पूर्व मंत्री गीताश्री समेत दर्जनभर आदिवासी महिलाएं सम्मानित

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डीजे न्यूज, रांची :आदिवासी बचाओ विचार सम्मेलन का आयोजन आदिवासी सेंगेल अभियान ने गुरुवार को रांची में किया। पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने इसकी अध्यक्षता की और लक्ष्मी नारायण मुंडा ने संचालन किया। सम्मेलन में 14 आमंत्रित में से 12 उपस्थित आदिवासी महिलाओं को समाजसेवा में सक्रियता के लिए सम्मानित किया गया। इनमें पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव, कुंदरेसी मुंडा, आलोका कुजूर, रजनी मुर्मू, सुनीता मुंडा, निरंजना हेरेंज टोप्पो, प्रेमशिला मुर्मू ,श्रीमोती हेम्ब्रम, ललिता सोरेन, फुलेश्वरी हेंब्रोम, सुशांति किसकु, सोनोति किस्कु शामिल हैं। सालखन मुर्मू ने सबको एक आदिवासी साड़ी, सिदो मुर्मू का पोर्ट्रेट, सेंगेल पुस्तक, संताली भाषा विजय पुस्तक और एक सर्टिफिकेट प्रदान किया।
सम्मेलन में सालखन मुर्मू ने विषय प्रवेश किया। गीताश्री उरांव, संगीता कुमारी टोप्पो, रंजीत बाउरी, सूरज मुंडा, कुंदरेसी मुंडा, अधिवक्ता मीनाक्षी महली ,निरंजना हेरेंज टोप्पो, रजनी मुर्मू , पंचम लोहरा, आशाराम मुंडा, सुशील उराव (ACS), वासुदेव भगत आदि ने अपने विचार प्रस्तुत किए।

निम्न पांच प्रस्ताव पारित किए गए।

आदिवासी समाज तभी बचेगा जब उसका हासा, भाषा, जाति, धर्म, इज्जत, आबादी, रोजगार, चास- वास और संवैधानिक अधिकार बचेगा। अतः आदिवासियों के सभी सामाजिक -राजनीतिक संगठनों को उपरोक्त एजेंडा पर काम करना और बोलना जरूरी है।

कुरमी को आदिवासी (ST) बनाना असली आदिवासियों के लिए फांसी का फंदा है। जो आदिवासी एमएलए/ एमपी कुर्मी को एस टी बनाने का अनुशंसा किए हैं उनका हस्ताक्षर असली एसटी के लिए डेथ वारंट है। अतः ऐसे सभी आदिवासी नेताओं और पार्टियों का 30 अक्टूबर को 5 प्रदेशों में पुतला दहन किया जाएगा।

1932 का खतियान झुनझुना मात्र है। कभी लागू नहीं हो सकता है। अतः वैकल्पिक नियोजन के लिए झारखंड सरकार के पास उपलब्ध सभी सरकारी नौकरियों का 90% हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों को और 10% शहरी क्षेत्रों को आवंटित किया जाए। तत्पश्चात प्रखंडवार कोटा बनाकर केवल उसी प्रखंड के आवेदकों से भरा जाए। इसके अलावे आदिवासी कोटा के दो लाख बैकलॉग नौकरी कोअविलंब भरा जाए।

भारत के प्रकृति पूजक आदिवासियों को अविलंब सरना धर्म कोड या आदिवासी धर्म कोड या कोई भी नाम से धर्म कोड प्रदान किया जाए। अलग अलग नाम से प्रकृति पूजकों द्वारा धर्म कोड की मांग आंदोलन करने वालों के बीच समन्वय बनाया जाए।

आदिवासी महिलाओं को मान-सम्मान, अधिकार प्रदान किया जाए और 50% आरक्षण सभी मामलों पर प्रदान किया जाए।

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