भाषा और बांग्ला साहित्य के प्रतिष्ठित कवयित्री सह शिक्षिका डॉ मधुश्री सेन सान्याल।

0
IMG_20220313_161231

न्यूज डेस्क गिरिडीह:डॉ मधुश्री सेन सान्याल झारखंड के गिरिडीह स्थित श्रीराम कृष्ण महिला महाविद्यालय में बांग्ला विभागाध्यक्ष हैं। अच्छी शिक्षिका होने के साथ-साथ इनकी पहचान प्रतिष्ठित बांग्ला लेखिका के रूप में भी है। साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित बांग्ला भाषा के लब्धप्रतिष्ठित कवि नीरेंद्रनाथ चक्रवर्ती पर इनकी शोध पुस्तक काफी चर्चित है। साथ ही दो एकल कविता संग्रह, पचास से नब्बे दशक की बांग्ला कवयित्रियों पर आलोचना पुस्तक एवं अन्य पुस्तकों का प्रकाशन इनके साहित्यिक परिचय के खाते में शामिल है। देश के विभिन्न नामी बांग्ला पत्र पत्रिकाओं में इनकी रचनाएं लगातर प्रकाशित होती रहती हैं। अनुवाद कार्य में संलग्न हैं। इनके संपादन में गिरिडीह से निकलने वाली बांग्ला पत्रिका ‘उसरी’ ने देश के बांग्ला साहित्य जगत में विशेष प्रतिष्ठा प्राप्त करते हुए अपना स्थान बनाया है। कविता इनका मूल प्रेम है। साथ ही यात्रा वृत्तांत में भी समान रूचि है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि ‘शांति निकेतन’ से स्कूली शिक्षा प्राप्त करने वाली और साहित्यिक अवदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित डॉ मधुश्री सेन सान्याल झारखंड में बांग्ला भाषा के प्रतिनिधि रचनाकारों में एक प्रमुख नाम है। गिरिडीह वासियों को इनकी उपलब्धियों पर गर्व है। हम सभी की आकांक्षा है कि मधुश्री मैडम निरंतर उत्कृष्ट साहित्यिक लेखन करतीं रहें। हार्दिक शुभकामनाएं।’अग्रणी पब्लिकेशन’ से प्रकाशित साझा यात्रा वृत्तांत संग्रह ‘हमारी यात्राएँ’ में इनका भी एक हिन्दी संस्मरण- ‘मासाईमारा – सपनों का फेरीवाला’ शामिल है। केन्या के प्रसिद्ध ‘मासाईमारा’ जंगल सफारी के अनुभवों को इन्होंने बहुत ही रोचक और कवितामय भाषा में समेटा है अपने इस यात्रा वृत्तांत में।

इस खबर को शेयर करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *