कृषक परिवारों को कृषि तथा वनोपज से जोड़कर अधिकाधिक लाभ दिलाएं : डीएफओ

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डीजे न्यूज, धनबाद  : सिद्धो कान्हो कृषि एवं वनोपज राज्य सहकारिता संघ लिमिटेड द्वारा कृषि एवं वनोपज आधारित जीविकोपार्जन विषयक पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन उत्सव भवन में किया गया। कार्यशाला का उद्घाटन जिला वन प्रमंडल पदाधिकारी विकास पालिवाल एवं अन्य अतिथियों के द्वारा दिप प्रज्वलित कर किया गया।

जिला वन प्रमंडल पदाधिकारी ने कहा कि कृषक परिवारों को कृषि तथा वनोपज से जोड़कर अधिकाधिक लाभ देने के लक्ष्य को निर्धारित करते हुए उक्त कार्यशाला का आयोजन किया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य में कृषि उपज के अलावा अन्य वनोत्पादों की बहुत सारी विविधता होती है। ये उत्पाद ग्रामीण समुदायों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं क्योंकि ये उनके लिए मुख्य आय स्रोत के रूप में काम करते हैं। ग्रामीण समुदायों को इन उत्पादों के लिए उचित मूल्य नहीं मिल पाता जिसके कारण उन्हें अपने जीवनस्तर में सुधार लाने का मौका नहीं मिल पाता है।

उन्होंने कहा कि बिचौलियों द्वारा उनका विभिन्न स्तर पर शोषण किया जाता है। सहकारिता का उद्देश्य है ग्रामीण समुदायों को अपने उत्पादों के लिए उचित मूल्य मिल सके और उनके जीवनस्तर में सुधार आ सके। इसके अलावा, ग्रामीण समुदायों को उनके वनोत्पादों की मार्केटिंग, उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाने के बात भी कही।

जिला कृषि पदाधिकारी शिव कुमार राम ने कहा कि कृषि से वनोपज जुड़ा हुआ है। गांवों में रहने वाले ग्रामीण अपनी आय को बढ़ाने के लिए कृषि कार्य के साथ-साथ वन उत्पादों का संग्रह कर बिक्री करते हैं। लेकिन खुदरा बिक्री के कारण उनको उचित कीमत नहीं मिलता है। ऐसे में संघ से जुड़े पैक्सों के माध्यम से वन उत्पादों या वनोपज की बिक्री करने से उनको उचित कीमत मिल सकेगी।

जिला सहकारिता पदाधिकारी

रूमा झा ने बताया कि कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य कृषि एवं वनोपज जैसे धान, गेहूं, सब्जी-फल, लाह, ईमली, कोदो, कुटकी, सरगुजा, चिरौंजी, साल, आंवला, महुआ, करंज, हर्रे, बहेरा, रेशम आदि का उत्पादन, संकलन, प्रसंस्करण, अनुसंधान तथा विकास की विभिन्न गतिविधियों को सहकारी आधार पर संगठित करना, क्रय-विक्रय एवं वितरण की ऐसी व्यवस्था करना जिससे की सदस्यों को सर्वाेत्तम लाभ मिले। कार्यशाला में शामिल पैक्स अध्यक्षों व सदस्यों को वनोपज राज्य सहकारी समिति लिमिटेड की गठन के कारक को समझाया गया। साथ ही इसकी संगठनात्मक संरचना पर भी प्रकाश डाला गया। उन्होंने बताया कि जिला में कुल 247 पैक्स है जिनमे से अबतक 25 पैक्स ने संबद्धता ली है।

संघ के मुख्य उद्देश्य

कृषि एवं अनुषंगी गतिविधियों तथा वनोपज के व्यापार से बिचौलियों को पूर्ण रूप से समाप्त करना।

अनुसूचित जनजाति एवं ग्रामीणों को उनके द्वारा उत्पादित एवं संग्रहित उत्पादों का उचित पारिश्रमिक दिलवाना।

कृषक एवं वनोपज जैसे- धान, गेहूं, सब्जी-फल, लाह, इमली, कोदो, कुटकी, सरगुजा, चिरौंजी, आंवला, महुआ, करंज, हरे, बहेड़ा, रेशम आदि का उत्पादन, संकलन, प्रसंस्करण, भंडारण, परिवहन, वितरण, विपणन अनुसंधान तथा विकास की विभिन्न गतिविधियों को सहकारी आधार पर संगठित करना, क्रय विक्रय एवं विवरण सी ऐसी व्यवस्था करना ताकि सदस्यों को सर्वोत्तम लाभ मिल सके।

संघ के उद्देश्य पूर्ति हेतु भवन, गोदाम, जमीन, मशीन तथा अन्य संपत्ति क्रय करना किराए पर लेना अथवा किराए पर देना।

सदस्यों को वस्तुओं के उत्पादन वृद्धि हेतु उपाय सुझाव प्रशिक्षण व उनके क्रियान्वयन हेतु सहयोग देना तथा अन्य तकनीकी सेवाएं प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से स्वयं अथवा किसी मान्य संस्था के माध्यम से सेवा उपलब्ध या व्यवस्था करना।

अपने उत्पादन का स्वयं के या अन्य ट्रेडमार्क/ब्रांड के नाम पर विपणन करना।

सहकारी सिद्धांतों का प्रचार करना तथा सदस्यों को सहकारी ज्ञान, विशेष रूप से व्यापार संबंधी ज्ञान उपलब्ध कराना।

विपणन, वार्ता प्रसारण तथा इस समाचार हेतु पत्र विज्ञप्ति एवं अन्य साहित्य का प्रकाशन करना।

सदस्य समितियों के लिए विकास योजनाओं को तैयार करना उनके हितों का प्रतिनिधित्व करना तथा समितियों के अनुकूल नीतियों और विधान के लिए अभिमत प्राप्त करने का प्रयास करना।

सदस्य समितियों में यथासमय निर्वाचन संपन्न करने हेतु आवश्यक निर्देश देना।

मौके पर वन प्रमंडल पदाधिकारी विकास पालिवाल, जिला कृषि पदाधिकारी शिव कुमार राम, विधायक प्रतिनिधि झरिया के.डी. पांडेय, विधायक प्रतिनिधि टुंडी जगदीश प्रसाद, जिला सहकारिता पदाधिकारी रूमा झा, समेत जिले के सभी पैक्स के अध्यक्ष और सदस्य आदि उपस्थित थे।

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