34 साल फरार रहने के बावजूद कानून से नहीं बच सके हत्यारे

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34 साल फरार रहने के बावजूद कानून से नहीं बच सके हत्यारे

गिरिडीह के गावां के ह्रदय नारायण सिंह के तीन हत्यारों को उम्रकैद की सजा

डीजे न्यूज, गिरिडीह : गावां थाना क्षेत्र के डाबर निवासी हृदय नारायण सिंह के तीनों हत्यारों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। साथ ही तीनों को 20-20 हजार रूपये अर्थ दण्ड भी दिया गया है। जिला जज प्रथम गोपाल पाण्डेय की अदालत ने बुधवार को तीनों हत्यारों सीटन सिंह उर्फ सिधेश्वर सिंह, साधु पासी और मधुसूदन महतो उर्फ मधुसूदन प्रसाद यादव को यह सजा सुनाई है। साथ ही तीनो हत्यारों को कुल साठ हजार रुपए जुर्माना जमा करने का आदेश दिया गया। कानून से बचने के लिए तीनों हत्या के बाद 34 साल से फरार थे।

इसके पूर्व न्यायालय में सजा की बिंदु पर सुनवाई शुरू हुई।बचाव पक्ष के अधिवक्ता दिंगम्बर प्रसाद सिन्हा ने न्यूनतम सजा देने की अपील की जबकि एपीपी धनंजय दास ने कड़ी सजा देने की मांग की।न्यायालय ने दोनों पक्षो की दलीलें सुनने के बाद यह सजा सुनाई। हत्यारा गावां थाना क्षेत्र के डाबर सेरूआ गांव के रहने वाले हैं। 10 अगस्त 1989 को हृदय नारायण सिंह का शव गावां थाना क्षेत्र के कुसमाई पत्थलहिया माइका माइंस से बरामद किया गया था। न्यायालय ने पिछले माह तीनों को दोषी करार दिया था।

 

जमीन विवाद में युवक को हत्या कर शव को जंगल मे दिया था फेक

 

घटना की प्राथमिकी मृतक के पिता जोबराज सिंह ने दर्ज कराई थी। प्राथमिकी में कहा गया था कि उनका बेटा हृदय नारायण सिंह, पोता बिरंची कुमार सिंह व दयानंद कुमार सिंह बरगद पेड़ वाले मकान मवेशी घर पर सोने गये थे। उनके पुत्र हृदय नारायण सिंह को छोटन पासी, साधु पासी, सहदेव महतो, कांग्रेस महतो, सुंदर महतो, महेश महतो, मधुसूदन महतो, भुनेश्वर महतो, बालो महतो, साधुशरण सिंह, सीटन सिंह, मकुन देव सिंह, अवध किशोर सिंह, उमेश महतो आदि ने अपहरण कर लिया। फिर पहले उसके सर धड़ से अलग कर हत्या कर दी गई। फिर कम्बल में शव को लपेट कर जंगल में फेंक दिया था। अपहरण के 25 दिनों बाद गिरफ्तार अभियुक्तों के जुर्म कबूलनामे के बाद शव बरामद किया गया था। हया का कारण जमीन विवाद रहा था। इस मामले में काफी साल पूर्व कई हत्यारों को सजा सुनाई गई थी। ये तीनों 34 साल तक फरार थे जिन्हें गावां पुलिस ने गत वर्ष सितम्बर में गिरफ्तार किया था।न्यायालय में मृतक के पिता और अन्य चश्मदीदों ने अपनी गवाही दी थी।

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