत में लौह तत्त्व को बांध लेता है और लौह तत्त्व के अभाव में शिशु की आंत में रोगाणु पनप नहीं पाते। माँ के दूध से आए साधारण जीवाणु बच्चे की आंत में पनपते हैं और रोगाणुओं से प्रतिस्पर्धा कर उन्हें पनपने नहीं देते। माँ के दूध में रोगाणु नाशक तत्त्व होते हैं।  माँ का दूध जिन बच्चों को बचपन में पर्याप्त रूप से पीने को नहीं मिलता, उनमें बचपन में शुरू होने वाली मधुमेह की बीमारी अधिक होती है। बुद्धि का विकास उन बच्चों में दूध पीने वाले बच्चों की अपेक्षाकृत कम होता है। अगर बच्चा समय से पूर्व जन्मा (प्रीमेच्योर) हो, तो उसे बड़ी आंत का घातक रोग, नेक्रोटाइजिंग एंटोरोकोलाइटिस हो सकता है।  इसलिए माँ का दूध छह-आठ महीने तक बच्चे के लिए श्रेष्ठ ही नहीं, जीवन रक्षक भी होता है। लायन मधुमाला ने  कहा कि स्तनपान शिशु के जन्म के  पश्चात एक स्वभाविक क्रिया है। भारत में अपने शिशुओं का स्तनपान सभी माताऐं कराती हैं, परन्तु पहली बार माँ बनने वाली माताओं को शुरू में स्तनपान कराने हेतु सहायता की आवश्यकता होती है। स्तनपान के बारे में सही ज्ञान के अभाव में जानकारी न होने के कारण बच्चों में कुपोषण का रोग एवं संक्रमण  हो जाते हैं।  मनीषा मीनू न्यूट्रीशियन ने कहा कि स्तनपान  कराने से मां और शिशु दोनों को फायदा होता है। शिशु के लिए अच्छा और सम्पूर्ण आहार होता है मां का दूध। दूध में पाया जाने वाला कोलेस्ट्रम शिशु को प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करता है। शिशु को रोगों से बचाता है एवं वृद्धि अच्छे से होती है। कर्यक्रम में उषा चौधरी, लायंस क्लब कतरास के डायरेक्टर रितेश दुबे उपस्थित थे।  सफल बनाने में श्री कृष्णा मातृ सदन के सभी सहकर्मी  ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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