ढुलू बने धनबाद के सांसद, कांग्रेस के अनुपमा को दी शिकस्त

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ढुलू बने धनबाद के सांसद, कांग्रेस के अनुपमा को दी शिकस्त

पढ़ें रांची से दिल्ली तक की ढुलू की राजनीतिक सफर

तरुण कांति घोष, धनबाद: बाघमारा विधानसभा क्षेत्र से लगातार तीन बार विधायक का सेहरा बांधने वाले विधायक ढुलू महतो धनबाद संसदीय सीट से सांसद बन ग ए हैं। ढुलू ने निकटतम प्रतिद्वंद्वी इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी अनुपमा सिंह को लगभग 3 लाख 30 हजार वोटों के अंतर से करारी शिकस्त दी है। अनुपमा बेरमो विधायक कुमार जयमंगल उर्फ अनुप सिंह की पत्नी है।

जानिए कौन है ढुलू महतो :-

ढुलू महतो का जन्म बाघमारा के चिटाही में 12  ई 1975 को हुआ। उनके पिता पुना महतो कोयला मजदूर जबकि मां रुकवा देवी गृहणी थी। विधायक ढुलू ने प्रारंभिक शिक्षा उत्क्रमित मध्य विद्यालय टुंडू से पूरी की। उन्होंने डीएवी प्लस टू इंटर कॉलेज कतरास से इंटर तक की पढ़ाई पूरी की। घर की माली हालत व गरीबी की वजह से वह उच्च शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाए।

मजदूर जमात की राजनीति कर रांची से दिल्ली तक का सफर:

कोयला मजदूरों की आवाज बुलंद करने वाले ढुलू महतो का राजनीतिक सफर संघर्षों से भरा रहा। राजनीतिक पारी शुरू करने के पहले घर की आर्थिक स्थिति को देखते हुए ढुलू को जोगीडीह कोलियरी में काम करना पड़ा था। उन दिनों कोलियरी में काम करने वालों को परेशान व प्रताड़ित किया जाता था। ढुलू महतो यह बर्दाश्त नहीं कर पाए और मजदूरों के हक अधिकार दिलाने के लिए आवाज बुलंद किया। शोषित, पीड़ित गरीब तबके तथा मजदूरों की समस्याओं को सुलझाने लगे।

समरेश सिंह ने दिया राजनीतिक प्लेटफार्म :

वर्ष 1999 की बात है, जब ढुलू महतो बोकारो के पूर्व विधायक सह पूर्व मंत्री (अब दिवंगत) समरेश सिंह के संपर्क में आए। समरेश सिंह से मुलाकात होने के बाद ढुलू के जीवन में आमूलचुल परिवर्तन आया। पूर्व विधायक समरेश की पारखी नजर ने सामाजिक और गरीब-शोषितों के प्रति कार्य करने के ढुलू के जज्बे को पहचाना और उन्हें टाइगर के नाम से पुकारने लगे। इसी बीच ढुलू ने टाइगर फोर्स नामक संगठन का गठन किया।

पहली बार 2005 में किस्मत आजमाया :

ढुलू महतो ने वर्ष 2005 में बाघमारा से पहली बार चुनावी मैदान में उतरे। वह पूर्व विधायक समरेश सिंह की वनांचल कांग्रेस नामक पार्टी की टिकट पर किस्मत आजमाया। हालांकि चुनाव में ढुलू जीत का स्वाद नहीं चख पाए, लेकिन करीब 25 हजार वोट लाकर राजनीतिक पंडितों के काम खड़े कर दिए। जानकार बताते हैं कि 2005 के चुनाव में ढुलू की बाइक रैली देखने लायक थी। उस चुनाव के बाद ढुलू ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

झाविमो के टिकट पर बना विधायक :

राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने अपनी पार्टी झारखंड विकास मोर्चा के टिकट पर वर्ष 2009 में ढुलू को चुनाव लड़वाया। इस चुनाव में बाघमारा की जनता ने ढुलू को सिर आंखों पर लिया और उनके सिर पर विधायकी का सेहरा बांध दिया। ढुलू लगभग

60 हजार से अधिक वोटों से चुनाव जीते। उन्होंने दिग्गज नेता जलेश्वर महतो को पराजित किया था।

2014 में थामा भाजपा का दामन :

वर्ष 2014 में हुए विधानसभा चुनाव के ठीक पहले विधायक ढुलू ने झाविमो से नाता तोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया। भाजपा ने उन्हें बाघमारा सीट से चुनावी दंगल में उतारा। विधायक ढुलू ने करीब 86 हजार वोटों से जलेश्वर महतो को हराया। इस जीत के साथ ही बाघमारा में पहली बार भाजपा का कमल खिला।

वर्ष 2019 के चुनाव में भी विधायक ढुलू भाजपा के टिकट पर लड़े और मात्र साढ़े आठ सौ वोटों से जीत दर्ज कर हैट्रिक लगाया।

पशुपति नाथ सिंह की जगह ढुलू को मिला टिकट: :

लोकसभा चुनाव की सुगबुगाहट शुरू होते ही धनबाद संसदीय सीट से भाजपा का टिकट लेने के लिए नेताओं ने कवायद शुरू कर दी। इसके पहले धनबाद के सांसद भाजपा के पीएन सिंह थे। पार्टी ने पीएन सिंह का टिकट काटकर ढुलू को प्रत्याशी बनाया। पार्टी की कसौटी पर ढुलू खरे उतरे और जीत दर्ज की।

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